दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के ताबड़तोड़ दावे किये जा रहे हैं. सौरभ भारद्वाज, आतिशी, दिलीप पांडे के साथ साथ आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता भी एक स्वर में अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिये जाने की बात कर रहे हैं.
ऐसे दावे तो तभी किये जाने लगे थे जब अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय का पहला समन मिला था, अब तो बात सातवें तक पहुंच चुकी है. अरविंद केजरीवाल की तरफ से हर समन का जवाब दिया जाता है, और फिर ईडी की तरफ से पेशी की एक नई तारीख बता दी जाती है. ईडी की तरफ से बताई गई नई तारीख 26 फरवरी है
पहले तो अरविंद केजरीवाल ईडी के समन को गैर-कानूनी बोल कर खारिज कर देते थे, अब कह रहे हैं कि जांच एजेंसी को कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिये, आखिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाये तो वही हैं. कोर्ट में सुनवाई की अगली तारीख 16 मार्च है.
17 फरवरी को अरविंद केजरीवाल ने वकील के जरिये फिजिकल पेशी से छूट, और वर्चुअल पेशी की अनुमति मांगी थी. वकील ने कोर्ट को बताया था कि बजट सेशन और विश्वास मत की वजह से मीटिंग के चलते उनके मुवक्किल की व्यस्तता है. वकील के जरिये, अरविंद केजरीवाल ने बताया, मैं आना चाहता था लेकिन अचानक से कॉन्फिडेंस मोशन आ गया, और बजट सेशन भी चल रहा है. सुनवाई के बाद राउज एवेंयू कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 16 मार्च को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का आदेश दे दिया.
लगता है आम आदमी पार्टी मान कर चल रही है कि कोर्ट में अगली सुनवाई तक प्रवर्तन निदेशालय के अफसर अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं करेंगे, इसीलिए उनके मन में नई आशंका उठ रही है.
प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर आम आदमी पार्टी के नेता दावा कर रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल को दो-तीन दिन में गिरफ्तार कर लिया जाएगा. AAP नेताओं का कहना है, बीजेपी पहले ED के जरिये हमें डराने की कोशिश कर रही थी, अब वो CBI के जरिए ये काम कर रही है.
आम आदमी पार्टी के नेता समझा रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के लिए अलग तरीका अपनाये जाने की कांग्रेस के साथ हो रहा चुनावी गठबंधन है. उनका दावा है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ तो बीजेपी को डर है कि वो चुनाव हार जाएगी, इसीलिए ये सब हो रहा है.
वैसे तो आम आदमी पार्टी दिल्ली से एक सर्वे भी करा चुकी है कि क्या अरविंद केजरीवाल को जेल से सरकार चलानी चाहिये? लेकिन कुछ दिनों से ये चर्चा भी वैसे ही नहीं हो रही है, जैसे अब लोकपाल या भ्रष्टाचार के खिलाफ किसी मुहिम की कोई चर्चा नहीं होती.
आम आदमी पार्टी के सूत्र, और केजरीवाल की गिरफ्तारी का दावा
अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तारी कर लिये जाने का दावा उनके साथी नेता ठीक वैसे ही कर रहे हैं जैसे वो कभी दिल्ली के डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की बात कर रहे थे - AAP नेताओं का कहना है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी भी ठीक वैसे ही हो सकती है, जैसे मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया था.
प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज कहते हैं 'अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने के लिए सीआरपीसी की धारा 41A का इस्तेमाल किया जाएगा... हमारी सूचना है कि आने वाले 2-3 दिन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी गिरफ्तार कर लिए जाएंगे... जैसे मनीष सिसौदिया और विजय नायर को गिरफ्तार किया गया था.'
सौरभ भारद्वाज जो बात कह रहे हैं, वही बात आजकल पार्टी के बाकी नेता भी हर मौके पर कह रहे हैं. जब तब अरविंद केजरीवाल भी ऐसे मामलों में सूत्रों का हवाला देते रहे हैं, जैसे अभी उनके साथी नेता दे रहे हैं.
बीजेपी के 2024 के लोक सभा चुनाव जीतने के दावों का जिक्र करते हुए सौरभ भारद्वाज कहते हैं, चार सौ पार जाने वाला आदमी अपने पूर्व राज्यपाल के घर सीबीआई नहीं भेजा करता है... हम भाजपा और केंद्र सरकार को ये बता देना चाहते हैं कि आप केजरीवाल को गिरफ्तार करना चाहते हैं तो कर लें, लेकिन अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस का गठबंधन इंडिया ब्लॉक के अंदर होने जा रहा है. ये अलायंस नहीं रुकने वाला.'
सौरभ भारद्वाज का कहना है, बीजेपी के लोग कह रहे हैं कि अगर अरविंद केजरीवाल को बाहर देखना है तो आम आदमी पार्टी कांग्रेस से गठबंधन न करे, वरना उनको जेल में डाल दिया जाएगा - और यही बात AAP विधायक दिलीप पांडेय भी कर रहे हैं.
और फिर AAP नेता संदीप पाठक चेतावनी देते हैं, अगर ये केजरीवाल को गिरफ्तार करेंगे तो सारे लोग सड़कों पर आ जाएंगे... उलटा पड़ जाएगा, ये समझ नहीं पा रहे हैं... हम डरने वाले नहीं हैं... हम देश को बचाने के लिए गठबंधन में जा रहे हैं, हम पीछे नहीं हटेंगे.
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अब भी 4-3 पर पेच फंसा हुआ है, ऐसी खबरें आ रही हैं. लेकिन सौरभ भारद्वाज और संदीप पाठक की मानें तो ये गठबंधन तो यूपी में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की तरह ही पक्का लगने लगा है - लगे हाथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के भी चुनाव लड़ने की चर्चा सुनाई देने लगी है.
क्या केजरीवाल चुनाव लड़ सकते हैं?
बड़ा सवाल ये है कि क्या अरविंद केजरीवाल फिर से लोक सभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं? अरविंद केजरीवाल पहला लोक सभा चुनाव 2014 में वाराणसी से तब बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ लड़े थे - और करीब दो लाख वोट भी पाये थे, लेकिन हार का अंतर तीन लाख से भी ज्यादा था.
बनारस की बात और है, लेकिन दिल्ली अलग है. दिल्ली में तो अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता ऐसी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव कैंपेन का नेतृत्व करने पर भी लोग आम आदमी पार्टी को ही वोट दे देते हैं.
राजनीति और दिल्ली में जीत की शुरुआत तो अरविंद केजरीवाल 2013 के विधानसभा चुनावों में ही कर दिये थे - और आगाज भी शानदार रहा, दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को उनके इलाके में शिकस्त देकर.
आम आदमी पार्टी के नेताओं के सूत्रों की मानें तो सीबीआई अरविंद केजरीवाल को कभी भी गिरफ्तार कर सकती है. और जब तक जमानत की प्रक्रिया चलेगी, कोर्ट से मंजूरी मिल गई तो ईडी वैसे ही कस्टडी ले सकती है जैसे मनीष सिसोदिया के केस में हुआ था.
ऐसी स्थिति में अगर अरविंद केजरीवाल लोक सभा चुनाव लड़ने का फैसला पहले ही कर लेते हैं, तो ये फायदेमंद हो सकता है. लेकिन ये फैसला भी तत्काल प्रभाव से लेना होगा. आम आदमी पार्टी को फौरन ही उम्मीदवारों की सूची जारी कर देनी होगी - खबर है कि नई दिल्ली लोक सभा सीट से मेयर शैली ओबेरॉय या अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी हो सकते हैं.
विधानसभा चुनाव लगातार जीतने के बाद एमसीडी भी जीत लेना ये बता रहा है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में तेजी से तरक्की कर रही है. अगर दिल्ली के लोग अरविंद केजरीवाल को लेकर वास्तव में कोई मन बना चुके हैं, तो 2024 के लोक सभा चुनाव के नतीजे 2014 और 2019 से अलग भी हो सकते हैं. ज्यादा कुछ नही, तो कम से कम इस मायने में अलग तो हो ही सकते हैं कि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार तीसरे स्थान से उठ कर दूसरे स्थान पर आ जायें, क्योंकि कांग्रेस की तरफ से दिल्ली में कोई उम्मीद तो दिखाई नहीं गई है. दिल्ली विधानसभा में भी लगातार दूसरी बार उसे दाखिला तक नहीं मिला हैं.
जो हालात हैं, उसमें अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली से सीट से खुद चुनाव हार जायें तो आम आदमी पार्टी को भी मानना पड़ेगा कि अभी वो प्रधानमंत्री मोदी को चैलेंज करने लायक नहीं हुए हैं. अगर जेल से अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़ते हैं, और जीत भी जाते हैं तो हर तरफ बहुत बड़ा मैसेज जाएगा - और ये भी साफ हो जाएगा कि दिल्ली के लोग अरविंद केजरीवाल और मोदी की बीजेपी को लेकर क्या ख्याल रखते हैं?