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सस्ता इलाज, बेहतर सुविधाएं... कितने पाकिस्तानी हर साल मेडिकल वीजा पर इंडिया आते हैं? पिछले 6 साल का देखें आंकड़ा  

किडनी और लीवर ट्रांसप्लांट से लेकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज और ओपन-हार्ट सर्जरी तक, भारत हजारों पाकिस्तानी नागरिकों को बीते कुछ वर्षों में मानवीय आधार पर वीजा जारी करता रहा है. लेकिन भारत की इस दयालुता के बदले पाकिस्तान ने हमेशा उसकी पीठ में खंजर घोंपा है.

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 भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी नागरिकों को जारी मेडिकल वीजा रद्द कर दिया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी नागरिकों को जारी मेडिकल वीजा रद्द कर दिया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाओं को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की घोषणा की और लॉग टर्म, डिप्लोमेटिक और ऑफिशियल वीजा को छोड़कर, उन्हें जारी किए गए अन्य सभी तरह के अल्पकालिक वीजा रद्द कर दिए. यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन मैदान में पर्यटकों पर 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के बीच उठाया गया है. इस हमले में 25 भारतीय नागरिक और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई थी. जवाबी कार्रवाई के तहत भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए ज्यादातर वीजा तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिए हैं.

दशकों से भारत ने उन पाकिस्तानी नागरिकों के लिए अपने दरवाजे खोले हैं जो गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं और उन्हें विश्व स्तरीय मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता है. भारत अक्सर उन पाकिस्तानी मरीजों के लिए वीजा की प्रक्रिया को तेज कर देता है जिन्हें तत्काल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है और इसे आगे के लिए नहीं टाला नहीं जा सकता. किडनी और लीवर ट्रांसप्लांट से लेकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज और ओपन-हार्ट सर्जरी तक, भारत हजारों पाकिस्तानी नागरिकों को बीते कुछ वर्षों में मानवीय आधार पर वीजा जारी करता रहा है. लेकिन भारत की इस दयालुता के बदले पाकिस्तान ने हमेशा उसकी पीठ में खंजर घोंपा है.

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भारत के अस्पतालों ने हजारों पाकिस्तानी नागरिकों को नया जीवन दिया और कई मौकों पर इसके लिए कोई पैसे भी नहीं लिए. लेकिन पाकिस्तान की आतंक की फैक्ट्रियां भारत को खून से लथपथ करती रहीं. भारत ने दया दिखाई और उसे बदले में विश्वासघात मिला. पाकिस्तान की इन नापाक हरकतों का खामियाजा उसके नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है. ताजा मामला पहलगाम आतंकी हमले के बाद का है. चिकित्सा उपचार के लिए भारत में आए पाकिस्तानी नागरिकों का मेडिकल वीजा भारत ने रद्द कर दिया है और उन्हें वापस अपने देश लौटने के लिए 7 दिन का समय दिया है. गंभीर बीमारी से जूझ रहे पाकिस्तानी नागरिकों को भी कोई रियायत नहीं मिली है. 

पाकिस्तानी इलाज के लिए भारत ही क्यों आते हैं?

आपके मन में यह सवाल भी पनप रहा होगा कि इलाज के लिए चीन, अमेरिका या यूरोप की बजाय पाकिस्तानी नागरिक भारत क्यों आते हैं? इसका जवाब है, कम लागत में मिलने वाली विश्व स्तरीय मेडिकल सुविधाएं. भारत मेडिकल टूरिज्म के लिहाज से दुनिया में एक उभरता हुआ देश है. भारत में बेहतरीन हॉस्पिटल और मेडिकल रिसर्च सेंटर, दुनिया के टॉप डॉक्टर और सर्जन हैं. भारतीय डॉक्टर दुनिया भर में मशहूर हैं. साथ ही सबसे बड़ा फैक्टर है मेडिकल ट्रीटमेंट पर आने वाली लागत, जो अन्य देशों की तुलना में बहुत अफोर्डेबल है. भारत में इलाज की लागत अमेरिका की तुलना में लगभग 1/10 है. यही कारण है कि पाकिस्तान और दुनिया के अन्य देशों के मरीजों के लिए गंभीर बीमारियों के इलाज और सर्जरी के लिए भारत पहली पसंद है. 

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इसके अलावा पाकिस्तानियों के लिए चीन, यूरोप और अमेरिका जाने में भाषा की समस्या आती है. इसलिए वे भारत में खुद को ज्यादा सहज पाते हैं, क्योंकि उनके लिए स्थानीय लोगों, डॉक्टरों और अस्पताल के कर्मचारियों के साथ संवाद करना आसान होता है. भारत और पाकिस्तान खान-पान, संस्कृति और परंपराओं को साझा करते हैं. इसलिए, भारत का वातावरण पाकिस्तान के वातावरण से बहुत मिलता-जुलता है और पाकिस्तानियों के लिए चीन, यूरोप अमेरिका की तुलना में भारत के परिवेश से जुड़ना ज़्यादा आसान होता है. इसके अलावा उन्हें चीन, यूरोप और अमेरिका की तुलना में भारत की यात्रा और यहां ठहरने के लिए कम पैसे खर्च पड़ते हैं. इसलिए पाकिस्तानी मेडिकल टूरिज्म के लिए भारत आना पसंद करते हैं.

लेकिन पाकिस्तान द्वारा भारत में लगातार आतंकवाद को बढ़ावा देने का खामियाजा वहां के जरूरतमंद नागरिकों को भगुतना पड़ता है. वर्ष 2017 में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को लेकर हुए विवाद के कारण दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट और बढ़ गई, जिन्हें पाकिस्तान ने भारतीय जासूस बताकर दोषी ठहराया था. राजनयिक प्रयासों और भारत द्वारा उनकी रिहाई के आग्रह के बावजूद पाकिस्तान ने जाधव को रिहा करने से इनकार कर दिया था. इसके बाद स्थिति बिगड़ती गई. इसका नतीजा ये रहा है कि भारत द्वारा 2016 में पाकिस्तानी नागरिकों को मेडिकल वीजा जारी करने की संख्या 1,600 से घटकर 2024 में मात्र 200 रह गई है. और पहलगाम आतंकी हमले के बाद यह पूरी तरह से रुक सकता है. 

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गत 6 वर्षों में 1228 पाकिस्तानियों ने कराया इलाज

2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद चीजें और भी जटिल हो गईं. इस घटना ने दोनों देशों को सशस्त्र टकराव के कगार पर ला खड़ा कर दिया था. केंद्र सरकार के पास उपलब्ध डेटा से पता चलता है कि 2019 और 2024 के बीच, पाकिस्तानी नागरिकों को केवल 1,228 मेडिकल वीजा जारी किए गए- 2019 में 554, 2020 में 97, 2021 में 96, 2022 में 145, 2023 में 111 और 2024 में 225. भारत की सद्भावना का पाकिस्तान ने हमेशा नाजायत फायदा उठाया है. नई दिल्ली ने इस शत्रुतापूर्ण और आतंकवाद समर्थक राष्ट्र को अपनी हरकतें सुधारने के अनगिनत मौके दिए हैं, खासकर तब जब उसके नेताओं ने हर संभव तरीके से भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ा. लेकिन अब भरोसा पूरी तरह टूट चुका है और इसके फिर से ठीक होने की संभावना हर मिनट कम होती जा रही है. 

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