विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद श्रीलंका में अगले सप्ताह हो रहे राष्ट्रमंडल देशों के शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम) में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करेंगे, क्योंकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तमिलनाडु में कुछ दलों एवं कांग्रेस के भी एक वर्ग द्वारा विरोध के मद्देनजर श्रीलंका नहीं जाने का फैसला किया है.
सूत्रों ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधित्व के स्तर और सिंह के इस सम्मेलन से दूर रहने के फैसले से कल तक श्रीलंका सरकार को अवगत करा दिया जाएगा. सरकारी सूत्रों ने कहा, प्रधानमंत्री अपने इस फैसले के बारे में कल तक श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को लिख सकते हैं.
श्रीलंका में 15-16 नवंबर को होने वाले चोगम से दूर रहने के सिंह के फैसले की आधिकारिक घोषणा अब तक नहीं हुई है. तमिलनाडु के राजनीतिक दलों एवं कई अन्य संगठनों ने चोगम में किसी भी स्तर पर भारत के हिस्सा लेने का विरोध किया है. उनका आरोप है कि श्रीलंका सरकार ने गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन किया है एवं उसके पास जातीय तमिलों को अधिकार सौंपने की कोई योजना नहीं है.
खुर्शीद चाहते हैं मनमोहन सिंह जाएं
खुर्शीद चोगम में सिंह की उपस्थिति के पक्ष में हैं और उनका कहना है कि यह अहम है, क्योंकि इससे भारत के हित परिलक्षित होंगे. विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह देश के रणनीतिक एवं सुरक्षा हितों के लिए भी महत्वपूर्ण है. जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से पूछा गया कि यदि सिंह श्रीलंका नहीं जाने का निर्णय लेते हैं तो क्या उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के भारत का प्रतिनिधित्व करने की संभावना है, तब उन्होंने इसका कोई सीधा उत्तर नहीं दिया. उन्होंने कहा कि 1993 से 10 सम्मेलनों में प्रधानमंत्री ने पांच बार भारत का प्रतिनिधित्व किया, जबकि चार बार मंत्रियों ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई की.
एक बार उपराष्ट्रपति ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था. उन्होंने कहा, हमने इस बात पर बल दिया है कि हमारे राष्ट्रीय हित, हमारी विदेश नीति प्राथमिकताओं एवं हमारी अंतरराष्ट्रीय बाध्यताओं के लिए क्या जरूरी है. इन बातों को ध्यान में रखकर विभिन्न लोगों की अगुवाई में हमारा प्रतिनिधिमंडल रहा है.
प्रधानमंत्री के निर्णय का करुणानिधि ने किया स्वागत
द्रमुक अध्यक्ष एम. करुणानिधि ने राष्ट्रमंडल शिखर सम्मेलन में शिरकत नहीं करने के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निर्णय का स्वागत किया और कहा कि यह कुछ सांत्वना के रूप में आया है.
बहरहाल सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद द्वारा भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के मामले को करुणानिधि ने विचार-विमर्श योग्य करार दिया. उन्होंने कहा, हमारे लिए यह सांत्वना की बात है कि कम से कम प्रधानमंत्री ने हमारी बात का सम्मान किया है और वह शिखर सम्मेलन में शिरकत नहीं कर रहे हैं.