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'बिहार ताको नीति बनकर रह गया...', मोदी सरकार के बजट से पश्चिम बंगाल में गुस्सा

ममता बनर्जी के आरोपों पर पलटवार करते हुए बीजेपी विधायक अग्निमित्रा पॉल ने कहा, "वे संघीय ढांचे का पालन नहीं करेंगी. वे बस चाहती हैं कि केंद्र सरकार फंड दे, वे पैसे लूट लेंगी. अगर आप ये सोचती हैं कि मैं केंद्र के साथ सहयोग नहीं करूंगी, तो यही होगा."

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल फोटो)
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल फोटो)

केंद्रीय बजट (Union Budget) पेश किए जाने के बाद मंगलवार को राज्य विधानसभा में पत्रकारों से बात करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी राय दी. इस दौरान उन्होंने कहा, "यह गरीब विरोधी, जन विरोधी बजट है और बंगाल को इससे वंचित रखा गया है." केंद्रीय बजट 2020 के जारी होने के बाद पूरे देश में प्रतिक्रियाओं की लहर दौड़ गई है, जिसमें पश्चिम बंगाल ने काफी निराशा और चिंता व्यक्त की है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार पर बंगाल को दरकिनार करने, राज्य के विकास के लिए आवश्यक पर्याप्त वित्तीय सहायता और संसाधनों से वंचित करने का आरोप लगाया है.

यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र ने 'लुक ईस्ट' पॉलिसी अपनाई है, लेकिन टीएमसी ने आरोप लगाया कि इस साल का बजट 'बिहार ताको नीति' बनकर रह गया है. निर्मला ने बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के समग्र विकास के लिए काम करने की बात कही.

मोदी सरकार पर ममता बनर्जी का हमला

रेलवे की बात करते-करते अमृतसर-कोलकाता कमर्शियल कॉरिडोर की बात आ गई. इतना कहते-कहते भी वित्त मंत्री ने इस बारे में ज्यादा बात की कि बिहार के गया को कैसे फायदा होगा. यानी इस पहल के लिए बिहार के बारे में ज्यादा सोचा गया है. इस राज्य का नाम बजट स्पीच में दो बार आया. इसके अलावा बंगाल की किस्मत में कुछ नहीं जोड़ा गया.

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कई लोगों का कहना है कि ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जैसे एनडीए सहयोगियों को निशाना बना रही थीं. ममता ने मोदी 3.0 पर जमकर हमला बोला और केंद्रीय बजट को दिशाहीन बताया. उन्होंने कहा, "यह बजट पूरी तरह से दिशाहीन, जनविरोधी है, जिसमें कोई विजन नहीं है. इसमें केवल राजनीतिक विजन है. मुझे कोई रोशनी नहीं दिख रही. इसमें सिर्फ अंधेरा है."

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बजट से थीं और भी उम्मीदें

इस बार केंद्रीय बजट से बिहार और आंध्र को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद पहले से ही बनी हुई थी. केंद्र में गठबंधन की सरकार है, जो नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की मदद से सत्ता में आई है. सहयोगियों के कंधों पर सवार बीजेपी को मौजूदा सरकार को बनाए रखने के लिए नीतीश कुमार की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी की जरूरत है. 

लेकिन इस बार बंगाल को इस बजट से बहुत उम्मीदें थीं. मुख्यमंत्री ने पड़ोसी राज्य सिक्किम को बाढ़ सहायता देने के केंद्र के प्रस्ताव पर सवाल उठाए. अपने बजट स्पीच में निर्मला सीतारमण ने सिक्किम में आई खतरनाक बाढ़ और भूस्खलन का जिक्र किया और कहा कि सरकार राज्य को सहायता प्रदान करेगी. 

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ममता के आरोपों पर बीजेपी का पलटवार

ममता के आरोपों पर पलटवार करते हुए बीजेपी ने कहा कि ममता को नीतीश और पटनायक से सीखना चाहिए कि केंद्र के साथ कैसे सहयोग करना है. बीजेपी विधायक अग्निमित्रा पॉल ने कहा, "वे संघीय ढांचे का पालन नहीं करेंगी. वे बस चाहती हैं कि केंद्र सरकार फंड दे, वे पैसे लूट लेंगी. अगर आप ये सोचती हैं कि मैं केंद्र के साथ सहयोग नहीं करूंगी, तो यही होगा."

कोलकाता के आर्थिक विश्लेषक और ICAI-ईस्टर्न इंडिया के पूर्व चीफ अनिरबन दत्ता ने इंडिया टुडे से कहा, "हालांकि केंद्रीय बजट में सभी राज्यों के बीच फंड के समान वितरण की मांग नहीं की जाती है, बल्कि यह सरकार की प्राथमिकताओं के आधार पर किया जाता है, यह स्पष्ट है कि उनके पास अपने अस्तित्व के लिए राजनीतिक मजबूरियां हैं (आंध्र प्रदेश और बिहार के प्रति) और न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि अन्य कुछ राज्यों को उनका तार्किक हिस्सा नहीं मिला. यहां राजनीति ने अर्थव्यवस्था की बुनियादी बातों को पीछे छोड़ दिया है."

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