कोरोना महामारी संकट के बीच सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. इसमें उन्होंने कोरोना संकट का हवाला देते हुए बुजुर्ग कैदियों की रिहाई की गुहार लगाई है.
मेधा पाटकर ने अपनी जनहित याचिका में कहा है कि कोविड संकट फिलहाल टला नहीं हैं और कोरोना की तीसरी लहर आने की भी आशंका है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की है कि ऐसे में 70 साल से अधिक उम्र के कैदियों को अंतरिम जमानत या आपात परोल पर रिहा किया जाना चाहिए.
पाटकर ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की है कि वह केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से इस बाबत कदम उठाने और कानूनी बंदोबस्त करने के निर्देश दे. इस याचिका पर इसी आने वाले हफ्ते में सुनवाई की संभावना है.
पाटकर का दावा - इससे जेलों पर बोझ भी कम होगा
आजतक से बातचीत में पाटकर ने कहा कि उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों के अलावा उच्चाधिकार प्राप्त समितियों को पूरे देश में एकसमान व्यवस्था बनाने का निर्देश दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. पाटकर ने आगे कहा कि 70 साल से ऊपर के कैदियों की रिहाई से जेलों पर बोझ भी घटेगा और बुजुर्ग कैदियों पर मंडरा रहा संक्रमण का खतरा भी कम होगा.
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बता दें कि कोरोना संक्रमण जब जेलों तक पहुंच गया था तो कैदियों को परोल पर छोड़ा गया था. कई जगहों से ऐसे मामले भी सामने आए थे कि परोल का वक्त पूरा होने पर भी कैदी जेल में वापस जाने की जगह फरार हो गए थे.