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अमित शाह बोले- वंदे मातरम् बंटा तो देश भी बंट गया, खड़गे ने किया पलटवार... राज्यसभा में हंगामा

राज्यसभा के शीतकालीन सत्र में वंदे मातरम् पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् के टुकड़े करने से देश का बंटवारा हुआ.

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राज्यसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा, गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर बोला हमला, मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया पलटवार
राज्यसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा, गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर बोला हमला, मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया पलटवार

संसद का शीतकालीन सत्र जारी है. इसी कड़ी में मंगलवार को राज्यसभा में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ पर चर्चा हुई. इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने साफ तौर पर कहा- वंदे मातरम् के टुकड़े करने से ही देश में तुष्टिकरण की राजनीति शुरू हुई और देश भी टूट गया. उन्होंने कहा कि, इस तरह के फैसलों ने आगे चलकर देश के बंटवारे का रास्ता तैयार किया. अगर उस समय पूरा वंदे मातरम् स्वीकार किया जाता तो शायद भारत का विभाजन न होता.

शाह ने संबोधन में कहा- जब वंदे मातरम 100 साल का हुआ, पूरे देश को बंदी बना दिया गया. जब 150 साल पर कल सदन (लोकसभा) में चर्चा शुरू हुई, गांधी परिवार के दोनों सदस्य (राहुल-प्रियंका) नदारद थे. वंदे मातरम् का विरोध नेहरू से लेकर आज तक गांधी परिवार के खून में है.

इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- वंदे मातरम् पर चर्चा चुनाव से जुड़ी नहीं है, जो लोग वंदे मातरम् के महत्व को नहीं जानते वे इसे चुनाव से जोड़ रहे हैं. गृहमंत्री के इस बयान को प्रियंका गांधी की ओर इशारा माना जा रहा है, क्योंकि उन्होंने सोमवार को लोकसभा में चर्चा के दौरान कहा था कि, वंदे मातरम् गीत 150 साल से देश की आत्मा का हिस्सा है. आज इस पर बहस क्यों हो रही है? मैं बताती हूं- क्योंकि बंगाल का चुनाव आ रहा. मोदी जी उसमें अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं.

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वंदे मातरम् ने आजादी के आंदोलन को गति दी- अमित शाह
अमित शाह ने कहा, जिस गान को गांधी ने राष्ट्र की शुद्धतम आत्मा से जुड़ा गीत कहा, वो वंदे मातरम् का टुकड़ा करने का काम कांग्रेस ने किया. वंदे मातरम् ने आजादी के आंदोलन को गति दी. श्यामजी कृष्ण वर्मा, मैडम भीखाजी कामा और वीर सावरकर ने भारत का त्रिवर्ण ध्वज निर्मित किया था, उस पर भी स्वर्णिम अक्षर में एक ही नाम लिखा था- वंदे मातरम्. भारतीय जनता पार्टी का एक भी सदस्य वंदे मातरम् गान के समय सम्मान के साथ खड़ा न हो ऐसा हो ही नहीं सकता.     

कांग्रेस के जिस जिस सांसद ने वंदे मातरम् नहीं गाने पर बयान दिया. सदन से बाहर चले गए, मैं इसकी लिस्ट आज शाम तक सदन के पटल पर रख दूंगा. इस सदन के चर्चा के रिकॉर्ड में रहना चाहिए कि कांग्रेस के सांसद वंदे मातरम् का विरोध करते हैं बंकिम चंद्र की 130वीं जयंती पर हमारी सरकार ने एक स्टांप जारी किया. आजादी के 75वीं वर्षगांठ पर हर घर तिरंगा अभियान भी हमने शुरू किया और आह्वान किया था तिरंगा फहराते वक्त वंदे मातरम् का कहना भूलना नहीं है.

केंद्रीय गृहमंत्री के भाषण पर कांग्रेस अध्यक्ष ने किया पलटवार

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अमित शाह के भाषण के बाद नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वंदे मातरम् की चर्चा में हिस्सा लिया. उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह के बयानों पर उनका पलटवार किया. स्पीच शुरू करने से पहले खड़गे ने वंदे मातरम्,के नारे लगाए. उन्होंने कहा कि 'गृह मंत्री के बोलने के बाद मुझे समय दिया, सभापति का इसके लिए धन्यवाद. मैं सौभाग्यशाली हूं. मैं 60 सालों से यही गीत गा रहा हूं. वंदे मातरम् नहीं गाने वालों ने अभी शुरूआत की है. कांग्रेस की तरह से बंकिमजी को नमन करता हूं. आजादी के आंदोलन में जिन लोगों ने बलिदान दिया, उनको भी नमन है. 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में रविन्द्रनाथ टैगोर ने पहली बार वंदे मातरम् गाया था.'

राज्यसभा में बड़ा हंगामा
इसी दौरान राज्यसभा में बड़ा हंगामा भी हुआ. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार और पीएम मोदी पर सीधा पलटवार किया. उन्होंने कहा- असहयोग आंदोलन में कांग्रेस के लाखों स्वतंत्रता सेनानी वंदे मातरम कहते हुए जेल गए. आप उस समय क्या कर रहे थे? आप अंग्रेजों के लिए काम कर रहे थे.' खड़गे ने कहा, 'पीएम मोदी कोई मौका नहीं छोड़ते नेहरू जी का अपमान करने का, और गृह मंत्री अमित शाह भी वही करते हैं.'

मल्लिकार्जुन खड़गे वंदे मातरम् पर बोलते हुए रुपये की गिरती वैल्यू पर आ गए. इस पर सत्ता पक्ष ने शोर मचाना शुरू कर दिया. खड़गे ने कहा- रुपये के गिरते स्तर पर मोदी ने 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा था कि देश जानना चाहता है कि ऐसा क्या कारण है कि सिर्फ भारत का रुपया डॉलर के मुकाबले गिरता ही चला गया, गिरता ही चला गया. ये सिर्फ आर्थिक कारणों से नहीं हुआ. ये आपकी भष्ट्र राजनीति के कारण हुआ. 

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मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आप नेहरू जी के नाम को नीचा करना चाहते हैं पर वो सबसे ऊंचे हैं और ऊंचे ही रहेगें और आप नीचे हैं और नीचे ही रहेगें. हमारे पूर्व राष्ट्रपति ने जो कहा उसको भी नहीं मानते हैं, आप किसको मानते हैं. हमारे पड़ोसी देशों में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है, हमारा प्रभाव घट रहा है. आपकी 56 ईंच की छाती तो रहने दो, आपकी छाती का देश को फायदा क्या हुआ? चीन के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल सकते. आपके विदेश मंत्री स्वीकार कर चुके हैं कि भारत अभी छोटी अर्थव्यवस्था है और चीन का मुकाबला नहीं कर सकते. पीएम ने खुद 19 जून 2020 को क्लीनचिट दी ती और कहा था कि न कोई घुसा है और न ही कोई घुस आया है. 

जेपी नड्डा ने खड़गे को टोका, राज्यसभा में तीखी बहस
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने वंदे मातरम् पर बोलते हुए अलग मुद्दों का जिक्र किया तो उनके बयान पर राज्यसभा में उन्हें टोकते हुए जेपी नड्डा ने कहा कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार है, लेकिन डिबेट का एक स्तर है. अगर आप विदेश नीति या आर्थिक नीति पर डिबेट चाहते हैं तो ठीक है, लेकिन अभी वंदे मातरम से अलग विषय पर मत जाइए. इसके बाद राज्यसभा में काफी शोर शराबा होने लगा. पीठासीन ने सभी को अपनी सीट पर बैठने को कहा. 

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वंदे मातरम् देश की सांस्कृतिक और भावनात्मक एकता का प्रतीक- सांसद मनोज झा
वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर राज्यसभा में हुई विशेष चर्चा के दौरान राजद सांसद प्रोफेसर मनोज कुमार झा ने सरकार और मौजूदा राजनीति पर कड़ा सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ गीत का उत्सव नहीं, बल्कि देश की वर्तमान सामाजिक स्थिति का मूल्यांकन करने का भी मौका है. मनोज झा ने अपने भाषण की शुरुआत एक रूपक से की उन्होंने कहा- “वर्षगांठ में ‘गांठ’ और सालगिरह में ‘गिरह’ होती है. इन्हें समझे बिना उत्सव अधूरा है.” उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् देश की सांस्कृतिक और भावनात्मक एकता का प्रतीक है  यह बंगाल में लिखा गया,  लेकिन सारे देश की सीमाएं पार कर गया,  क्योंकि इसके शब्द ही नहीं, इसकी स्पिरिट भी सर्वमान्य थी.  

महापुरुषों को अपनी राजनीति का अवसर न बनाएं- मनोज झा
भाषण के दौरान मनोज झा ने स्पष्ट कहा, “मैं कांग्रेस का नहीं हूँ, लेकिन नेहरूवादी, गांधीवादी और अंबेडकरवादी मानता हूँ. आज ये तीनों धरती पर आएं तो एक मोर्चा बना लेंगे.” उन्होंने अमृता शेरगिल द्वारा जवाहरलाल नेहरू को लिखी 1937 की एक चिट्ठी का ज़िक्र करते हुए राजनीतिक विनम्रता का उदाहरण रखा. इतिहास को चुनिंदा तरीके से पेश करने पर टिप्पणी करते हुए झा बोले:  “लोग इतिहास पूरा नहीं पढ़ते, केवल सेमी-कॉलन के बाद का हिस्सा पढ़ते हैं.” “मेरा इतिहासबोध 2014 के बाद का नहीं, उससे पहले का भी है.” “वंदे मातरम् का उत्सव ज़रूर मनाएं, लेकिन इसे राजनीतिक हथियार न बनाएं. महापुरुषों को अपनी राजनीति का अवसर न बनाएं.” 

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क्या दलित, पिछड़े और आदिवासी भारत माता के बच्चे नहीं- संजय सिंह
AAP सांसद संजय सिंह ने कहा कि देश की आजादी के आंदोलन में RSS की भूमिका नहीं थी. उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, 'RSS के चार लोगों का नाम बताइए जो वंदे मातरम् कहकर जेल गए हों.' उन्होंने दावा किया कि उनके मुताबिक RSS ने 52 साल तक अपने मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया और जब तीन युवकों ने झंडा फहराया तो संगठन ने उनके खिलाफ FIR दर्ज कराई. संजय सिंह ने सदन में 28 दिसंबर 1949 के ऑर्गेनाइज़र (RSS का पत्र) का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि पत्र ने राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ पर सवाल उठाए थे. उनके अनुसार पत्र में लिखा था कि राष्ट्रगान “सिर्फ एक मनोरंजन की वस्तु” है. बहस के दौरान जब विपक्ष के नेता ने “दलित” शब्द का उपयोग किया तो BJP सांसदों ने आपत्ति जताई. इस पर संजय सिंह ने कहा, “क्या दलित, पिछड़े और आदिवासी भारत माता के बच्चे नहीं हैं?”   

विपक्ष अभी भी बाबर और बाबरी मस्जिद की राजनीति करता है- डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल    
बीजेपी सांसद डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल ने विपक्ष पर हिंदुओं को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक नेता ने दूसरे सदन में बयान दिया कि 'हिंदू 24 घंटे हिंसा और नफरत फैलाते हैं.' उन्होंने कहा कि देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ था और कांग्रेस आज भी हिंदुओं को अपमानित करने की राजनीति करती है. उन्होंने विपक्ष पर “टुकड़े-टुकड़े गैंग” का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी नेता भारत को देश नहीं बल्कि “यूनियन ऑफ स्टेट्स” बताते हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बाबरी मस्जिद का अस्तित्व खत्म हो चुका है, लेकिन विपक्ष अभी भी बाबर और बाबरी मस्जिद की राजनीति करता है.

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