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दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को ओवैसी ने दिया टिकट, इस सीट से चुनाव में उतारा

दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को टिकट दिया है. हुसैन मुस्तफाबाद सीट से चुनाव लड़ेंगे. मंगलवार को हुसैन के परिवार ने ओवैसी से मुलाकात की है.

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पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन.(फाइल फोटो)
पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन.(फाइल फोटो)

दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को टिकट दिया है. हुसैन यहां मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से उम्मीदवार होंगे. हुसैन अब तक आम आदमी पार्टी में थे.

ओवैसी ने एक्स पर ताहिर हुसैन को लेकर ऐलान किया. उन्होंने लिखा, MCD पार्षद ताहिर हुसैन AIMIM में शामिल हो गए हैं. आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में वो मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र से हमारे उम्मीदवार होंगे. उनके परिवार के सदस्यों और समर्थकों ने आज मुझसे मुलाकात की और पार्टी में शामिल होने का निर्णय लिया.

जेल में बंद हैं ताहिर हुसैन

बता दें कि दिल्ली की एक कोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगों के एक मामले में इसी साल मई में पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को जमानत दे दी है. कोर्ट ने कहा कि इसमें उनकी भूमिका 'दूरस्थ प्रकृति की' थी और वह पहले ही तीन साल से अधिक समय हिरासत में बिता चुके हैं. हालांकि ताहिर हुसैन सलाखों के पीछे ही रहेंगे, क्योंकि वह दंगों के अन्य मामलों में भी आरोपी हैं, जिसमें सांप्रदायिक दंगे के पीछे बड़ी साजिश और वित्तपोषण से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग का मामला शामिल है.

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दिल्ली में 25 फरवरी 2020 को दंगाई भीड़ ने एक दुकान में तोड़फोड़ कर आग लगा दी थी. इस मामले में खजूरी खास पुलिस स्टेशन में ताहिर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. कोर्ट ने कहा कि 25,000 रुपये के निजी मुचलके और जमानती बॉन्ड और इतनी ही राशि की जमानत राशि जमा करने पर जमानत दी जाए. अदालत ने कहा कि जमानत की अन्य शर्तों में यह भी शामिल है कि वह देश नहीं छोड़ेंगे.

कोर्ट का कहना था कि मामले में आवेदक (ताहिर हुसैन) की भूमिका कथित तौर पर भड़काने वाले और साजिशकर्ता की है. बेशक वह उस भीड़ का हिस्सा नहीं थे, जिसने दुकान पर हमला किया था. लिहाजा आवेदक की भूमिका, सह-आरोपियों की तुलना में बहुत दूर की प्रकृति की है. कोर्ट ने कहा कि आवेदक की भूमिका और हिरासत में बिताए गए समय (लगभग तीन साल और 11 महीने) को ध्यान में रखते हुए हमारा मानना ​​है कि आवेदक इस मामले में जमानत का हकदार है. ताहिर को सांप्रदायिक दंगों के 5 मामलों में पहले ही राहत मिल चुकी है.

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