रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर भारी हमला बोल दिया है. 28 सितंबर 2025 को रूस ने सैकड़ों ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया, जिसमें कम से कम 4 लोग मारे गए. यह हमला इजरायल के ईरान पर किए गए सटीक हवाई हमलों जैसा लग रहा है. दोनों ही मामलों में अचानक और टारगेटेड हमले से दुश्मन को झटका दिया गया. लेकिन यूक्रेन युद्ध अब 3 साल पुराना हो चुका है. यह नया हमला तनाव को और भड़का सकता है.
28 सितंबर की रात को रूस ने यूक्रेन पर 643 ड्रोन और मिसाइलें दागीं, जिनमें ग्लाइड बम भी शामिल थे. कीव में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. यहां 4 लोग मारे गए और कई घायल हो गए. स्वतंत्र निगरानीकर्ताओं ने इसे रूस का सबसे बड़ा हमला बताया. कीव के अलावा अन्य शहरों पर भी हमले हुए.
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यूक्रेन की सेना ने कई ड्रोन और मिसाइलें रोकीं, लेकिन नुकसान बड़ा हुआ. यह हमला यूक्रेन के हालिया हमलों का जवाब माना जा रहा है. यूक्रेन ने रूस के तेल और गैस प्लांट्स पर ड्रोन से हमला किया था. पुतिन ने कहा कि यह यूक्रेन की आक्रामकता का परिणाम है.
इजरायल ने अप्रैल 2024 में ईरान के दूतावास पर हमला किया था. फिर अक्टूबर में ईरान के सैन्य ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए. ये हमले अचानक, टारगेटेड और कम नुकसान वाले थे. पुतिन की रणनीति भी वैसी ही लग रही है – ड्रोन और मिसाइलों से दूर से हमला, बिना जमीनी घुसपैठ के. दोनों ही मामलों में मकसद दुश्मन को कमजोर करना और चेतावनी देना था.
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लेकिन फर्क यह है कि इजरायल-ईरान तनाव सीमित रहा, जबकि यूक्रेन युद्ध लंबा खिंच गया है. विशेषज्ञ कहते हैं कि रूस का यह हमला यूक्रेन के नेतृत्व को तोड़ने की कोशिश है. ईरान-इजरायल संघर्ष ने दुनिया का ध्यान यूक्रेन से हटा दिया था, जिसका फायदा रूस को मिला.

फरवरी 2022 से रूस ने यूक्रेन पर हमला किया. पुतिन इसे सोवियत संघ की गलती सुधारने का मौका मानते हैं. लेकिन यूक्रेन ने हार नहीं मानी. हाल ही में यूक्रेन ने डोनेस्क के कुछ हिस्से वापस ले लिए. रूस ने दिन में भी ड्रोन हमले शुरू किए, जिससे लाखों लोगों की जिंदगी रुक गई.
ट्रंप ने रूस को 'पेपर टाइगर' कहा, क्योंकि वे मानते हैं कि पुतिन हार रहे हैं. लेकिन रूस के हमले जारी हैं. जून 2025 में पुतिन ने इजरायल-ईरान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की, लेकिन उसी समय यूक्रेन पर हमले बढ़ा दिए.
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कीव में धुंआ छा गया. घर, स्कूल और अस्पतालों को नुकसान पहुंचा. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि रूस ने फिर से नागरिकों को निशाना बनाया. अंतरराष्ट्रीय मदद तेज हो गई. अमेरिका और यूरोप ने यूक्रेन को हथियार भेजने का वादा किया. लेकिन रूस ने कहा कि यह यूक्रेन की गलती है.

इस हमले से यूक्रेन की अर्थव्यवस्था और और कमजोर हो गई. लाखों लोग बेघर हो चुके हैं. दुनिया ने निंदा की, लेकिन कोई बड़ा कदम नहीं उठा.
अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने रूस की निंदा की. संयुक्त राष्ट्र में चर्चा हुई. लेकिन पुतिन ने कहा कि रूस शांति चाहता है, लेकिन यूक्रेन को झुकना पड़ेगा. विशेषज्ञ कहते हैं कि यह हमला रूस की ताकत दिखाने का तरीका है. इजरायल-ईरान की तरह, यहां भी एस्केलेशन (तनाव बढ़ने) का डर है. यूक्रेन को मजबूत हथियारों की जरूरत है. पुतिन की रणनीति सफल हो या न हो, लेकिन युद्ध का दर्द यूक्रेन के लोगों को झेलना पड़ रहा है.