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शशि थरूर बनेंगे मुख्यमंत्री? कांग्रेस सांसद ने शेयर किया सर्वे, खुद को बताया केरल का सबसे पसंदीदा उम्मीदवार

केरल में अगले साल मई में चुनाव होने हैं और कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ, पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ एलडीएफ सरकार को लगातार तीसरी बार सत्ता में आने से रोकने की पूरी कोशिश करेगी.

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सर्वे में सीएम उम्मीदवार की पहली पसंद रहे शशि थरूर (Photo: PTI)
सर्वे में सीएम उम्मीदवार की पहली पसंद रहे शशि थरूर (Photo: PTI)

क्या कांग्रेस सांसद शशि थरूर आगामी केरल विधानसभा चुनाव में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) की तरफ से मुख्यमंत्री पद का चेहरा? वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने एक सर्वे का डेटा शेयर करते हुए इस बात के संकेत दिए, जिसमें उन्हें सीएम पोस्ट के लिए यूडीएफ की तरफ से सबसे आगे बताया गया है.

सर्वे में टॉप पर शशि थरूर

स्वतंत्र एजेंसी वोट वाइब की तरफ से किए गए सर्वे से पता चला है कि राज्य में ज़बरदस्त सत्ता विरोधी लहर है. सर्वे के मुताबिक थरूर को 28.3 फीसदी लोगों ने यूडीएफ की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पसंद किया है. हाल के दिनों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने की वजह से वह कांग्रेस के निशाने पर आ गए हैं.

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केरल में अगले साल मई में चुनाव होने हैं और कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ, पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ एलडीएफ सरकार को लगातार तीसरी बार सत्ता में आने से रोकने की पूरी कोशिश करेगी.

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सर्वे के मुताबिक 30 फीसदी पुरुष वोटर्स ने थरूर का समर्थन किया, जबकि 27% महिलाओं ने सीएम पद के लिए थरूर को अपनी पहली पसंद बताया है. तिरुवनंतपुरम से चार बार सांसद रहे थरूर को वृद्ध मतदाताओं (55 वर्ष से ज्यादा उम्र) का 34.2 फीसदी समर्थन हासिल है. सर्वे के मुताबिक, 18-24 आयु वर्ग से उनको 20.3% समर्थन मिला है.

थरूर और कांग्रेस के बीच मतभेद

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब कांग्रेस सांसद थरूर ने केंद्र की नीतियों का सार्वजनिक रूप से समर्थन किया और इसके बाद कांग्रेस नेतृत्व के साथ उनके रिश्तों में खटास आ गई है. दरअसल, इस साल की शुरुआत में केरल सरकार की नई औद्योगिक नीति की तारीफ करने के बाद कांग्रेस के साथ उनके संबंधों में सबसे पहले खटास आई थी. इस पर केरल कांग्रेस में उनके सहयोगियों ने थरूर की कड़ी आलोचना की थी.

एलडीएफ पर सर्वे क्या कहता है?

दूसरी ओर, सर्वे मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के लिए मुश्किल वक्त की ओर इशारा करता है. सिर्फ 17.5% लोगों ने 2026 के चुनावों में विजयन को फिर से सीएम पद के उम्मीदवार के रूप में देखने के पक्ष में मतदान किया है. पूर्व स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा, जो कोरोना महामारी के खिलाफ केरल की लड़ाई का चेहरा बनीं, लोगों के बीच एलडीएफ की तरफ से सबसे बड़े विकल्प के रूप में उभरीं, जिन्हें 24.2 फीसदी लोग सीएम फेस बनते देखना चाहते हैं.

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सर्वे में दोनों गठबंधनों में नेतृत्व की कमी साफ तौर पर दिखाई पड़ती है, जिसमें 27.1 फीसदी यूडीएफ समर्थक इस बात को लेकर अनिश्चित हैं कि वे गठबंधन में किसे मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. सत्तारूढ़ एलडीएफ के लिए यह आंकड़ा बहुत बड़ा है, जिसमें 41.5 फीसदी लोग गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर कुछ भी तय नहीं कर पाए हैं.

थरूर ने बनाई अलग पहचान

खास तौर पर केरल में सीपीएम, एलडीएफ गठबंधन का सबसे बड़ा घटक, जो 2016 से राज्य में सत्ता में है, ने इस साल मार्च में 2026 के चुनावों के लिए एलडीएफ गठबंधन के चेहरे के रूप में विजयन का जोरदार समर्थन किया था. 

दूसरी ओर, थरूर कांग्रेस हाईकमांड को असहज करने की कीमत पर भी अपनी स्वतंत्र सोच के लिए जाने जाते हैं. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के साथ उनकी हालिया बातचीत, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद, सिंधु जल संधि और सैन्य कार्रवाई के मामले में भारत की स्थिति को सबसे बेहतर तरीके से व्यक्त किया, कांग्रेस नेतृत्व को रास नहीं आई है.

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