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गोपालकृष्ण गांधी को टक्कर देंगी नजमा हेपतुल्ला? इन कारणों से मजबूत है दावेदारी

बीजेपी की ओर से उपराष्ट्रपति पद की रेस में सबसे आगे जो नाम आ रहा है वह है मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला का. पढ़िए आखिर क्यों नजमा हेपतुल्ला इस रेस में सबसे आगे हैं.

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पीएम मोदी और नजमा हेपतुल्ला
पीएम मोदी और नजमा हेपतुल्ला

राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार फाइनल होने के बाद अब राजनीतिक दलों में उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए तैयारियां तेज हैं. यूपीए समेत 18 विपक्षी दलों ने महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. वहीं गुरुवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी आरएसएस के नेताओं से इस मुद्दे पर चर्चा की. उम्मीद है कि संघ से बैठक के बाद बीजेपी जल्द ही इस मुद्दे पर कोई फैसला लेगी. बीजेपी की ओर से उपराष्ट्रपति पद की रेस में सबसे आगे जो नाम आ रहा है वह है मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला का. पढ़िए आखिर क्यों नजमा हेपतुल्ला इस रेस में सबसे आगे हैं.

मुस्लिम चेहरा

नजमा हेपतुल्ला मुस्लिम चेहरा हैं, उन्हें इस बात का फायदा मिल सकता है. हालांकि बीजेपी को इस प्रकार की पार्टी नहीं माना जाता है कि वह किसी बड़े पद के लिए मुस्लिम चेहरा आगे करे. लेकिन क्योंकि पीएम मोदी हमेशा ही सबका साथ-सबका विकास के नारे की बात करते हैं तो बीजेपी इस दांव को भी चल सकती है.

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महिला चेहरा

राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद के मुकाबले यूपीए ने महिला कार्ड चला. उन्होंने मीरा कुमार का चेहरा आगे किया. यूपीए ने अगर राष्ट्रपति पद के लिए महिला चेहरा आगे किया है, तो बीजेपी उपराष्ट्रपति पद के लिए महिला चेहरे पर दांव खेल इसकी काट कर सकती है.

राज्यसभा का अनुभव

बीजेपी चाहती है कि वो किसी ऐसे उम्मीदवार का नाम फाइनल करे जिसे राज्यसभा का अनुभव हो. नजमा 1986 से 2012 तक 5 बार राज्यसभा की सदस्य रह चुकी हैं. इसके अलावा  वह 17 साल तक राज्यसभा की डिप्टी चेयरमैन भी रह चुकी हैं. राज्यसभा में बीजेपी अल्पमत में हैं. वहां चेयरमैन पद पर बीजेपी को किसी ऐसे चेहरे की जरूरत होगी जो सभी पार्टियों के बीच समन्वय से सरकार की राह आसान कर सके. नजमा चूंकि कांग्रेस में रही हैं. ऐसे में इस पैमाने पर भी वे खरी उतरती हैं.

प्रगतिशील महिला

मणिपुर का राज्यपाल नियुक्त किए जाने से पहले नजमा मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री भी रह चुकी हैं. उन्हें अगस्त 2016 में मणिपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. केंद्रीय मंत्री रहते हुए उन्होंने उस्ताद, नई मंजिल, मदरसा के लिए मानस और हमारी धरोहर जैसे कई प्रोग्राम लागू किए थे. जिसकी काफी तारीफ हुई थी.

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दशकों का राजनीतिक अनुभव

नजमा हेपतुल्ला के पास एक लंबा राजनीतिक अनुभव है. नजमा साल 1960 से 2004 तक कांग्रेस पार्टी से जुड़ी रही हैं. 2004 में वे बीजेपी के साथ जुड़ीं. नजमा हेपतुल्ला का सभी राजनीतिक दलों में एक अच्छा सम्मान भी है.

विरोध में जा सकती है ये बातें -

 - हालांकि नजमा का मुस्लिम होना उनके विरोध में भी जा सकता है. बीजेपी कभी भी बड़े स्तर पर मुस्लिम चेहरे का समर्थन नहीं करती है.

- संघ चाहता है कि संघ के बैकग्राउंड वाला व्यक्ति ही उपराष्ट्रपति बने, यहां नजमा चूक जाती हैं.

- नजमा हेपतुल्ला की उम्र 77 वर्ष है, अधिक उम्र होने के कारण ही उन्हें मंत्री पद से हटाया गया था. क्योंकि उपराष्ट्रपति को राज्यसभा सदन भी चलाना होता है तो उनका एक्टिव होना भी जरूरी है. इसलिए उम्र की बात भी उनके आड़े आ सकती हैं.

 

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