भारत और फ्रांस 28 अप्रैल को 26 राफेल-एम जेट के लिए समझौते पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं. यह समझौता भारतीय नौसेना के लिए होगा. इसमें फ्रांसीसी रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नु की उपस्थिति होगी. इस समझौते की कीमत लगभग 63,000 करोड़ रुपये है. इसमें 22 सिंगल-सीट और 4 ट्विन-सीट विमान शामिल होंगे.
फ्रांसीसी रक्षा मंत्री रविवार शाम भारत पहुंचने वाले हैं. सोमवार देर शाम वापस जाएंगे. समझौते पर हस्ताक्षर के लिए वरिष्ठ अधिकारी प्रतिनिधित्व करेंगे. पाकिस्तान को करारा झटका लगने वाला है. समंदर में भी चोट खाने को तैयार रहे पाकिस्तान. क्योंकि ये जेट आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात किए जाएंगे.
यह भी पढ़ें: भारत के पास पृथ्वी-अग्नि और ब्रह्मोस तो PAK के पास शाहीन-बाबर-गौरी... मिसाइल पावर में कौन कितना पावरफुल?
63 हजार करोड़ रुपए की इस डील में फ्रांस से 22 सिंगल सीटर फाइटर जेट और चार डबल सीटर फाइटर जेट खरीदेगा. डबल सीटर फाइटर जेट ट्रेनिंग के लिए काम आएंगे. ये जेट्स शॉर्ट टेकऑफ करने में सक्षम हैं.

किस तरह की होगी डील?
Rafale-M एक मल्टीरोल फाइटर जेट है. दक्षिण एशिया की बात करें तो भारत और चीन के अलावा किसी अन्य देश के पास एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं है. इसके आने से चीन और पाकिस्तान समेत इंडो-पैसिफिक में जो स्थितियां हैं, उनसे निपटना आसान हो जाएगा. साथ ही इस डील में ऑफसेट प्रोविजन है. इससे भारत के मेक इन इंडिया मुहिम को भी बढ़ावा मिलेगा.
डील में पैकेज है. इसमें मेंटेनेंस और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी शामिल है. नौसैनिकों की ट्रेनिंग, ऑपरेशन और मेंटेनेंस की ट्रेनिंग भी शामिल है. यह डील पूरी होते ही भारतीय नौसेना के पास एयरक्राफ्ट कैरियर पर नए और आधुनिक फाइटर जेट्स हो जाएंगे.
यह भी पढ़ें: भारत-पाक में जंग परमाणु युद्ध की तरफ बढ़ सकता है, अमेरिकी खुफिया दस्तावेज का खुलासा
कैसा है Rafale-M फाइटर जेट?
राफेल-एम 50.1 फीट लंबा है. इसे 1 या 2 पायलट उड़ाते हैं. राफेल का वजन सिर्फ 15 हजार kg है. यानी हल्का है. राफेल-एम की फ्यूल कैपेसिटी करीब 11,202 kg है. यानी ज्यादा देर तक फ्लाई कर सकता है. गति 2205 km/hrहै. राफेल-एम की रेंज 3700 km है. 52 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है.

राफेल-एम में 30 mm की ऑटोकैनन गन लगी है. इसके अलावा 14 हार्डप्वाइंट्स हैं. इसमें तीन तरह के हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, हवा से सतह पर मार करने वाली सात तरह की मिसाइलें, एक परमाणु मिसाइल या फिर इनका मिश्रण लगा सकते हैं.
इसका AESA राडार टारगेट डिटेक्शन और ट्रैकिंग के लिए बेहतरीन है. इसमें स्पेक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम है जो इसे स्टेल्थ बनाता है. इसमें बीच हवा में ही रीफ्यूलिंग हो सकती है. यानी इसकी रेंज बढ़ जाएगी. राफेल-एम फाइटर आने से भारतीय समुद्री क्षेत्र में निगरानी, जासूसी, अटैक जैसे कई मिशन किए जा सकेंगे.
यह फाइटर जेट एंटी-शिप वॉरफेयर के लिए बेस्ट है. इसमें प्रेसिशन गाइडेड बम और मिसाइलें लगा सकते हैं. जैसे- मेटियोर, स्कैल्प, या एक्सोसैट. इस फाइटर जेट के आने से हवा, पानी और जमीन तीनों जगहों से सुरक्षा मिलेगी. नौसेना एक देश के चारों तरफ अदृश्य कवच बना सकेगी.
यह भी पढ़ें: कुछ ही मिनटों में कराची समेत पूरा पाकिस्तान तबाह कर सकता है INS Vikrant कैरियर स्ट्राइक ग्रुप, जानिए ताकत

क्यों जरूरी है भारत के लिए ये जेट?
दक्षिण एशिया की बात करें तो भारत और चीन के अलावा किसी अन्य देश के पास एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं है. चीन के एयरक्राफ्ट कैरियर पर तीन तरह के मल्टीरोल फाइटर जेट तैनात हैं. पहला जे-10, दूसरा जे-15 और तीसरा सुखोई-30. तीनों से राफेल की तुलना समझिए. जे-10 जेट 55.5 फीट लंबा, जे-15 जेट 73.1 फीट और सुखोई-30 जेट 72 फीट लंबा है. जबकि राफेल-एम 50.1 फीट लंबा है. यानी आकार में सबसे छोटा.
चीन का जे-10 फाइटर जेट को एक पायलट, जे-15 को 1 या 2 और सुखोई-30 को 2 पायलट मिलकर उड़ाते हैं. जबकि, राफेल को 1 या 2 पायलट उड़ाते हैं. जे-10 का कुल वजन 14 हजार KG, जे-15 का 27 हजार KG और सुखोई-30 का 24,900 किलोग्राम है. जबकि, राफेल का सिर्फ 15 हजार किलोग्राम है. यानी हल्का है.
सबसे ज्यादा उड़ान की क्षमता
चीन के जे-10 में 8950 लीटर की इंटर्नल फ्यूल कैपेसिटी है. जे-15 की 9500 लीटर और सुखोई-30 फाइटर जेट की 9400 लीटर फ्यूल कैपेसिटी है. राफेल-एम की फ्यूल कैपेसिटी करीब 11,202 किलोग्राम है. यानी सभी फाइटर जेट से ज्यादा देर फ्लाई कर सकता है. ज्यादा देर तक डॉग फाइट में भाग ले सकता है.

स्पीड में J-15 से कम, रेंज सबसे ज्यादा
जे-10 की अधिकतम गति 2205 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जे-15 की मैक्सिमम स्पीड 2963 किलोमीटर प्रतिघंटा है. सुखोई-30 की अधिकत रफ्तार 2120 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जबकि, राफेल-एम की अधिकतम गति 2205 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यानी जे-15 से कमजोर लेकिन सुखोई से ऊपर और जे-10 के बराबर.
जे-10 की कॉम्बैट रेंज 1240 किलोमीटर, जे-15 की फेरी रेंज 3500 किलोमीटर और सुखोई-30 की फेरी रेंज 3000 किलोमीटर है. जबकि, राफेल-एम की कॉम्बैट रेंज 1850 किलोमीटर है. इसकी फेरी रेंज 3700 किलोमीटर है. यानी सबसे बेहतर.
इस मामले में है चीन के फाइटर से कमजोर
जे-10 अधिकतम 59 हजार फीट, जे-15 फाइटर जेट 66 हजार फीट और सुखोई-30 करीब 57 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. जबकि राफेल-एम 52 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इस मामले में यह चीन के तीनों फाइटर जेट से पीछे हैं.
राफेल में ज्यादा हथियार लगाने की क्षमता
चीन के जे-10 फाइटर जेट में 11 हार्डप्वाइंट्स हैं. यानी चार तरह के हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, 90 मिलिमीटर के अनगाइडेड रॉकेट्स, 23 मिलिमीटर की गन और चार तरह के बम लगाए जा सकते हैं. जे-15 फाइटर जेट में 12 हार्डप्वाइंट्स हैं. जिनमें 9 तरीके के हथियार लगाए जा सकते हैं. इसके अलावा बम भी. इसमें 30 मिलिमीटर की गन लगी होती है.

सुखोई-30 में 12 हार्डप्वाइंट्स हैं. यानी तीन तरह के रॉकेट्स, चार तरह के मिसाइल और 9 तरह के बम या इनका मिश्रण लगा सकते हैं. इसमें 30 मिलिमीटर की गन लगी है. जबकि, राफेल-एम में 30 मिलिमीटर की ऑटोकैनन गन लगी है. इसके अलावा 14 हार्डप्वाइंट्स हैं. इसमें तीन तरह के हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, हवा से सतह पर मार करने वाली सात तरह की मिसाइलें, एक परमाणु मिसाइल या फिर इनका मिश्रण लगा सकते हैं.
चीन के जे-10 और जे-15 फाइटर जेट्स एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात होने वाले चौथी पीढ़ी के फाइटर जेट्स हैं. वहीं सुखोई-30 मल्टीरोल एयर सुपरीरियॉरिटी फाइटर जेट है. जबकि, राफेल-एम 4.5 जेनरेशन का आधुनिक फाइटर जेट है, जिसे विमानवाहक युद्धपोत पर तैनात करने के लिए ही बनाया गया है.
पाकिस्तान के पास जो फाइटर जेट्स हैं, उनमें से ज्यादातर चीन के ही हैं. चीन ने अपनी पांचवीं पीढ़ी के जे-20 फाइटर जेट्स को फिलहाल नौसेना में तैनात नहीं किया है. न ही पाकिस्तान को दिया है. कुछ कमियों को छोड़कर राफेल-एम चीन और पाकिस्तान के फाइटर जेट्स को टक्कर देने में पूरी तरह सक्षम है.