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चमोली हादसा: अब तक 56 लोगों की मौत, तपोवन टनल में रेस्क्यू में देरी से टूट रहा है परिवारों का हौसला

उत्तराखंड के चमोली में आई आपदा में अब तक 54 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. तपोवन में एनटीपीसी सुरंग से 8 और इसके बाहर से 2 शव बरामद किए जा चुके हैं.

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तपोवन टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
तपोवन टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ग्लेशियर टूटने के कारण आई थी आपदा
  • 9 दिनों से जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन

उत्तराखंड के चमोली में आई आपदा के दौरान लापता हुए लोगों की तलाश के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन अब तक जारी है. आज यानी 15 फरवरी को 5 शव बरामद किए जा चुके हैं. अब तक 56 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. अब तक बरामद किए गए 56 शव में से 30 की पहचान हो चुकी है. रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है.

तपोवन में एनटीपीसी सुरंग से 8 और इसके बाहर से 2 शव बरामद किए जा चुके हैं. आशंका जताई जा रही थी कि सुरंग के अंदर करीब 35 लोग फंसे थे. इसके अलावा पूरे इलाके से अब तक 154 लोग लापता हैं. सुरंग के अंदर बचाव कार्य पिछले 9 दिनों से लगातार जारी है, लेकिन भारी तादाद में मलबा जमा होने के चलते रेस्क्यू की रफ्तार धीमी है. अभी तक 140 मीटर तक मलबा साफ किया जा चुका है. सुरंग के अंदर ड्रिल के करके भी फंसे हुए लोगों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इसमें अभी तक कामयाबी नहीं मिली है.

इस बीच सुरंग से लाशों का मिलना शुरू हो गया है और बाहर इंतजार में खड़े परिजनों का हौसला टूट रहा है. रविवार को टनल से आलम पुंडीर की लाश मिली, वह इलेक्ट्रिशियन था. लाश की पहचान करते हुए उसके भाई सूरज पुंडीर ने कहा, 'मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या बोलूं, जब अधिकारियों ने मेरे भाई की लाश की पहचान कराई तो मेरी सारी उम्मीद मर गई, मेरे भाई की पांच बेटियां हैं, सबसे छोटी वाली की उम्र 8 महीने है, अब मैं उन्हें क्या जवाब दूंगा.'

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इसी तरह टनल में फंसे सहारनपुर के इंजीनियर सादिक अली के पिता शराफत अली भी तपोवन टनल के बाहर बेचैन हैं. उनका कहना है कि जब से टनल से लाशों के मिलने का सिलसिला शुरू हुआ, तब से मेरे पैर कांप रहे हैं, मेरी सभी उम्मीद खत्म हो गई, अब लगता है कि कभी भी अफसर मुझे बुलाकर बेटे की लाश की पहचान करने के लिए कह सकते हैं.

तबाही वाले दिन यानी 7 फरवरी को सैलाब में पुल बह जाने से मलारी समेत कई गांवों का संपर्क जिले से कट गया था. कल सेना ने गांवों को जोड़ने के लिए एक पैदल पुल तैयार कर दिया, जिसकी मदद से गांवों में फंसे कई लोग इस पार पहुंच पाए. कई गांवों में पानी की सप्लाई भी प्रभावित हुई थी, जिसे अब दुरुस्त कर दिया गया है.

 

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