अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन के बीच 25 सितंबर 2025 को व्हाइट हाउस में महत्वपूर्ण बैठक हुई. इस दौरान दोनों नेताओं ने तुर्की को F-35 लड़ाकू विमान बेचने, अमेरिकी प्रतिबंध हटाने और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर बात की.
ट्रंप ने कहा कि अगर बैठक के परिणाम अच्छे रहे, तो प्रतिबंध बहुत जल्द तुरंत हटाए जा सकते हैं. यह बैठक संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान हुई, जो दोनों देशों के रिश्तों में नई शुरुआत का संकेत दे रही है.
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ओवल ऑफिस में ट्रंप और एर्दोगन साथ बैठे थे. पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने तुर्की को F-35 जेट बेचने के सवाल पर कहा कि मुझे लगता है कि वह जो कुछ भी खरीदना चाहते हैं, उसे खरीदने में सफल होंगे. उन्होंने जोड़ा कि अगर बैठक सकारात्मक रही, तो तुर्की पर लगे अमेरिकी प्रतिबंध बहुत जल्द या लगभग तुरंत हटाए जा सकते हैं.
ट्रंप का यह बयान इसलिए अहम है क्योंकि तुर्की अमेरिका का करीबी सहयोगी रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे. ट्रंप के पहले कार्यकाल (2017-2021) में भी दोनों नेताओं के बीच उतार-चढ़ाव देखे गए, लेकिन अब दूसरे कार्यकाल में संबंध बेहतर होने के संकेत मिल रहे हैं. ट्रंप ने एर्दोगन को मेरा दोस्त कहकर संबोधित किया, जो उनकी निजी दोस्ती को दर्शाता है.
एर्दोगन ने बैठक को UNGA के साथ जोड़ते हुए कहा कि मेरे दोस्तों के साथ UNGA के समय यह यात्रा करना बहुत खुशी की बात है. ट्रंप के पहले और दूसरे कार्यकाल में तुर्की-अमेरिका संबंधों में एक अलग दौर चल रहा है. उन्होंने कहा कि आज हम F-35, F-16 विमानों और हल्कबैंक के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करेंगे.
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F-35 और F-16 अमेरिका के उन्नत लड़ाकू विमान हैं. तुर्की इनकी चाहत रखता है ताकि अपनी हवाई सेना को मजबूत कर सके. लेकिन 2019 में तुर्की ने रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीद लिया था, जिसके कारण अमेरिका ने तुर्की को F-35 प्रोग्राम से बाहर कर दिया और प्रतिबंध लगा दिए.

अमेरिका को डर था कि S-400 F-35 की तकनीकी गोपनीयता को खतरा पहुंचा सकता है. F-16 पर भी चर्चा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि तुर्की पुराने F-16 विमानों को अपग्रेड करना चाहता है.
हल्कबैंक का मुद्दा अमेरिकी प्रतिबंधों से जुड़ा है. यह तुर्की का सरकारी बैंक है, जिस पर ईरान के तेल व्यापारियों को अमेरिकी प्रतिबंध तोड़ने में मदद करने का आरोप है. अमेरिका ने इसके खिलाफ मुकदमा चलाया है, जो तुर्की-अमेरिका रिश्तों में एक बड़ा कांटा है. एर्दोगन ने कहा कि ये मुद्दे हल हो सकते हैं.
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तुर्की और अमेरिका नाटो (NATO) के सहयोगी हैं, लेकिन कई मुद्दों पर मतभेद हैं. S-400 खरीद के अलावा, सीरिया में कुर्द लड़ाकों का समर्थन, ईरान प्रतिबंधों का उल्लंघन और हल्कबैंक केस ने रिश्तों को खराब किया. ट्रंप के पहले कार्यकाल में एर्दोगन पर प्रतिबंध लगे थे, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर दोनों की अच्छी केमिस्ट्री रही. अब ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में, UNGA के दौरान यह बैठक दोनों देशों के लिए नया अवसर है.

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर F-35 बिक्री पर सहमति बनी, तो तुर्की की हवाई ताकत बढ़ेगी और अमेरिका को आर्थिक फायदा होगा. प्रतिबंध हटने से व्यापार और सैन्य सहयोग मजबूत होगा. लेकिन S-400 का क्या होगा? अमेरिका अभी भी इस पर सख्ती कर सकता है.
यह बैठक तुर्की-अमेरिका संबंधों में एक मोड़ साबित हो सकती है. एर्दोगन की यात्रा UNGA के अलावा द्विपक्षीय मुद्दों पर केंद्रित थी. अगर प्रतिबंध हटे और जेट बिक्री हुई, तो मध्य पूर्व में शक्ति संतुलन बदल सकता है. ट्रंप ने कहा कि सौदा हो जाएगा. लेकिन अंतिम फैसला मीटिंग के नतीजों पर निर्भर करेगा.
तुर्की जैसे महत्वपूर्ण सहयोगी के साथ अच्छे रिश्ते अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से जरूरी हैं. उम्मीद है कि यह चर्चा शांति और सहयोग की दिशा में कदम बढ़ाएगी. दुनिया इस पर नजर रखे हुए है.