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क्या खराब मौसम में फंसे भारतीय विमान को रास्ता न देकर PAK ने तोड़े नियम, क्या हो सकता है एक्शन?

दिल्ली से श्रीनगर जा रहा एक यात्री विमान अचानक खराब मौसम की चपेट में आ गया. टर्बुलेंस के चलते पायलट ने पाकिस्तानी एयरस्पेस इस्तेमाल करना चाहा, लेकिन उसने मना कर दिया. तो क्या इमरजेंसी में भी कोई देश अपने एयरस्पेस में विदेशी विमान को रोक सकता है? और अगर कोई हादसा हो जाए तो किसकी जवाबदेही होती है?

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आपात स्थिति में ज्यादातर देश अपना हवाई क्षेत्र खोलते रहे. (Photo- Unsplash)
आपात स्थिति में ज्यादातर देश अपना हवाई क्षेत्र खोलते रहे. (Photo- Unsplash)

हाल में दिल्ली से श्रीनगर जा रहा इंडिगो यात्री विमान तेज हवाओं में फंस गया. तूफान से बचने के लिए विमान ने कुछ देर के लिए पाकिस्तानी हवाई इलाके में जाने की इजाजत चाही, लेकिन लाहौर एयर ट्रैफिक कंट्रोल से मंजूरी नहीं मिली. मजबूरन फ्लाइट उसी तूफान के बीच अपनी मंजिल तक पहुंची. फिलहाल भारत और पाकिस्तान के बीच काफी तनाव चल रहा है. माना जा रहा है कि ये मनाही उसी वजह से हुई होगी. लेकिन अगर कोई दुर्घटना हो जाती, तब क्या एविएशन अथॉरिटी पाकिस्तान को कोई सजा दे सकती थी?

राजनीतिक तनाव के समय एयरस्पेस बंद करना एक सामान्य इंटरनेशनल कूटनीतिक तरीका है, लेकिन जब कोई फ्लाइट आपात स्थिति में फंस जाए, जैसे ओलावृष्टि, इंजन फेल होना या मेडिकल इमरजेंसी, तब ज्यादातर देश अपना हवाई क्षेत्र खोल देते हैं. हालांकि ये कोई बाध्यता नहीं. वे सिर्फ नैतिक या मानवीय आधार पर ऐसा कर सकते हैं, और न करें तो उनकी कोई जवाबदेही नहीं होती.

हवाई क्षेत्र का है बंटवारा

जमीन और समुद्र की तरह एयरस्पेस भी बांट दिया गया. साल 1944 के शिकागो कन्वेंशन में तय हुआ कि हर देश के पास अपने ऊपर के आसमान का पूरा हक है. इसका मतलब है कि वह यह तय कर सकता है कि कौन से विमान उसकी हवाई सीमा में एंट्री ले सकते हैं और कौन नहीं. यही बात इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन (ICAO) का आधार बनी. 

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आमतौर पर दो देश ठीक-ठाक कूटनीतिक रिश्तों के बीच एयरस्पेस खुला रखते हैं लेकिन रिश्ते बिगड़ने पर एक देश को हक है कि वो दूसरे को अपने हवाई इलाके में आने से मना कर दे, भले ही वो सिविलियन फ्लाइट हो. इसमें कोई भी दखल नहीं दे सकता. 

pakistan rejects IndiGo request to use airspace during turbulence photo - PTI

क्या ICAO सजा दे सकता है

नहीं. ये संस्था सिर्फ सिफारिश कर सकती है, या हालात खराब होने पर मध्यस्थता कर सकती है लेकिन किसी भी देश पर सीधे-सीधे अपनी मर्जी नहीं थोप सकती. न ही किसी हादसे की स्थिति में ये जुर्माना लगा सकती है. हां, अगर कोई देश जानबूझकर अपने एयरस्पेस को आपातकालीन हालात में भी बंद कर दे और इससे आम लोगों की जान को खतरा होता है, तो यह अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ना हो सकता है. ऐसे मामले यूएन या इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में उठाए जा सकते हैं. 

इस तरह के कई केस होते रहे

अस्सी के दशक में अमेरिका ने गलती से ईरान एयरलाइंस की फ्लाइट को खाड़ी में मार गिराया था. इसमें लगभग तीन सौ यात्री मारे गए. ईरान ये मामला लेकर इंटरनेशनल कोर्ट तक पहुंचा. अमेरिका ने बाद में भारी मुआवजा दिया था. ICAO बस इतना कर सकती है कि ऐसे केस की रिपोर्ट भेजते हुए सिफारिश करे, आगे यूएन या कोर्ट एक्शन लेते हैं. लेकिन यहां भी साबित करना होगा कि एयरस्पेस न खोलने का फैसला राजनीतिक या कूटनीतिक साजिश के तहत लिया गया है, जिस वजह से जान जोखिम में पड़ी. 

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pakistan rejects IndiGo request to use airspace during turbulence representation photo - AP

बाड़ नहीं, फिर एयरस्पेस कैसे बंद होता है

जमीन या समुद्र की तरह एयरस्पेस की कोई दिखाई देने वाली सीमा नहीं होती. फिर भी हर देश का हवाई क्षेत्र एकदम पक्का होता है. जब कोई देश चाहता है कि कोई विमान उसके ऊपर से न गुजरे, तो वो नोटिस टू एयरमैन जारी करता है. यह एक आधिकारिक वॉर्निंग है, जिसमें कहा जाता है कि फलां एयरस्पेस इन तारीखों या दिनों या देशों के लिए बंद रहेगा. कोई विमान बिना अनुमति न आए. एयरस्पेस की लगातार निगरानी चलती रहती है. साथ ही एयर ट्रैफिक कंट्रोल भी होता है, जो हवाई ट्रांसपोर्ट को कंट्रोल करता है. 

बिना अनुमति विमान घुस आए तो क्या होता है

अगर कोई फ्लाइट बिना इजाजत घुस आए तो पहले रेडियो पर वॉर्निंग मिलती है कि वे तुरंत बाहर निकल जाएं.

इससे भी बात न बने तो फाइटर जेट रूल तोड़ने वाली फ्लाइट को सीमा से बाहर ले जाते हैं. 

हालात ज्यादा गंभीर हों तो फ्लाइट को मार गिराना भी एक रास्ता है. 

राष्ट्रीय सुरक्षा पर जोखिम की स्थिति में ये स्टेप 

शूट डाउन करना एक्सट्रीम कदम है जो नेशनल सिक्योरिटी पर खतरा दिखने पर ही लिया जाता है. ये रूल 9/11 के बाद आया, जब अल-कायदा के आतंकियों ने 4 सिविल विमानों को हाईजैक कर लिया था. इसके बाद ही अमेरिका का एहसास हुआ कि यात्री विमान भी वेपन की तरह इस्तेमाल हो सकते हैं. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद वॉशिंगटन में एक सीधा नियम बना. अगर कोई फ्लाइट हाइजैक हो जाए और वो नागरिकों या सैन्य या वैज्ञानिक ठिकानों के लिए खतरा बनने जा रही हो, तो उसे इंटरसेप्ट कर मार गिराया जा सकता है. 

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