भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता मिथुन चक्रवर्ती ने कहा है कि अगर पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी सरकार की विदाई करनी है तो नौ फीसदी हिंदुओं को बाहर आकर वोट करना होगा. सभी सनातनियों को इकट्ठा होना होगा. उन्होंने कहा कि अगर ममता सरकार को उखाड़ फेंकना है तो यही एकमात्र रास्ता है. फिल्म अभिनेता से राजनेता बने मिथुन चक्रवर्ती ने कुछ दिन पहले भी इसी तरह का बयान देते हुए कहा था कि अगर नौ फीसदी हिंदू हमारे साथ खड़ा हो जाए तो सूबे में राम राज्य स्थापित हो जाएगा. सवाल उठ रहे हैं कि नौ फीसदी हिंदू कौन हैं जिनमें मिथुन चक्रवर्ती को हिंदू राज्य का सीक्रेट दिख रहा है?
कौन हैं वो नौ फीसदी हिंदू वोटर
बीजेपी नेता मिथुन चक्रवर्ती जिस नौ फीसदी हिंदू वोटर की बात कर रहे हैं, वह ऐसा वोटर वर्ग है जो अपना वोट डालने के लिए घर से नहीं निकलता. मिथुन चक्रवर्ती ने खुद कहा भी कि ये वो मतदाता है जो वोट देने के लिए नहीं निकलता. मिथुन का बयान पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के उस बयान के बाद ही आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि करीब 10 फीसदी हिंदू वोटर पिछले चुनाव में वोट करने नहीं निकले. सुवेंदु अधिकारी ने पिछले महीने पूर्वी मेदिनीपुर जिले के हल्दिया में सनातनी एकजुटता रैली में यह बातें कही थीं.
नौ फीसदी वोट पर मिथुन का जोर क्यों
मिथुन चक्रवर्ती का जोर नौ फीसदी वोट पर है. उन्होंने वोट नहीं करने वाले इन मतदाताओं से भी बंगाल चुनाव में घर से निकलने और बीजेपी के पक्ष में मतदान करने की अपील की है. मिथुन का यह बयान भी बीजेपी के बूथ लेवल मैनेजमेंट का हिस्सा नजर आता है. दरअसल, पार्टी का जोर मतदाताओं को घर से निकाल बूथ तक लाने और उनके वोट कमल निशान पर दिलवाने पर रहता है. इसके लिए बूथ लेवल कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी जाती है. एक पहलू यह भी है कि पिछले विधानसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी वोट शेयर के लिहाज से टीएमसी के मुकाबले 10 फीसदी वोट पीछे रह गई थी.
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क्या है नौ फीसदी हिंदू वोट का गणित
पश्चिम बंगाल चुनाव में नौ फीसदी हिंदू वोट का गणित समझने के लिए 2021 चुनाव के आंकड़ों की चर्चा जरूरी है. 2021 के चुनाव में टीएमसी 48.5 फीसदी वोट शेयर के साथ 213 सीटें जीत सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. दूसरे नंबर पर रही बीजेपी को 77 सीटें मिली थीं और पार्टी का वोट शेयर 38.5 फीसदी रहा था. बीजेपी नेताओं को लगता है कि वोट न करने वाले नौ फीसदी हिंदू वोटर्स ने भी अगर अपने मताधिकार का उपयोग किया होता, कमल निशान पर वोट किया होता तो मुकाबला और करीबी हो जाता. ऐसे में सत्ता का ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता था.
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इस बार पहले से एक्टिव है बीजेपी
बीजेपी के नेता इस बार किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोडना चाहते और यही वजह है कि विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी से लेकर मिथुन चक्रवर्ती तक वोट नहीं डालने वाले हिंदू वोटर्स का जिक्र बार-बार कर रहे हैं. सुवेंदु अधिकारी अलग-अलग जगह जाकर सनातनी एकजुटता रैलियां कर रहे हैं, हिंदुओं से एकजुट होकर बीजेपी के पक्ष में मतदान की अपील कर रहे हैं. इन कवायदों का पोलिंग पर, बीजेपी के वोट शेयर पर कितना असर होता है? ये देखने वाली बात होगी.