रूस ने एक के बाद एक अपने घातक हथियारों को दुनिया के सामने ला दिया है. पहले बुरेवेस्तनिक मिसाइल, फिर पोसाइडन अंडरवॉटर ड्रोन और अब खबरोवस्क नाम की नई न्यूक्लियर पनडुब्बी. ये सब हथियार परमाणु ऊर्जा से चलने वाले हैं, जो समुद्र में घात लगाकर दुश्मन को तबाह कर सकते हैं. लेकिन सवाल ये है – आखिर रूस का ये 'जंगी प्लान' क्या है? क्या ये यूक्रेन युद्ध के जवाब में नाटो को डराने का तरीका है?
रूस का पहला 'सुपर वेपन' है बुरेवेस्तनिक (SSC-X-9 स्काईफॉल के नाम से जाना जाता है). ये एक क्रूज मिसाइल है, जो परमाणु रिएक्टर से चलती है. मतलब, ये कभी खत्म होने वाली ईंधन की चिंता नहीं करती – हवा में उड़ते-उड़ते धरती का चक्कर लगा सकती है.
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कैसे काम करता है? ये मिसाइल छोटी है, लेकिन 40 मेगाटन का परमाणु हेड ले जा सकती है. ये दुश्मन के शहरों पर हमला कर सकती है. रडार से बचने के लिए समुद्र के ऊपर से उड़ती है. रूस कहता है कि ये 2024 में टेस्ट हो चुकी है. 2025 में सेना में शामिल हो रही है.
क्यों खतरनाक? ये 'अनलिमिटेड रेंज' वाली है – अमेरिका के किसी भी कोने तक पहुंच सकती है. रूस का दावा है कि ये नाटो की मिसाइल डिफेंस को चकमा देगी.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे 'महान हथियार' कहा, जो दुश्मन को रेडियोएक्टिव क्लाउड से घेर लेगा.
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अगला हथियार है पोसाइडन. ये कोई साधारण ड्रोन नहीं – ये एक परमाणु ऊर्जा से चलने वाला अंडरवॉटर व्हीकल है. मतलब, समुद्र के नीचे घूमता हुआ दुश्मन के तट पर जाकर विस्फोट कर सकता है.
कैसे काम करता है? पोसाइडन 100 मेगाटन का न्यूक्लियर वारहेड ले जाता है – हिरोशिमा बम से हजारों गुना ताकतवर. ये 1000 मीटर गहराई में जा सकता है. 10,000 किलोमीटर दूर तक सफर कर सकता है. रूस ने 5 नवंबर 2024 को इसका सफल टेस्ट किया. रूस ने कहा कि ये 2025 में सेना में शामिल हो जाएगी.
क्यों खतरनाक? ये 'टॉरनेडो साइज' की सुनामी पैदा कर सकता है, जो अमेरिका के तटीय शहरों को डुबो देगी. रूस इसे 'डूम्सडे वेपन' कहता है – यानी, दुनिया खत्म करने वाला.
ये ड्रोन पनडुब्बी से लॉन्च होता है. AI से कंट्रोल होता है. दुश्मन को पता भी नहीं चलेगा कि हमला हो गया.
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2 नवंबर 2025 को रूस ने सेवमाश शिपयार्ड से खबरोवस्क (प्रोजेक्ट 09851) पनडुब्बी लॉन्च की. ये दुनिया की पहली पनडुब्बी है, जो खासतौर पर पोसाइडन ड्रोन ले जाने के लिए बनी है.
कैसे काम करती है? ये न्यूक्लियर पावर्ड है, लंबी दूरी की स्ट्रैटेजिक मिशन के लिए. इसमें 6-8 पोसाइडन ड्रोन रखे जा सकते हैं. पनडुब्बी ओपन ओशन में घूमेगी और ड्रोन को रिलीज कर दुश्मन को निशाना बनाएगी. रूस कहता है कि ये 2027 तक पूरी तरह तैयार हो जाएगी.
क्यों खतरनाक? ये 'साइलेंट किलर' है – रडार से बचती है. पोसाइडन को महफूज रखती है. पहले बेलगोरोड पनडुब्बी भी पोसाइडन ले जाती थी, लेकिन खबरोवस्क नई जेनरेशन की है.
रूस के डिफेंस मिनिस्ट्री ने कहा कि ये हमारी न्यूक्लियर आर्सेनल का हिस्सा है, जो दुश्मन को कभी सांस नहीं लेने देगा.
ये तीनों हथियार रूस की बड़ी रणनीति का हिस्सा हैं. रूस को लगता है कि नाटो (अमेरिका और यूरोप) की कन्वेंशनल (सामान्य) सेना उससे ज्यादा ताकतवर है. इसलिए, रूस एसिमेट्रिक वॉरफेयर पर जोर दे रहा है – यानी, कम संसाधनों से ज्यादा नुकसान पहुंचाना.
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विशेषज्ञ कहते हैं कि ये 'डूम्सडे मशीन्स' हैं – यानी, इस्तेमाल करने से दुनिया खत्म हो सकती है. लेकिन रूस इन्हें 'डिफेंसिव' बताता है.

यूक्रेन युद्ध ने रूस को मजबूर किया. नाटो ने हथियार दिए, सैंक्शंस लगाए. रूस जवाब में न्यूक्लियर अपग्रेड कर रहा. अक्टूबर 2025 में रूस ने कहा कि बुरेवेस्तनिक और पोसाइडन 'अनलिमिटेड रेंज' वाले हैं. खबरोवस्क लॉन्च से अमेरिका चिंतित – ये प्रशांत महासागर में अमेरिकी बेस को खतरा.
रूस का प्लान साफ है – समुद्र से दुश्मन पर घात लगाकर न्यूक्लियर स्ट्राइक. बुरेवेस्तनिक, पोसाइडन और खबरोवस्क इसका हिस्सा हैं. विशेषज्ञ चेताते हैं कि ये म्यूचुअल डिस्ट्रक्शन का रास्ता है. रूस कहता है कि हम शांति चाहते हैं, लेकिन दुश्मन को सबक सिखाएंगे.