नई दिल्ली जी 20 का 18वां समिट ऐतिहासिक हो गया है. भारत ने संयुक्त घोषणा पत्र पर दुनिया के दिग्गजों के बीच ना सिर्फ सहमति पर बनवाई, बल्कि पुराने साझेदार रूस से दोस्ती भी निभाई और यूक्रेन युद्ध में रूस के नाम का जिक्र तक नहीं होने दिया. इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है. भारत ने जी-20 के बहाने पूरी दुनिया को अपनी ताकत का एहसास कराया. देशभर में कुल 10 महीने में 58 शहरों में ताबड़तोड़ 200 से ज्यादा बैठकें की गईं और दुनियाभर से जुड़े हर विषयों पर चर्चा, सुझाव और प्रस्ताव लिए गए.
भारत को नवंबर 2022 में इंडोनेशिया के बाली शहर में जी 20 की प्रेसीडेंसी सौंपी गई थी. तब पीएम मोदी ने इसे भारत के लिए गर्व की बात बताया था और कहा था, भारत की जी20 अध्यक्षता एक्शन ओरिएंटेड होगी. भारत को जी20 की अध्यक्षता की जिम्मेदारी ऐसे समय पर सौंपी गई थी, जब पूरा विश्व आर्थिक चुनौतियों, जियो पॉलिटिक्स संघर्ष और कोरोना जैसी महामारी से उबर नहीं पाया है. ऐसे वक्त में पूरा विश्व जी20 की ओर उम्मीदों की नजरों से देख रहा है. भारत ने इस समिट के जरिए दुनिया की आशाओं को नए पंख भी दिए और युद्ध की बजाय शांति-सौहार्द्र का संदेश दिया.
'भारत में यह लोगों का जी 20 बन गया'
पीएम मोदी ने कहा, भारत की जी20 अध्यक्षता देश के भीतर और देश के बाहर समावेशी और सबका साथ का प्रतीक बन गई है. उन्होंने कहा, करोड़ों लोग जी20 से जुड़े हैं और भारत में यह लोगों का जी 20 बन गया. 10 महीने में देश के 60 शहरों में 200 से ज्यादा बैठकें हुईं हैं.
भारत ने कैसे की पूरी तैयारी?
- भारत में जी 20 को लेकर अलग-अलग बैठकें हुईं. इनमें बिजनेस 20 (B20), कल्चर 20 (C20),एनवायरनमेंट 20 (A20) जैसे विषयों पर बैठकें हुई हैं. इन बैठकों में हर क्षेत्र से जुड़े विषयों को रखा गया. समस्या और समाधानों पर चर्चा की गई. इसके साथ ही सुझाव और प्रस्ताव दिए गए.
- भारत ने जी20 की बैठकों और प्राथमिकताओं को देश के हर हिस्से में लेकर गया और प्रेसीडेंसी को अपनी तरह की एक नई परिभाषा दे दी है जिसे अब तक किसी मेजबान ने नहीं किया है. 2022 में इंडोनेशिया में करीब 25 बैठकें हुई थीं, जबकि भारत में 60 स्थानों पर 200 से ज्यादा बैठकें की गईं. इनमें योग, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा खास तौर पर खाने का मेन्यू शामिल रहा.
- भारत ने टियर टू शहरों में भी जी20 की बैठकें आयोजित करवाईं, जिससे आम लोगों में चर्चा हुई और समिट को लेकर जनमानस को देश के प्रति गौरव का एहसास हुआ. इतना ही नहीं, दुनिया को भी भारत देखने, समझने का मौका मिला. खानपान से लेकर संस्कृति को करीब से देखने को मिला. जिससे दुनिया के सामने भारत की विविधता और विस्तार को प्रदर्शन हुआ.
जी 20 के दो सम्मेलन, जानिए दो दशकों में कैसे बदला भारत का ग्लोबल एप्रोच
- सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 60 शहरों में 220 से ज्यादा बैठकें हुईं. करीब 125 देशों के 1 लाख से ज्यादा मेहमानों ने भारत का दौरा किया. देश में 1.5 करोड़ से ज्यादा लोग इन कार्यक्रमों में शामिल हुए या इनके विभिन्न पहलुओं से अवगत हुए. हाल ही में यह बात खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू में कही थी.
-पीएम ने कहा था, इस पैमाने की बैठकें आयोजित करना और विदेशी मेहमानों की मेजबानी करना एक ऐसा प्रयास है जो इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक्स, क्म्युनिकेशन स्किल, हॉस्पिटैलिटी और सांस्कृतिक गतिविधियों के मामले में महान क्षमता निर्माण की मांग करता है. जी20 प्रेसीडेंसी देशभर के विभिन्न शहरों के लोगों, विशेषकर युवाओं की क्षमता निर्माण में हमारा निवेश है. यह जनभागीदारी के हमारे आदर्श वाक्य का एक और उदाहरण है. किसी भी पहल की सफलता में लोगों की भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण कारक है.
- जी 20 के शेरपा अमिताभ कांत ने कहा, इस सम्मेलन में 29 विशेष आमंत्रित देशों और 11 अंतराष्ट्रीय संस्थाओं ने हिस्सा लिया. भारत के 60 शहरों और केंद्र शासित प्रदेशों में बैठकें आयोजित की. जब G20 दूसरे देशों में आयोजित हुआ तो वह देश के अधिकतम 2 शहरों में आयोजित होता था लेकिन भारत ने इसे 60 शहरों में आयोजित किया.
- One Family, One Earth, One Future इस समिट की थीम थी. इसके पहले दिन ही साझा घोषणा पत्र जारी करने पर सभी देशों में सहमति बन गई, जो भारत के लिए एक चुनौतीभरा काम था. दरअसल, जी 20 का पिछला समिट इंडोनेशिया के बाली में हुआ था, उस पर पूरी तरह से रूस-यूक्रेन युद्ध का असर था. इस बार भी शनिवार सुबह तक ऐसी ही आशंका बनी हुई थी. हालांकि, भारत ने शुरू से सभी देशों के बीच संतुलन बनाया और आखिर तक इसमें सफल रहा.
- इस साल भारत ने जी 20 समिट में स्पेन, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, बांग्लादेश, मिस्र, नीदरलैंड, मॉरीशस, नाइजीरिया और सिंगापुर को विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर आमंत्रित किया था.
भारत ने खींच दी दुनिया के सामने नई लकीर?
- जी-20 को लेकर देश के अलग-अलग शहरों में बैठकें हुईं. इनमें कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के प्रमुख शहरों को चुना गया. जम्मू कश्मीर में श्रीनगर, हिमाचल में धर्मशाला, यूपी में लखनऊ, राजस्थान में जयपुर, नई दिल्ली, हरियाणा में गुरुग्राम, मध्य प्रदेश, गोवा, उत्तराखंड में विदेशी मेहमानों की मौजूदगी में बैठकें की गईं.
- भारत ने जी20 सदस्यों के बीच सांस्कृतिक और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए भी काम किया. कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मेजबानी की, जिनमें भारत-प्रतिनिधि मंच और भारत-जी20 युवा संवाद शामिल हैं. विश्व बैंक ने भारत को 'एक कुशल और प्रभावी अध्यक्ष' बताया.
'UNSC का स्थायी सदस्य बनता है भारत तो होगा गर्व', G20 में तुर्की के राष्ट्रपति ने बयान से चौंकाया!
- भारत ने 54 देशों के अफ्रीकी संघ (AU) को जी20 में शामिल करने का प्रस्ताव रखा और सभी देशों की सहमति बनवाकर अपनी कूटनीतिक जीत का परिचय दिया. जब AU को जी 20 में शामिल करने की भारत ने पहली बार पहल की थी, तब AU के अध्यक्ष को भी इस प्रस्ताव पर सभी की सहमति मिलने की उम्मीद नहीं की. भारत ने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के नारे को आगे बढ़ाया और गरीब देशों के नेता के रूप में खुद के दावे को मजबूत कर दिखाया.
- भारत ने एक और इतिहास रचा है. अब तक जी20 की बैठकें दुनिया के बड़े-बड़े समृद्ध देशों ने अपने दो से ज्यादा शहरों में कभी नहीं करवाईं, उसे भारत ने अपने 60 शहरों में करवाकर नई लकीर खींच दी है. इतना ही नहीं, जी20 का इतना भव्य आयोजन पहले कभी नहीं हुआ. विदेशी मेहमानों ने भी खुलकर यह बात कही और भारत की खुलकर तारीफ की.
- जी 20 समिट के जरिए प्रधानमंत्री मोदी की छाप भी विदेशी पटल पर और गहरी हुई है. पीएम मोदी ने जी20 में रिकॉर्ड द्विपक्षीय बैठकें और कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर खुद को कभी ना थकने वाला नेता साबित करके दिखाया है. मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत अन्य वैश्विक नेताओं के साथ 16 द्विपक्षीय बैठकें की. इनमें ब्राजील, तुर्की, जर्मनी, यूरोपीय परिषद, कुमरोस, कोरिया, नाइजीरिया, नीदरलैंड, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जापान, अमेरिका, मॉरीशस, बांग्लादेश के राष्ट्राध्यक्ष से आमने-सामने बैठकर बातचीत की.
- भारत ने जी 20 में 'वसुधैव कुटुम्बकम' यानी 'सारा संसार, एक परिवार' का संदेश दिया. भारत की अध्यक्षता में जी20 की बैठकों में वैश्विक आर्थिक विकास, वित्तीय स्थिरता, जलवायु परिवर्तन और अन्य वैश्विक चुनौतियों पर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए.
- दूसरे दिन राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी गई. पूरे विश्व को अहिंसा और शांति का संदेश दिया. समापन भाषण में पीएम मोदी ने कहा, संपूर्ण विश्व में आशा और शांति का संचार हो. 140 करोड़ भारतीयों की इसी मंगलकामना के साथ आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं.
कैसे तैयार हुआ G20 का घोषणा पत्र?
-किसी भी समिट को तब सफल माना जाता है जब उसका एक घोषणा पत्र जारी हो. इस जी20 समिट में घोषणा पत्र की खास बात यह रही कि इस पर 100 प्रतिशत सहमति बनी. घोषणापत्र पर ना तो रूस-यूक्रेन विवाद का साया पड़ा और ना ही चीन की पैंतरेबाजी काम आई. ‘नयी दिल्ली घोषणा पत्र ’ पर सबकी सहमति बनाने में पर्दे के पीछे काफी मेहनत की गई.
- जी20 घोषणा पत्र पर आम सहमति बनाने के लिए भारतीय राजनयिकों की एक टीम को 200 घंटे से ज्यादा की लगातार बातचीत करनी पड़ी. जी20 का सबसे जटिल हिस्सा भू-राजनीतिक पैरा (रूस-यूक्रेन) पर आम सहमति बनाना था. राजनयिकों की टीम ने 300 द्विपक्षीय बैठकें कीं. 200 घंटे की नॉन-स्टॉप वार्ता की. विवादास्पद यूक्रेन संघर्ष पर अपने समकक्षों के साथ 15 मसौदे वितरित किए. उसके बाद घोषणा पत्र तैयार हुआ.
G20 के सफल आयोजन पर दुनियाभर में बजा भारत का डंका, पढ़ें- PM की तारीफ में क्या बोले दिल्ली आए वैश्विक नेता
- जी20 नेताओं की घोषणा में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का उल्लेख करने से परहेज किया गया. सभी देशों से एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने के सिद्धांत का पालन करने का आह्वान किया गया. घोषणा पत्र में कहा गया, 'हम सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून और शांति और स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली समेत अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान करते हैं.
घोषणा पत्र में खास क्या है...?
- नई दिल्ली जी 20 घोषणा पत्र में सभी देशों ने किसी भी तरह के आतंकवाद की निंदा की. पवित्र ग्रंथों के खिलाफ हिंसा जैसे धार्मिक घृणा के मामलों को समाप्त करने की बात कही गई.
- दुनिया में तेजी से विकास करने वाले शहरों को फंड दिया जाएगा. भारत की पहल पर वन फ्यूचर अलायंस बनाया जाएगा.
- ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस की शुरुआत की गई. इस अलायंस में भारत, अमेरिका और ब्राजील होंगे. इन दोनों देशों का एथेनॉल उत्पादन में अहम भूमिका है. इसका समर्थन विश्व आर्थिक मंच, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा मंच और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी जैसे संगठन भी करेंगे.
- ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं पर जोर दिया जाएगा. क्रिप्टो करंसी पर ग्लोबल पॉलिसी बनाने की दिशा में बातचीत की जाएगी.
- भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकॉनोमिक कॉरिडोर का ऐलान किया गया. इसमें भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका को शामिल किया गया है. इस कॉरिडोर के जरिए शिपिंग और रेलवे लिंक समेत कनेक्टिविटी और बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर एक ऐतिहासिक पहल की गई है.
अब रियो-डी-जेनेरियो में मिलेंगे जी-21 के नेता
जी 20 की अगली बैठक 2024 में ब्राजील के शहर रियो-डी-जेनेरियो में होगी. रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति लूला को जी-20 की अध्यक्षता ट्रांसफर की और पारंपरिक गैवल (एक प्रकार का हथौड़ा) सौंपा. मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन में लिए गए फैसलों पर हुई प्रगति की समीक्षा के लिए नवंबर के अंत में एक वर्चुअल सत्र के आयोजन का प्रस्ताव दिया. ब्राजील आधिकारिक रूप से इस साल एक दिसंबर को जी-20 के अध्यक्ष का कार्यभार संभालेगा. इस ग्रुप ऑफ ट्वेंटी में एक और देश शामिल हो गया है. भारत के प्रस्ताव पर नई दिल्ली में अफ्रीकन यूनियन को भी इस ग्रुप में शामिल किया गया है. ऐसे में यह जी 21 हो गया है. रियो-डी-जेनेरियो में इसे जी-21 नाम दिया जाएगा.
'उन्हें पता है सब चोर-डाकू बैठे हुए हैं...', G20 समिट को लेकर अपनी ही सरकार पर भड़के पाकिस्तानी
नई दिल्ली में पीएम मोदी ने क्या कहा...
- जी20 के समापन भाषण में पीएम मोदी ने कहा, युद्ध ने विश्वास की कमी को और गहरा किया है. हम सब मिलकर ग्लोबल ट्रस्ट डेफिसिट को एक विश्वास और एक भरोसे में बदलें. ये समय सबको साथ मिलकर चलने का है. मोदी ने सभी देशों को 'सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास' का मंत्र दिया. उन्होंने कहा कि यह हम सब के लिए पथ प्रदर्शक बन सकता है.
- आज कुछ अन्य ज्वलंत समस्याएं हमारे विश्व के सामने हैं, जो हम सभी देशों के वर्तमान और भविष्य दोनों को प्रभावित कर रही हैं. साइबर सिक्योरिटी और Crypto-currency की चुनौतियों से हम परिचित हैं. हमें Crypto-currencies को रेगुलेट करने के लिए ग्लोबल स्टैंडर्ड्स develop करने होंगे. हमारे सामने Basel standards on bank regulation एक मॉडल के रूप में है. इस दिशा में जल्द ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.
- इसी तरह साइबर सिक्योरिटी के लिए भी वैश्विक सहयोग और फ्रेमवर्क की जरूरत है. साइबर जगत से आतंकवाद को नए माध्यम, फंडिंग के नए तौर-तरीके मिल रहे हैं. ये हर देश की सुरक्षा और समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण विषय है. विश्व को एक बेहतर भविष्य की तरफ ले जाने के लिए जरूरी है कि वैश्विक व्यवस्थाएं वर्तमान की वास्तविकताओं के मुताबिक हों. आज दुनिया हर लिहाज से बहुत बदल चुकी है.
कौन-कौन देश हैं जी20 में शामिल?
जी 20 की स्थापना साल 2008 में हुई थी. इस ग्रुप की पहली बैठक अमेरिकी में हुई थी. ये दरअसल जी 8 देशों का विस्तार है. जी20 में कुल 19 देश भारत, अमेरिका, चीन, रूस, ब्राजील, कनाडा, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, कोरिया गणराज्य, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन और एक यूरोपीय संघ शामिल है.