scorecardresearch
 

उस रात की कहानी जब दाऊद अपनी फैमिली संग भारत से फरार हुआ था, जानिए कैसे पाकिस्तान पहुंचा

दाऊद इब्राहिम 30 साल से भगोड़ा है और पाकिस्तान में छिपा बैठा है. दाऊद 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में मुख्य आरोपी है. वो भारत में कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है. 1986 में जब मुंबई पुलिस दाऊद को पकड़ने के लिए उसके दफ्तर में पहुंची तो वो गायब था. बाद में सामने आया कि दाऊद पुलिस के पहुंचने से 10 मिनट पहले वहां से फरार हुआ था. पुलिस के पास उसका पासपोर्ट जब्त था.

Advertisement
X
दाऊद जब भारत छोड़कर भागा, तब उसका पासपोर्ट पुलिस के कब्जे में था.
दाऊद जब भारत छोड़कर भागा, तब उसका पासपोर्ट पुलिस के कब्जे में था.

भारत का मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम अब अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है. उसे कराची के अस्पताल में एडमिट कराया गया है. खबर है कि दाऊद को जहर दिया गया है. किसी करीबी ने ही इस घटना को अंजाम दिया है. दाऊद मुंबई धमाकों को अंजाम देने के बाद परिवार समेत भारत छोड़कर दुबई भाग गया था. दाऊद ने 1993 में मुंबई बम विस्फोटों और 26/11 जैसे आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया है. दुबई के बाद दाऊद पाकिस्तान पहुंचा था और वहां कराची, इस्लामाबाद समेत 9 जगहों पर उसके ठिकाने हैं.

दाऊद का कराची में जिस गली में बंगला है, वो नो-ट्राइपास जोन है और वहां पर पाकिस्तानी रेंजर्स का कड़ा पहरा है. दाऊद को आईएसआई का भी संरक्षण प्राप्त है. अमेरिका ने भी उसे आतंकी घोषित कर रखा है. दाऊद, पांच भाई-बहन हैं. मुंबई ब्लास्ट के बाद दो भाई अनीस इब्राहिम और नूरा इब्राहिम दाऊद के साथ दुबई भाग गए थे. साल 2007 में नूरा की करांची बम ब्लास्ट में मौत हो गई थी. दाऊद की पत्नी जुबीना जरीन उर्फ मेहजबीन मुंबई की रहने वाली है और वो दाऊद के साथ रहती है. दाऊद ने पाकिस्तान में पठान महिला से दूसरा निकाह किया है. दाऊद के चार बच्चे हैं. वो पत्नी और बच्चों के साथ रातोंरात भारत से फरार हुआ था. फिलहाल, दाऊद की पत्नी महजबीन अपने देवर अनीस के साथ मिलकर काला कारोबार चला रही है.

Advertisement

क्या हुआ था उस रात... जब दाऊद के ठिकाने पर पुलिस ने मारी रेड

एस हसन जैदी की किताब 'डोंगरी टू दुबई' के मुताबिक, बात 1986 की है. पुलिस को दाऊद की तलाश थी. दाऊद और मेहजबीन की शादी के 15 दिन बाद ही पुलिस ने अंडरवर्ल्ड के सदस्यों पर लगाम कसना शुरू कर दिया था. दाऊद समझ चुका था कि अब मुंबई में रह पाना मुश्किल है. एक दिन क्राइम ब्रांच की टीम ने आधी रात डी कंपनी के मुख्यालय मुसाफिरखाना में छापा मारा. पुलिस अधिकारी इस दोमंजिला इमारत में सन्नाटेदार खामोशी देखकर हैरान थे. इस इमारत के लोग कभी सोते नहीं थे. खासतौर पर ग्राउंड फ्लोर के लोग, जिसमें दाऊद का आलीशान ऑफिस था.

क्राइम ब्रांच ने एक-एक कमरे का कोना-कोना तलाशा गया. पुलिस उस रात सिर्फ दाऊद के चचेरे-ममेरे भाइयों और उसके गुर्गों को ही गिरफ्तार कर पाई. पुलिस कमिश्नर  डीएस सोमन ने दाऊद को पकड़ने के लिए फौरी वारंट जारी किया था. ऑपरेशन पूरी तरह सीक्रेट था. सोमन ने दाऊद पर नकेल कसने के लिए पुलिस को खुली छूट दे रखी थी. लेकिन, दाऊद एक कदम आगे निकला. उसने परिवार समेत भारत छोड़ने का फैसला किया और रातोंरात गायब हो गया.

बिना पासपोर्ट दुबई पहुंच गया?

जब सोमन को बताया गया कि दाऊद पिंजरे से उड़ गया है तो वे भी हैरान थे. यकीन नहीं कर  पा रहे थे कि पुलिस के भीतर भी दाऊद का इस कदर चाक-चौबंद नेटवर्क है. पुलिस अधिकारियों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की गई तो पता चला कि दफ्तर पहुंचने से 10 मिनट पहले दाऊद के पास फोन पहुंच गया था. उसी 10 मिनट में वो रफूचक्कर हो गया. पुलिस कमिश्नर ने मंत्रालय के एक राजनेता से भी इस अभियान की सहमति ली थी. राजनेता ने कहा था कि दाऊद को जिंदा पकड़ा जाए. बाद में पुलिस को नेता से बातचीत पर भी शक हुआ.

Advertisement

इंडिया का मोस्ट वांटेड डॉन दाऊद इब्राहिम

इस बीच, दाऊद किसी तरह हवाई अड्डा पहुंचा और दुबई की फ्लाइट पकड़ ली. बाद में यह भी सामने आया कि दाऊद ने पहले दिल्ली के लिए घरेलू उड़ान पकड़ी, फिर वहां से दुबई के लिए कनेक्टिंग उड़ान. वो बगैर पासपोर्ट के दुबई पहुंचा था.  उसका पासपोर्ट पहले से ही क्राइम ब्रांच की कस्टडी में था.

कैसे बनाया मुंबई हमले का पूरा प्लान...

बात 1992 की है. दाऊद के गुर्गे 31 दिसंबर को डॉन की सालगिरह पर कई सारी पार्टियां आयोजित करते थे. हालांकि, डॉन इन पार्टियों को ज्यादा अहमियत नहीं देता था. उसी समय एक राजनैतिक घटनाक्रम हुआ, जो कुछ समय से अंदर ही अंदर बड़े घटनाक्रम की शक्ल ले रहा था. 6 दिसंबर 1992 को हिंदूवादी संगठनों के एक हुजूम ने अयोध्या में एक मस्जिद (बाबरी ढांचे) को गिरा दिया. देश में तनाव का माहौन बन गया. ये मस्जिद 1853 से विवादों में थी. देशभर में दंगे भड़के. मुंबई की सड़कों पर भी हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुए. पाकिस्तान की ISI ने बदला लेने का प्लान बनाया और अपने तमाम हाकिमों को काम पर लगा दिया. आईएसआई ने दाऊद इब्राहिम, अनीस इब्राहिम, मोहम्मद दोसा, टाइगर मेमन और ताहिर मर्चेंट समेत यूरोप में बसे कई दूसरे मुसलमान सरगनाओं को जुटाया. फिलिस्तीन मुक्ति संगठन, अफगान मुजाहिदीन और दुबई में बसे कई सारे धनाड्य को जिम्मेदारियां दीं. 

Advertisement

'बाबरी ढांचे का बदला लेना चाहता था आईएसआई?'

दुबई, अबू धाबी, लंदन, कराची समेत दूसरे शहरों में षड्यंत्र की बैठकें हुईं. इसमें मंत्रणा की गई. आईएसआई तत्काल हमला करना चाहती थी, ताकि उसे बाबरी मस्जिद के बदले से जोड़कर देखा जाए. वे मुंबई के नौजवानों को ऑपरेशन में शामिल करना चाहते थे, ताकि इसमें किसी तरह का पाकिस्तान कनेक्शन ना दिखाई दे. ऑपरेशन को लीड करने की जिम्मेदारी टाइगर मेमन और मोहम्मद दोसा को दी गई. मेमन जानता था कि वो दाऊद की सहमति के बिना इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम नहीं दे पाएगा. नतीजन हड़बड़ी में कुछ और बैठकें बुलाई गईं. इधर, छोटा राजन को लेकर भी बेरुखी बरती जा रही थी. छोटा राजन ने देखा कि दाऊद इन बैठकों में घंटों कमरे में बंद रहता है. शकील भी मौजूद रहता था. बाद में दाऊद ने साधन मुहैया कराने के लिए टाइगर को अपनी रजामंदी दे दी. बाबरी मस्जिद विध्वंस के ठीक एक महीने बाद तीन हिंदुस्तानी युवाओं को हवाई जहाज से पाकिस्तान भेजा गया. वहां गोलीबारी से लेकर आरडीएक्स बिछाने तक की ट्रेनिंग दी गई. बाद में दुबई में गोपनीयता की शपथ दिलाई गई.

मुंबई धमाकों से पहले भाग गया था टाइगर मेमन

इन तीन हिंदुस्तानी युवाओं के दिमाग में जिहाद का जज्बा ठूंस-ठूंस भरा गया. उन्हें गुजरात दंगों में मुस्लिम महिलाओं के साथ ज्यादती के वीडियो दिखाए गए. इन युवाओं ने जबरदस्त हमलाकर बदला लेने का वादा किया. फरवरी 1993 में विस्फोटक सामग्री को महाराष्ट्र के रायगढ़ तट से मुंबई लाया गया. 12 मार्च 1993 को दस सिलसिलेवार बम धमाकों ने मुंबई में दहशत फैला दी. सुबह जब दाऊद के आदमियों ने मुंबई में आतंकी हमले के लिए बम रखने शुरू किए, उसके कई घंटे पहले  टाइगर मेमन और उसका पूरा परिवार (बूढ़े मां-बाप, चार भाई, उनकी बीवियां) देश छोड़कर भाग चुके थे. पुलिस को टाइगर मेमन की भाभी रूबीना की वैन और उसके भाई याकूब मेमन का स्कूटर रास्ते में खड़ा मिला था. धमाके के कुछ आरोपियों गिरफ्तार किए गए, कुछ पाकिस्तान भागने में कामयाब हुए. पूरा देश इन धमाकों के लिए दाऊद को जिम्मेदार ठहरा रहा था. मुंबई को इस तरह घुटनों के बल गिराने की ताकत सिर्फ उसी में है. भारत सरकार ने दाऊद को दुबई से देश निकाला देने का शोर मचाया. यूएएई सरकार पर दबाव डाला गया. कहते हैं कि उस समय यूएई के ताकतवर शेख उससे भी उससे हिल गए थे.

Advertisement

'मुंबई हमले में मारे गए थे 257 लोग'

1985 के बाद दाऊद इब्राहिम की पहली तस्वीर 2016 में सामने आई, जिसमें वो पूरा दिखाई दे रहा था. उसके बाद दाऊद की कोई तस्वीर पब्लिक डोमेन में नहीं आई. 12 मार्च, 1993 को मुंबई में 13 जगह ब्लास्ट हुए थे. इसमें करीब 257 लोगों की मौत हुई थी और 700 लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए थे. इस घटना के बाद भी दाऊद ने मुंबई में अपना गैरकानूनी कारोबार जारी रखा. इस घटना के बाद उसने भारत से भागकर पहले गल्फ देशों में फिर पाकिस्तान में जाकर पनाह ली. पाकिस्तान के कराची में अपना ठिकाना बनाया और परिवार के साथ वहीं रहता है.

दाऊद

'मुच्छड़ के नाम से भी जाना जाता था दाऊद'

एस. हुसैन जैदी की किताब 'डोंगरी से दुबई तक' में भी दाऊद के कई नामों के होने का दावा किया गया है. मुंबई अंडरवर्ल्ड में शुरुआती दौर में उसे 'मुच्छड़' के नाम से जाना जाता था. इसकी वजह उसकी मोटी और घनी मूछें थी. लेकिन भारत से भागने के बाद वो लगातार अपना नाम और पहचान बदलता रहा. कहा जाता है कि हुलिया बदलने के लिए उसने कई बार अपने चेहरे की सर्जरी भी कराई. पाकिस्तान में बसा तो नाम भी बदल लिया. उसके छद्म नामों से एक शेख दाऊद हसन भी है. यह नाम पाकिस्तान में उसकी पहचान है. इसके अलावा कुछ लोग उसे डेविड या भाई भी कहकर बुलाते हैं. भारत में मौजूद लोगों को जब वह फोन करता है तो हाजी साहब या फिर अमीर साहब के नाम से पहचान कराई जाती है. पाकिस्तान में उसके ठिकानों की हर एक हकीकत भारत के सामने आ चुकी है. भारत सरकार ने पाकिस्तान को जो डोजि‍यर सौंपा है, उसमें उसके तमाम ठिकानों का जिक्र है.

Advertisement

डोंगरी टू दुबई... पिता कांस्टेबल थे

- दाऊद इब्राहिम के पिता एक पुलिस कांस्टेबल थे. जबकि दाऊद अपराध और उगाही का इंटरनेशनल नेटवर्क यानी 'डी कंपनी' चलाता है. दाऊद का भाई अनीस इब्राहिम उसकी डी कंपनी को चलाने में मदद करता है.
- दाऊद का एक भाई इकबाल कासकर मुंबई में अपनी वाइफ और अपने तीन बच्चों के साथ रहता है.  उस पर 2011 में जानलेवा हमला हुआ था. 
- एस हुसैन जैदी की किताब 'डोंगरी टू दुबई' के मुताबिक, मुंबई के पास स्थित डोंगरी इलाके को गैरकानूनी काम और अराजकता के लिए जाना जाता है. हाजी मस्तान, करीम लाला और वासु दादा सरीखे माफिया भी यहां से निकले. उसी डोंगरी से दाऊद निकला. दाऊद इब्राहिम कासकर का जन्म 1955 में मुंबई में हुआ था. उसकी परवरिश मध्य मुंबई की एक झुग्गी बस्ती डोंगरी में हुई. दाऊद कम उम्र से ही चोरी, डकैती और धोखाधड़ी में शामिल हो गया. 1993 बम ब्लास्ट में उसे मुख्य आरोपी बनाया गया, तब वो पाकिस्तान के कराची में बैठकर मुंबई के अंडरवर्ल्ड पर राज करता था. ब्लास्ट के बाद दाऊद सीधे केंद्रीय एजेंसियों के राडार पर आ गया था. 

Dawood Ibrahim hospitalised in Pakistan's Karachi amid reports of poisoning  - India Today
- साल 1981 में दाऊद इब्राहिम और उसके भाई शब्बीर को एक गैस स्टेशन में घेर लिया गया था. इस दौरान शब्बीर मारा गया था. दाऊद भाग गया था. तीन साल के अंतराल के बाद साल 1984 में दाऊद ने अपने भाई शब्बीर की हत्या में शामिल तीनों हमलावरों को मार डाला था.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement