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PM मोदी की डिग्री पर दिया था विवादित बयान, मानहानि केस में अरविंद केजरीवाल की याचिका SC से भी खारिज

अरविंद केजरीवाल की गुजरात यूनिवर्सिटी के आपराधिक मानहानि मामले की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. इससे पहले, हाईकोर्ट में भी उनकी मांग ठुकराई जा चुकी थी. गुजरात यूनिवर्सिटी ने पीएम मोदी की डिग्री पर सवाल खड़े करने के लिए मानहानि का मुकदमा किया था.

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 पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योग्यता पर सवाल उठाने वाले दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है. गुजरात यूनिवर्सिटी ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा किया था और इसकी कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग के साथ पूर्व सीएम सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, जहां उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी इस मांग को खारिज कर दी.

जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा कि हम ऐसी ही समान टिप्पणी के संबंध में आप नेता संजय सिंह की इसी तरह की याचिका भी खारिज कर चुके हैं. अरविंद केजरीवाल ने निचली अदालत से जारी हुए समन को चुनौती देते हुए मामले की सुनवाई पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी. गुजरात हाईकोर्ट ने भी केजरीवाल की ये मांग ठुकरा दी थी.

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संजय सिंह के मामले का दिया हवाला

अप्रैल 2024 में सुप्रीम कोर्ट इसी मामले में आप नेता संजय सिंह की मांग भी ठुकरा चुका है. गुजरात यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल ने अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह की टिप्पणियों के खिलाफ मानहानि का मामला दाखिल कर रखा है.

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इस पर गुजरात हाईकोर्ट ने केजरीवाल को राहत नहीं दी है. हाईकोर्ट के फैसले को केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी है. केजरीवाल की मांग है कि उनके खिलाफ चल रहे मानहानि के मामले पर रोक लगाई जाए.

अगर मानहानि था तो...!

वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अरविंद केजरीवाल का प्रतिनिधित्व करते हुए अदालत में तर्क दिया कि नरेंद्र मोदी की विश्वविद्यालय की डिग्री के पब्लिकेशन के बारे में केजरीवाल के सवाल मानहानि नहीं थे. सिंघवी ने कहा कि अगर इस मामले में कोई मानहानि है, तो इसे खुद मोदी (पीएम) को संबोधित करना चाहिए, न कि गुजरात यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को.

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इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने अदालत को बताया कि संजय सिंह के संबंधित मामले में एक पूर्व अदालत आदेश का हवाला दिया, जबकि सिंघवी ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों मामलों में दिए गए बयानों में अंतर हैं.

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