विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया आज बेहद उथल-पुथल भरे दौर से गुजर रही है. ऐसे समय में भारत ने G20 के अध्यक्ष के तौर पर अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है. यह समय हमारी उपलब्धियों और चुनौतियों का जायजा लेने का है. लेकिन कुछ देश अपने हिसाब से एजेंडा तय करने में लगे हैं.
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि भारत से नमस्ते. विश्वास की बहाली और वैश्विक एकजुटता के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा की इस थीम को हमारा पूरा समर्थन है. यह अवसर हमारी आकांक्षाओं और लक्ष्यों को साझा करते हुए हमारी उपलब्धियों और चुनौतियों का जायजा लेने का है.
जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा कि सियासी सहूलियत के हिसाब से आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर एक्शन नहीं लेना चाहिए. अपनी सहूलियत के हिसाब से क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं हो सकता. अभी भी कुछ देश ऐसे हैं, जो एक तय एजेंडे पर काम करते हैं लेकिन ऐसा हमेशा नहीं चल सकता और इसके खिलाफ आवाज उठाई जानी चाहिए. जब वास्तविकता, बयानबाजी से कोसों दूर हो जाती है तो हमारे भीतर इसके खिलाफ आवाज उठाने का साहस होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि भारत ने विभिन्न साझेदारों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना चाहता है. अब हम गुटनिरपेक्षता के युग से अब विश्व मित्र के रूप में विकसित हो गए है. यह क्वाड के विकास और ब्रिक्स समूह के विस्तार से झलकता है. हम परंपराओं और तकनीक दोनों को आत्मविश्वास के साथ एक साथ पेश करते हैं. यही तालमेल आज भारत को परिभाषित करता है. यही भारत है.
वैश्विक ध्रुवीकरण के बीच कूटनीति और संवाद ही समाधान
जयशंकर ने कहा कि G20 समिट ने सिद्ध कर दिया है कि दुनिया में ध्रुवीकरण के बीच कूटनीति और संवाद ही एकमात्र प्रभावी समाधान है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में कहें तो दूरियों को कम करने, बाधाओं को हटाने और सहयोग का बीज बोने की जरूरत है.
दुनिया ने भारत की क्षमता को पहचाना
जयशंकर कहा कि भारत ने अमृतकाल में प्रवेश कर गया है. हमें विश्वास है कि हमारी प्रतिभा को दुनिया ने पहचान लिया है. हमारा चंद्रयान-3 चांद पर पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि जब हमारा पड़ोसी मुल्क श्रीलंका आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा था तब हम सबसे पहले मदद को आगे आए थे. दुनिया ने हमारे योगदान को सराहा भी है.
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि हम हमेशा से कानून आधारित व्यवस्था में विश्वास रखते हैं. लेकिन अभी भी कुछ देश ऐसे हैं, जो एक तय एजेंडे पर काम करते हैं लेकिन ऐसा हमेशा नहीं चल सकता और इसके खिलाफ आवाज उठाई जानी चाहिए. एक निष्पक्ष, समान और लोकतांत्रिक व्यवस्था का सभी को पालन करना चाहिए.