
आंध्र प्रदेश की नई राजधानी विशाखापट्टनम होगी. मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने मंगलवार को इसका ऐलान किया. उन्होंने बताया कि जल्द ही राज्य की राजधानी विशाखापट्टनम में शिफ्ट की जाएगी.
जगन मोहन रेड्डी ने बताया कि 3 या 4 मार्च को विशाखापट्टनम में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जाएगा.
इसके साथ ही अब आंध्र प्रदेश में अब तीन राजधानियां होंगी. एक होगी विशाखापट्टनम, जहां से सरकार काम करेगी. दूसरी होगी अमरावती, जहां विधानसभा होगी और तीसरी होगी कुर्नूल जहां हाई कोर्ट होगा. आंध्र प्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां तीन राजधानियां हैं.
अमरावती को राजधानी बनाने में 27 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो चुके हैं. वहां विधानसभा बन चुकी है. कुछ महीनों पहले सीएम जगन मोहन रेड्डी ने कहा था कि विशाखापट्टनम को राजधानी बनाने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये काफी है. ऐसे में जानना जरूरी है कि आंध्र प्रदेश में राजधानियों पर विवाद क्या है?
क्या है राजधानियों का विवाद?
2014 में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दो अलग-अलग राज्य बने. उस समय पुनर्गठन कानून में प्रावधान किया गया कि अगले 10 साल तक हैदराबाद दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी होगा.
आंध्र प्रदेश की नई राजधानी के लिए केंद्र सरकार ने शिवराम कृष्णन कमेटी का गठन किया. इस कमेटी ने एक से ज्यादा राजधानी बनाने की सिफारिश की. साथ ही ये भी सुझाव दिया कि विजयवाड़ा और गुंटूर के बीच का इलाका उपजाऊ है, इसलिए उधर राजधानी न बनाई जाए.
उस समय चंद्रबाबू नायडू मुख्यमंत्री थे. उन्होंने कमेटी की सिफारिशों को नहीं माना और अमरावती को राजधानी बना दिया. 22 अक्टूबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमरावती में नई राजधानी के निर्माण की बुनियाद भी रखी.
चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने अमरावती को नई राजधानी बनाने के लिए किसानों से 33 हजार एकड़ जमीन का अधिग्रहण भी कर लिया था. अमरावती में अस्थाई विधानसभा, सचिवालय और दूसरी इमारतों का निर्माण करवाना शुरू कर दिया.

ऐसे आया तीन राजधानियों का आइडिया
चंदद्रबाबू नायडू की सरकार अमरावती को राजधानी बनाने का मन बना चुकी थी, लेकिन 2019 में सरकार बदल गई और वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व में नई सरकार बनी.
राजधानी के मुद्दे पर जगन मोहन रेड्डी ने जीएन राव कमेटी का गठन किया. उन्होंने बताया कि उनकी सरकार तीन राजधानी बनाने पर विचार कर रही है.
पिछले साल मार्च में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार को अमरावती को ही राजधानी के रूप में विकसित करने का आदेश दिया. साथ ही ये भी कहा कि विधानसभा के पास राजधानी को शिफ्ट करने या तीन भागों में बांटने का अधिकार नहीं है.
हाई कोर्ट के इस आदेश को आंध्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. मुख्यमंत्री समेत कई मंत्री कह चुके हैं कि तीन राजधानियां बनाने के लिए नया बिल लाया जाएगा. फिलहाल ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है.
क्या और किसी राज्य में है ऐसा?
अब तक किसी भी राज्य में ऐसा नहीं हुआ है जिसमें सरकार, प्रशासनिक मशीनरी एक शहर में हो और विधानसभा दूसरे शहर में. आमतौर पर ये दोनों एक ही जगह होता है और उसे ही राजधानी का दर्जा दिया जाता है.
हालांकि, महाराष्ट्र और कर्नाटक में विधानसभा के सत्र दो अलग-अलग शहरों में होते हैं. महाराष्ट्र में साल में एक बार विधानसभा नागपुर में बैठती है. इसी तरह कर्नाटक में भी बेंगलुरु के अलावा बेलगावी में विधानसभा है. हिमाचल में भी शिमला और धर्मशाला में विधानसभा बैठती है.
हालांकि, ऐसा कई राज्यों में है कि वहां की हाई कोर्ट राजधानी से हटकर दूसरे शहरों में है. जैसे- मध्य प्रदेश की हाई कोर्ट जबलपुर है, जबकि राजधानी भोपाल है. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून है, लेकिन उसकी हाई कोर्ट नैनीताल में है. इसी तरह छत्तीसगढ़, केरल, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी हाई कोर्ट राजधानी के बाहर दूसरे शहरों में है.