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'तीन नए क्रिमिनल लॉ का क्रियान्वयन स्थगित किया जाए', कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने की मांग

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि 25 दिसंबर 2023 को भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को अपनी स्वीकृति दी थी. लेकिन इन तीन कानूनों को उचित बहस और चर्चा के बिना संसद में बुलडोजर से पारित किया गया था, और ऐसे समय में जब 146 सांसदों को लोकसभा और राज्यसभा से निलंबित किया गया था.

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जयराम रमेश (फाइल फोटो- PTI)
जयराम रमेश (फाइल फोटो- PTI)

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मांग की कि 1 जुलाई से लागू होने वाले तीन क्रिमिनल लॉ के क्रियान्वयन को स्थगित किया जाए, उन्होंने कहा कि इन विधेयकों को संसद में "बुलडोजर" से पारित किया गया था. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में जयराम रमेश ने कहा कि इन कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित किया जाना चाहिए, ताकि गृह मामलों पर पुनर्गठित स्टैंडिंग कमेटी द्वारा गहन समीक्षा और पुनः जांच की जा सके, क्योंकि इन्हें ऐसे समय में पारित किया गया था, जब 146 सांसदों को निलंबित किया गया था.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि 25 दिसंबर 2023 को भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को अपनी स्वीकृति दी थी. लेकिन इन तीन कानूनों को उचित बहस और चर्चा के बिना संसद में बुलडोजर से पारित किया गया था, और ऐसे समय में जब 146 सांसदों को लोकसभा और राज्यसभा से निलंबित किया गया था. 

उन्होंने कहा कि इससे पहले गृह मामलों की स्टैंडिंग कमेटी ने देशभर के हितधारकों के साथ विस्तृत बातचीत किए बिना विधेयकों को पारित कर दिया था. जयराम रमेश ने कहा कि तीनों नए कानून 1 जुलाई 2024 से लागू होने वाले हैं और कांग्रेस का मजबतू ओपिनियन है कि गृह मामलों की पुनर्गठित स्टैंडिग कमेटी द्वारा कानूनों की गहन समीक्षा और पुनःपरीक्षण के लिए 1 जुलाई की तारीख को स्थगित किया जाना चाहिए.  

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कांग्रेस नेता ने कहा कि पैनल को लॉ एक्सपर्ट्स और संगठनों के साथ ज्यादा व्यापक और सार्थक डिस्कशन करना चाहिए. जिनके पास मौजूदा तीनों कानूनों पर गंभीर चिंताएं हैं, इसके बाद 18वीं लोकसभा और राज्यसभा द्वारा भी इसकी जांच की जानी चाहिए. 

बता दें कि शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर तीनों आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन को स्थगित करने की मांग की थी और कहा था कि इन्हें जल्दबाजी में पारित किया गया. इससे पहले डीएमके ने भी इसी तरह की मांग की है. 

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