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भूमि अधिग्रहण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, कोलकाता नगर निगम की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति को यह सूचित करना राज्य का कर्तव्य है कि वह उसकी संपत्ति अर्जित करना चाहता है. अधिग्रहण पर आपत्तियों को सुनना राज्य का कर्तव्य है.

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भूमि अधिग्रहण को लेकर SC ने अहम फैसला सुनाया
भूमि अधिग्रहण को लेकर SC ने अहम फैसला सुनाया

सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता नगर निगम की याचिका खारिज करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को संपत्ति के अधिकार से वंचित करने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, तो निजी संपत्तियों का अनिवार्य अधिग्रहण असंवैधानिक होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य और उसके उपकरणों द्वारा उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है, तो निजी संपत्तियों के अधिग्रहण के बदले मुआवजे के भुगतान की वैधानिक योजना भी उचित नहीं होगी. इसके साथ ही अदालत ने कोलकाता नगर निगम की याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने निगम पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया है.

दरअसल, नगर निगम ने कलकत्ता हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक पार्क के निर्माण के लिए शहर के नारकेलडांगा नॉर्थ रोड पर एक संपत्ति के अधिग्रहण को रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नागरिक निकाय के पास अनिवार्य अधिग्रहण के लिए एक विशिष्ट प्रावधान के तहत कोई शक्ति नहीं थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 300A के तहत भूमि मालिक को प्रक्रियात्मक अधिकार प्रदान किए जाते हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति को यह सूचित करना राज्य का कर्तव्य है कि वह उसकी संपत्ति अर्जित करना चाहता है. अधिग्रहण पर आपत्तियों को सुनना राज्य का कर्तव्य है.

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