कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर खड़ा हुआ सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है. दिल्ली और बेंगलुरु दोनों जगहों पर मंगलवार को राजनीतिक हलचल तेज हो गई, जिससे साफ संकेत मिलता है कि पार्टी के भीतर खींचतान अब खुलकर सामने आ चुकी है.
डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के समर्थक छह से आठ विधायक देर रात दिल्ली पहुंचे हैं, जो हाईकमान पर दबाव बढ़ाने की ताजा कोशिश मानी जा रही है. ये पिछले एक हफ्ते में तीसरी बार है जब शिवकुमार कैंप के विधायक दिल्ली का रुख कर रहे हैं. ये विधायक नेतृत्व से मुलाकात के लिए अपॉइंटमेंट का इंतजार कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि पार्टी उनकी शिकायतों और नेतृत्व से जुड़े सवालों पर स्पष्टता दे.
उधर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को मंगलवार को दिल्ली लौटना था, उन्होंने फिलहाल अपना कार्यक्रम टाल दिया है और बेंगलुरु में ही रुक गए हैं. सूत्र बताते हैं कि खड़गे से कई मंत्री और वरिष्ठ नेता व्यक्तिगत तौर पर मिल रहे हैं, जिससे साफ है कि पार्टी पहले राज्य में ही स्थिति को शांत करने की कोशिश कर रही है.
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इस बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी अपनी तरफ से रणनीति मजबूत करने के संकेत दिए हैं. उन्होंने सुबह-सुबह अपने कावेरी आवास पर एक बंद कमरे की मीटिंग बुलाई, जिसमें मंत्री डॉ. जी परमेश्वर, एचसी महादेवप्पा, जमीर अहमद खान और कानूनी सलाहकार एएस पोन्ना मौजूद थे. ये बैठक करीब आधे घंटे चली और इसे शिवकुमार गुट की बढ़ती हलचल पर सीएम की काउंटर मूव के तौर पर देखा जा रहा है.
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बैठक के बाद सिद्धारमैया चिकबल्लापुर के लिए रवाना हो गए. महादेवप्पा और जमीर अहमद उनके साथ ही कार में थे जबकि परमेश्वर जिन्होंने हाल ही में कहा था कि 'मैं हमेशा सीएम रेस में रहा हूं' वो कुछ देर बाद अलग से बाहर निकले. बेंगलुरु की बैठकों और दिल्ली में बढ़ती लामबंदी ने साफ कर दिया है कि कर्नाटक कांग्रेस के भीतर नेतृत्व का संघर्ष अब खुलकर सामने है.
एक तरफ सिद्धारमैया अपनी लॉबी मजबूत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शिवकुमार समर्थक लगातार दिल्ली में डेरा डालकर हाईकमान पर दबाव बढ़ा रहे हैं. अब सबकी नजरें खड़गे के अगले कदम पर हैं. यही तय करेगा कि पार्टी जल्द इस संकट को साध लेगी या ये खींचतान और लंबी चलेगी.