पहलगाम अटैक के बाद के हालात पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाये जाने की विपक्ष की लड़खड़ाती मांग अब ट्रैक पर लौट रही है. और, इसमें सबसे बड़ा सपोर्ट ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस बनी है. अब ये भी सुनने में आया है कि विपक्षी दल अब INDIA ब्लॉक के बैनर तले एक साथ मिलकर संसद का विशेष सत्र बुलाये जाने की मांग करने वाले हैं.
संसद का विशेष सत्र बुलाये जाने की मांग दरअसल ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अचानक सीजफायर हो जाने के बाद शुरू हुई थी. लेकिन पूर्व रक्षा मंत्री शरद पवार के साथ साथ तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के हाथ पीछे खींच लेने के कारण जोरशोर से आवाज उठाने वाली कांग्रेस अकेली पड़ने लगी थी. अब टीएमसी की तरफ संसद का स्पेशल सेशन बुलाने की मांग कर दिये जाने से कांग्रेस नेतृत्व को बड़ी राहत मिली होगी.
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद का विशेष सत्र बुलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था. राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने भी सलाह दी थी कि दुख की की घड़ी में राष्ट्रीय एकता दिखाने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिये - और उसके बाद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी सोशल मीडिया के जरिये विशेष सत्र बुलाये जाने की मांग की थी.
TMC के सपोर्ट में खड़े हो जाने के बाद अब संसद के विशेष सत्र के लिए पूरा INDIA ब्लॉक केंद्र की बीजेपी सरकार पर दवाब बनाए जाने की तैयारी कर रहा है - जाहिर है, ऐसे में केंद्र सरकार को भी कोई फैसला लेना पड़ेगा. फैसला जो भी लिया जाये, सरकार की तरफ से सामने आकर बताना तो पड़ेगा ही.
तृणमूल का मन कैसे बदल गया?
सूत्रों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने खबर दी थी कि 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के कारण तृणमूल कांग्रेस स्पेशल सेशन को लेकर कोई फैसला नहीं ले पा रही है. कुछ दिन पहले एक टीएमसी सांसद ने अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा था, सैद्धांतिक तौर पर हमें स्पेशल सेशन से कोई दिक्कत नहीं है... लेकिन, हमें अगले साल होने वाले चुनाव की फिक्र है... बीजेपी से हमारा सीधा मुकाबला होगा, और कांग्रेस अलग से लड़ेगी.
27 मई को संसद की पुरानी बिल्डिंग के सेंट्रल हाल में तृणमूल कांग्रेस के संसदीय बोर्ड की मीटिंग में इस बारे में प्रस्ताव पास किया गया. प्रस्ताव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश की गई है कि संसद का विशेष सत्र बुलाकर देश के लोगों को पहलगाम अटैक ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकवाद से मुकाबले के लिए किये गये उपायों की जानकारी दी जाये.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी नेता ममता बनर्जी ने भी केंद्र सरकार से अपील की है कि संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए. ममता बनर्जी का कहना है, आतंकवाद को लेकर भारत का रुख दुनिया को बताने के लिए भारत का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश दौरे पर है. प्रतिनिधिमंडल के लौटने के बाद विशेष सत्र बुलाया जा सकता है. और दोहराया है कि तृणमूल कांग्रेस राष्ट्रीय हित और संप्रभुता की रक्षा में केंद्र सरकार के उठाये गये किसी भी कदम के साथ मजबूती से खड़ी है.
ये तो कांग्रेस के लिए राहत भरा है
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए टीएमसी का सपोर्ट राहत भरा तो है ही, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा भी अब इस डिमांड में शामिल हो चुकी है. रांची में JMM के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि देश की जनता को ये जानने का हक है कि ऑपेरशन सिंदूर में क्या कुछ हुआ?
TMC की ही तरह JMM का भी कहना है कि जब विदेश के दौरे पर गयी सभी दलों के सांसदों की टीम लौट आये, तब संसद का विशेष सत्र बुलाया जाये, और सदन में ऑपेरशन सिंदूर पर चर्चा हो. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और तृणमूल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने पुंछ और राजौरी का दौरा किया था, जहां ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पार से हुई गोलाबारी से लोगों को काफी नुकसान हुआ था.
टीएमसी के ताजा स्टैंड के बाद देखना है कि शरद पवार का क्या रुख होता है. पहले तो शरद पवार का कहना था, मैं विशेष सत्र बुलाये जाने के खिलाफ नहीं हूं... लेकिन ये बड़ा ही संवेदशील और गंभीर मसला है... संसद में इस पर चर्चा करना मुश्किल होगा... राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारियों को गोपनीय रखा जाना चाहिये... स्पेशल सेशन बुलाये जाने के बजाय सर्वदलीय बैठक ठीक रहेगी.