
रणबीर कपूर की फिल्म 'एनिमल' की पहली झलक पांच महीने पहले, जून में सामने आई थी. मेकर्स ने फिल्म का माहौल चेक करने के लिए एक प्री-टीजर वीडियो शेयर किया था. वीडियो में घनी दाढ़ी और लंबे बाल रखे रणबीर एक गैलरी में दिखते हैं. उनके सामने अजीब से हेलमेट पहने लड़ाकों का एक पूरा झुंड खड़ा है. इसी गैलरी में दीवार पर एक छोटे से हत्थे वाली एक कुल्हाड़ी टंगी है.
रणबीर शीशा तोड़कर ये कुल्हाड़ी निकालते हैं, और अपने दुश्मनों से भिड़ जाते हैं. कुछ सेकंड बाद उनकी कुल्हाड़ी से जान गंवा चुके कई लोग जमीन पर पड़े तड़पते दिखते हैं. और एक के कंधे में कुल्हाड़ी धंसाकर, रणबीर ने उसे दीवार पर टांग रखा है... इस पूरे फाइट सीन में दुश्मनों से गुत्थमगुत्था तरीके से भिड़े रणबीर अब कैमरे की तरफ मुड़कर देखते हैं. उनका ये अवतार देखकर हर पक्के फिल्म फैन की रीढ़ में करंट दौड़ना तय था, जनता के कमेंट्स बताते हैं कि ऐसा ही हुआ भी.

वीडियो में सीन तो जितने बवाली थे, सो थे ही. साथ ही पंजाबी बोल वाला एक गाना सुनाई पड़ता है, जो रणबीर के भौकाल को भयानक खूंखार बना देता है. एक भयानक लड़ाके का गुणगान करते इस गीत के बोल थे- 'अर्जन वेल्ली ने पैर जोड़ के गंडासी मारी.' पंजाबी में 'वेल्ली' ऐसे व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो मूडी हो, या सरफिरा टाइप अपने आप में मगन रहने वाला आदमी जो भड़क जाए तो भयानक बवाल कर दे' पॉप कल्चर में जिस पर्सनालिटी टाइप को 'गैंगस्टर' कहा जाता है, उसके लिए पंजाबी में 'वेल्ली' इस्तेमाल किया जाता है. यानी ये गाना अर्जुन नाम के सरफिरे आदमी की भयानक लड़ाई की कहानी बताता है.
क्या है 'एनिमल' की कहानी?
'एनिमल' के टीजर से पता चलता है कि रणबीर का किरदार पंजाबी परिवार से आता है. फिल्म में रणबीर के पिता बने अनिल कपूर का किरदार, एक गैंगस्टर या माफिया टाइप है. अनिल के किरदार के साथ कुछ ऐसा होता है, जिसका बदला लेने के लिए उसका बेटा गैंगस्टरबाजी में उतरता है. और 'एनिमल' के सारे प्रमोशनल कंटेंट से ये साफ है कि बेटा अपने बाप से भी कई कदम आगे निकल जाता है. 'अर्जन वेल्ली' का इस्तेमाल रणबीर के इसी हिंसक अवतार को हाईलाइट करने के लिए इस्तेमाल किया गया है. 'एनिमल' के टीजर में इस गाने की सिर्फ कुछ लाइनें ही थीं, लेकिन अब मेकर्स ने पूरा गाना शेयर कर दिया है.
डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा की पिछली फिल्म 'कबीर सिंह' (2019) को 'हिंसक' बताते हुए बहुत आलोचना की गई थी. कुछ महीने पुराने एक इंटरव्यू में वांगा ने हंसते हुए कहा था, 'ये लोग इसे (कबीर सिंह) वायलेंट बता रहे हैं, मैं इन्हें बताना चाहता हूं कि वायलेंट फिल्म कैसी होती है.' रणबीर के किरदार को संदीप जिस तरह अल्टीमेट गैंगस्टर बनाकर पेश कर रहे हैं, वो मास फिल्मों के फैन्स के लिए एक तगड़ी ट्रीट है. लेकिन फिल्म का माहौल सेट करने के लिए संदीप ने जो गाना इस्तेमाल किया है, उसके लिए वो अलग से डिजर्व करते हैं.
वारंगल और हैदराबाद में पले-बढ़े संदीप रेड्डी वांगा तेलुगू परिवेश से आते हैं. मगर 'अर्जन वेल्ली' गाना पंजाबी लोकगीतों की विरासत से निकला नायाब हीरा है. इस गाने का बैकग्राउंड और मतलब जानकर आप हैरान रह जाएंगे कि फिल्म के मूड के हिसाब का गाना तैयार करवाने में संदीप और उनकी टीम ने कितनी रिसर्च की होगी.
दो हिस्सों में बंटी पंजाबी संस्कृति को जोड़ता 'गंडासा'
जनता को क्रेजी कर रहे 'एनिमल' के इस गाने में एक लड़ाई का इतिहास है. ऐसी लड़ाई जिसमें एक अकेले सूरमा ने अकेले ही कई लड़ाकों से लोहा ले लिया था और उसका हथियार था गंडासा. लोहे का एक धारदार हथियार, जिसमें लकड़ी का हैंडल होता है, कुल्हाड़ी से बहुत मिलते-जुलते इस हथियार को हाथों में पकड़कर चलाया जाता है.

पंजाबी सिनेमा में 'गंडासा फिल्में' अपने आप में एक जॉनर हैं. इन फिल्मों में हीरो किसी अन्याय का बदला लेने के लिए गंडासा उठाकर भिड़ जाता है. दुनिया में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली पाकिस्तानी फिल्म बन चुकी, पंजाबी भाषा की 'द लेजेंड ऑफ मौला जट्ट' इसी गंडासा जॉनर की फिल्म है. फिल्म के हीरो फवाद खान के हाथ में आपको जो हथियार दिखता है, वो भी गंडासा ही है.
जहां पाकिस्तानी पंजाबी सिनेमा में गंडासा जॉनर की 'वहशी जट्ट', 'मौला जट्ट', 'मौला जट्ट इन लंदन' जैसी कल्ट फिल्में हैं. वहीं भारतीय पंजाबी फिल्मों में ये जॉनर थोड़ा कम एक्सप्लोर किया गया है. 'एनिमल' को पॉपुलर बॉलीवुड सिनेमा में, इस जॉनर को लाने की एक कोशिश कहा जा सकता है. पिछले कुछ समय में जहां एक्शन फिल्मों का क्रेज दर्शकों में बहुत तेजी से बढ़ा है, उसमें गंडासा पकड़े, बदले को तैयार हिंसक हीरो बड़े पर्दे पर तगड़ा धमाका कर सकता है. गंडासा चलाने वाले नायक की गाथा कहने वाला गाना 'अर्जुन वेल्ली' पंजाब की मिट्टी से जुड़ा एक नायाब लोकगीत भी है.
पंजाबी विरासत और लोकगीत से निकला 'अर्जन वेल्ली'
पंजाबी लोक संगीत में एक टाइप होता है 'ढाडी वार'. ढाडी, डमरू जैसे आकार वाला एक वाद्य यंत्र है जिसे बजाकर ये गीत गाए जाते हैं. इन गीतों में योद्धाओं का यशोगान किया जाता है और युद्ध से जुड़ी शौर्य गाथाएं सुनाई जाती हैं. गीत गाने वालों को भी ढाडी ही कहा जाता है और पंजाबी लोकगीतों में इन गीतों को गाने वालों के कई पॉपुलर ग्रुप यानी 'ढाडी जत्थे' होते हैं.
कहा जाता है कि प्रथम सिख गुरु, गुरु नानक देव खुद को ईश्वर का ढाडी बोलते थे. गुरु ग्रन्थ साहिब में भी 'ढाडी' का जिक्र है और छठे सिख गुरु, गुरु हरगोविंद सिंह ने ढाडी में गुरबाणी की शुरुआत की. लेकिन आगे चलकर लगातार युद्धों में उतारते सिख योद्धाओं ने ढाडी में वीर रस जोड़ा, जिससे ढाडी वार की शुरुआत हुई. युद्ध से पहले लड़ाकों को 'ढाडी वार' में सिख गुरुओं और योद्धाओं की शौर्य गाथाएं सुनाई जातीं जिससे उनका साहस बढ़ता.
लोकगीतों की इस परंपरा ने भी बदलते वक्त के साथ अपना रूप बदल और एक नए तरीके से गीतों में जगह बनाई. पंजाबी लोक परंपरा में जिन गीतों को 'बोलियां' कहा जाता है, उनमें भी ढाडी वार का लहजा होता है. और 'अर्जन वेल्ली' की भयानक लड़ाई के किस्से ने भी इस स्टाइल के गीतों में जगह पाई. 70 के दशक में कुलदीप मानक ने अपने गीतों में इस किस्से का जिक्र किया.
1983 में धर्मेंद्र और शत्रुघ्न सिन्हा ने एक पंजाबी फिल्म की थी, नाम था 'पुत्त जट्टां दे'. फिल्म के टाइटल ट्रैक में पंजाब के जगरांव इलाके (पंजाबी में इसे जगरांवां भी कहा जाता है) में अर्जन वेल्ली के बवाल का जिक्र है. गाने में उसके गंडासा चलाकर, अकेले ही सारे लड़ाकों को पछाड़ देने का जिक्र है. किस्से में एक लाइन है- 'अगर सरकारी पुलिस न होती, तो उस दिन प्रलय ही आ जाती'. फिल्म के लिए ये गाना सुक्शिन्दर शिंदा ने गाया था. (यहां देखिए 'पुत्त जट्टां दे' फिल्म का टाइटल ट्रैक)
उस समय तक गाने में जो अर्जन वेल्ली कम से कम कानून की इज्जत करके थम गया था, आज 'एनिमल' तक आते-आते वो और भी ज्यादा बेकाबू हो गया है! नए गाने का एक अंतरा है:
"चारों पासे रौला पे गया जदों मारेया गंडासा हथ जोड़ के
खून दे तरारे चलदे, थल्ले सुट्ट लए तोना नूं मरोड़ के
शेर जेहा रौब जट्ट दा, वे थल्ले रखदा पुलिस सरकारी"
इसका मतलब कुछ यूं निकलता है- 'दोनों हाथों को बांधकर अर्जन वेल्ली ने ऐसा गंडासा मारा कि चारों तरफ हाहाकार मच गया. कहीं खून की धाराएं बह रही थीं, तो कहीं उसने दुश्मनों को गर्दन मरोड़ के नीचे दबा रखा था. शेर जैसे उस जट्ट का रौब ऐसा है कि सरकारी पुलिस को भी कुछ नहीं समझता...'!
'अर्जन वेल्ली' में ठेठ देहात से निकले कई मुहावरे भी हैं. एक लाइन कहती है कि लड़ाके ऐसे भिड़ा हुए हैं जैसे सांड भिड़े हुए हैं. वहीं आगे इस्तेमाल हुए एक देसी मुहावरे का अर्थ ये निकलता है कि 'जैसे कुंडे के आकार वाले भैंसों के सींग लड़ाई में, आपस में फंस जाते हैं, लड़ाके इस तरह भिड़ा चुके हैं और अब तो वही जीतकर निकलेगा जिसने बड़ेवे खाए होंगे'. पंजाबी में कपास के बीजों को बड़ेवे कहा जाता है, जिन्हें खाने से बहुत ताकत आती है.
गाने में लड़ाई को इस कदर भयानक कहा गया है कि जैसे घड़े में दरार पड़ने के बाद पानी बह निकलता है, उस तरह खून की धाराएं बह रही हैं. पंजाब की लोकगीत परंपरा से निकले इस गाने में गंडासे के अलावा टकुआ, छवी, कृपाण जैसे, हाथ में पकड़कर चलाए जाने वाले हथियारों का भी नाम आता है. और जब लड़ाई में इतने धारदार हथियार चल रहे हैं तो 'बचनों की फुलकारी' यानी सुहाग का प्रतीक माना जाने वाले फुलकारी से सजे दुपट्टे के भी चीथड़े-चीथड़े हो जाएंगे! (देखें- 'एनिमल' का गाना 'अर्जन वेल्ली')
'अर्जन वेल्ली' का एक वर्जन कुछ साल पहले पंजाबी सिंगर गुरमीत मीत ने भी गाया था, कुलदीप मानक को श्रद्धांजलि देते हुए. 'एनिमल' में इसे भूपिंदर बब्बल ने गाया है और इसके लिरिक्स लगभग गुरमीत वाले गाने जैसे हैं. फिल्म में रणबीर के किरदार को गहराई देने के लिए संदीप वांगा ने यकीनन एक ऐसा गाना चुना है जो एक कल्ट है. 1 दिसंबर को ये भी पता चल जाएगा कि उनकी फिल्म 'एनिमल' कल्ट बन पाएगी या नहीं.