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Operation Sindoor: जैश-ए-मोहम्मद का कम्युनिकेशन नेटवर्क तबाह, भारत में घुसे आतंकियों से बातचीत में आता था काम

jaish e mohammed communication network destroyed: भारतीय वायुसेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' में पाकिस्तान के सरजाल गांव में जैश-ए-मोहम्मद का हाई-फ्रीक्वेंसी कम्युनिकेशन नेटवर्क तबाह कर दिया है. यह केंद्र आतंकियों और पाकिस्तानी आकाओं के बीच संपर्क का प्रमुख जरिया था. इस हमले से भारत में छिपे आतंकियों की संपर्क व्यवस्था कमजोर हुई है.

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प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान में एक आतंकवादी शिविर की तस्वीर दिखाई गई है. जिस पर 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत हमला किया गया था.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान में एक आतंकवादी शिविर की तस्वीर दिखाई गई है. जिस पर 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत हमला किया गया था.

भारतीय वायुसेना ने बुधवार रात 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत एक सटीक और खुफिया जानकारी पर आधारित हमले में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाया. इसमें सबसे अहम लक्ष्य था जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का संचार नेटवर्क. ये पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के शकरगढ़ स्थित सरजाल गांव के टेहरा कलां नामक स्थान पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भीतर था.

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी सफलता
यह नेटवर्क एक हाई-फ्रीक्वेंसी (HF) संचार प्रणाली पर आधारित था, जिसका उपयोग जम्मू-कश्मीर में घुसे आतंकियों के साथ संपर्क और गतिविधियों के समन्वय में किया जा रहा था. इसे ध्वस्त करना भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है.

ऊंचे एंटीना की मदद से संचालित होता था
यह ठिकाना एक ऊंचे एंटीना की मदद से संचालित होता था, जिसे विशेष रूप से लंबी दूरी तक सिग्नल भेजने के लिए तैयार किया गया था. खुफिया सूत्रों के अनुसार, इस नेटवर्क को खत्म करने से भारत में छिपे आतंकियों और पाकिस्तान में बैठे उनके संचालकों के बीच संपर्क बाधित हो सकता है.

भारतीय एजेंसियों की निगरानी से बचने की कोशिश
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की सेना और उसकी खुफिया एजेंसी ISI आतंकियों को उन्नत सैन्य संचार उपकरण जैसे LoRa (लॉन्ग रेंज) अल्ट्रा सेट्स और डिजिटल मोबाइल रेडियो (DMR) मुहैया करा रही थी. ये उपकरण सामान्य टेलीकॉम नेटवर्क से अलग होते हैं, जिससे भारतीय एजेंसियों की निगरानी से बचा जा सके.

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इसके अलावा, पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा (LoC) के पास अपने टेलीकॉम सिग्नलों को और मजबूत किया है, जिससे घुसपैठ करने वाले आतंकवादी पाकिस्तानी टेलीकॉम नेटवर्क का उपयोग कर सकें.

100 किलोमीटर तक की दूरी में दोतरफा बातचीत
LoRa तकनीक कम फ्रीक्वेंसी पर लंबी दूरी तक संचार की सुविधा देती है, जबकि DMR सिस्टम गैर-सरकारी रेडियो नेटवर्क पर काम करते हैं. इनसे 100 मीटर से लेकर 100 किलोमीटर तक की दूरी में दोतरफा संवाद संभव होता है. हालांकि, पहाड़ जैसे प्राकृतिक ब्लॉकेज इनके सिग्नल की स्पष्टता को प्रभावित कर सकते हैं.

आतंकियों की संचार व्यवस्था को लगा बड़ा झटका
चीनी कंपनियों की ओर से पाकिस्तान के लिए बनाए गए इन अल्ट्रा सेट्स को सामान्य GSM या CDMA नेटवर्क से बाहर की फ्रिक्वेंसी पर काम करने के लिए तैयार किया गया है. इन सेट्स के बीच सीधे संपर्क नहीं होता, बल्कि संदेशों को एन्क्रिप्टेड रूप में सरजाल स्थित नियंत्रण केंद्र से प्रसारित किया जाता था. अब इस केंद्र के नष्ट होने से आतंकियों की संचार व्यवस्था को बड़ा झटका लगा है.

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