scorecardresearch
 

भारतीय सेना ने अपनी नई राइफल 'शेर' का पहला टैक्टिकल वीडियो जारी किया

भारतीय सेना ने AK-203 राइफल का शानदार वीडियो जारी किया है. इसका नाम शेर रखा है. अमेठी में बनी यह राइफल अब 70% भारतीय स्टील से बन रही है. पुरानी INSAS को विदा कर 2025 के अंत तक 75,000 नई राइफलें आएंगी. 7.62mm की ताकतवर गोली, तेज फायरिंग, हर मौसम में भरोसेमंद.

Advertisement
X
ये है भारतीय सेना की AK-203 शेर की फायरिंग का वीडियोग्रैब. (Videograb: AGDPI)
ये है भारतीय सेना की AK-203 शेर की फायरिंग का वीडियोग्रैब. (Videograb: AGDPI)

भारतीय सेना ने एक शानदार 24 सेकंड का टैक्टिकल वीडियो जारी किया है, जिसमें नई AK-203 राइफल को दिखाया गया है. इसे 'शेर' नाम दिया गया है, क्योंकि यह जंग के मैदान में दुश्मनों पर गरजने वाली है. यह राइफल 1990 के दशक की पुरानी INSAS राइफल की जगह ले रही है, जो अब जंग के लिए कमजोर पड़ चुकी है.

उत्तर प्रदेश के अमेठी में रूस की क्लाश्निकोव कंपनी के साथ मिलकर बनाई जा रही यह राइफल आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है. सेना साल के अंत तक 75000 और राइफलें शामिल करने वाली है, ताकि सीमा पर तैनात जवान और मजबूत हो सकें. 

यह भी पढ़ें: मानव, मशीन और मार्केट... एक हादसा न तेजस की हिम्मत तोड़ सकता है, न भारतीय फाइटर जेट प्रोग्राम की

वीडियो की झलक: शैडोज एंड स्टील में शेर की दहाड़

वीडियो का नाम है 'शैडोज एंड स्टील'. इसमें अमेठी के कोरवा प्लांट में राइफल को जोड़ते और चलाते सैनिक दिखाए गए हैं. वीडियो में लिखा है – छाया में सिर्फ स्टील ही सच बोलता है. शेर (AK-203) की दहाड़ सुनो – भारत का नया सिग्नेचर साउंड. यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.

सेना के ADG PI ने ट्वीट किया – आत्मनिर्भर स्टील, भारत में बनी. टैक्टिकल ASMR. वीडियो से साफ लगता है कि यह राइफल जवान की जान बचाने और दुश्मन को भगाने के लिए बनी है.

Advertisement

AK-203 क्या है? INSAS से क्यों बेहतर?

पुरानी INSAS राइफल 1990 में बनी थी. यह 5.56mm की गोली चलाती थी, जो दुश्मन को सिर्फ घायल करती थी, मार नहीं पाती. ठंड, गर्मी या नमी में यह अक्सर जाम हो जाती थी. करगिल युद्ध में भी सैनिकों को परेशानी हुई थी. अब AK-203 आ रही है – 7.62mm की गोली चलाती है, जो दूर तक जाती है और ज्यादा घातक है.  

इसकी खासियतें...

  • फायरिंग रेट: एक मिनट में 700 गोलियां चला सकती है.  
  • डिजाइन: हल्की और आरामदायक, हाथ में आसानी से पकड़ आती है.  
  • ऑप्टिक्स रेल: नजर के लिए बेहतर साइट लग सकती है, निशाना लगाना आसान.  
  • मजबूती: रेगिस्तान, पहाड़ या जंगल – कहीं भी काम करती है.

एक AK-203 में 50 मुख्य पार्ट्स और 180 छोटे पार्ट्स हैं. यह कम से कम 15,000 गोलियां चला सकती है बिना खराब हुए. INSAS की तुलना में यह ज्यादा विश्वसनीय है, जो सीमा पर जवान की जान बचाएगी.

AK-203 Sher Tactical Video

कैसे बन रही है? रूस के साथ साझेदारी और आत्मनिर्भरता

यह राइफल भारत-रूस की संयुक्त कंपनी 'इंडो-रूसिया राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड' (IRRPL) में बन रही है.   कंपनी में भारत का ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (अब AWEIL और MIL) का 50% से ज्यादा हिस्सा है. रूस की क्लाश्निकोव (42%) और रोसोबोरोनएक्सपोर्ट (7.5%) साझेदार हैं।  

Advertisement

2021 में 5,124 करोड़ रुपये का सौदा हुआ – कुल 6.7 लाख राइफलें बनेंगी. पहली 70000 रूस से आईं, अब अमेठी में बन रही हैं. आत्मनिर्भर भारत के तहत पहले 25% पार्ट्स भारतीय स्टील से बने. अब 70% तक पहुंच गया. दिसंबर 2025 तक 100% भारतीय पार्ट्स से बनेगी. फैक्ट्री में बैरल, ट्रिगर और रिसीवर जैसे मुख्य पार्ट्स अब भारत में ही बन रहे हैं. रूस ने तकनीक दी, लेकिन भारत ने अपना स्टील और मजदूर लगाए. इससे नौकरियां बढ़ीं और आयात कम हुआ.

यह भी पढ़ें: आखिरी पल तक तेजस और खुद को बचाने की कोशिश करते रहे विंग कमांडर नमांश, देखें Video

योजना: कितनी राइफलें और कब?

  • कुल 6.7 लाख राइफलें सेना और वायुसेना को मिलेंगी.  
  • 2025 के अंत तक: 70,000-75,000 नई राइफलें.  
  • 2026 में: 1 लाख और.  
  • कुल समय: 10 साल (2032 तक).

अभी तक 35,000 राइफलें डिलीवर हो चुकी हैं. अमेठी की फैक्ट्री तेजी से काम कर रही है – हर महीने 12,000 राइफलें बनेंगी. INSAS को धीरे-धीरे हटाया जा रहा है. पहले बॉर्डर पर तैनात इकाइयों को मिलेंगी.

AK-203 Sher Tactical Video

क्यों जरूरी? क्षेत्रीय तनाव के बीच मजबूत सेना

चीन के साथ LAC पर तनाव और पाकिस्तान से बॉर्डर पर हमले बढ़े हैं. ऐसे में जवान को मजबूत हथियार चाहिए. AK-203 से सैनिकों की फायरिंग पावर दोगुनी हो जाएगी. यह न सिर्फ INSAS की कमियों को दूर करेगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत को मजबूत बनाएगी. भविष्य में यह राइफल नेपाल या अन्य देशों को निर्यात भी हो सकती है.

Advertisement

निर्यात और सुधार

AK-203 से भारत छोटे हथियारों में आत्मनिर्भर हो रहा है. विशेषज्ञ कहते हैं, 100% भारतीय उत्पादन से कीमत कम होगी और एक्सपोर्ट बढ़ेगा. लेकिन अभी सॉफ्टवेयर और एक्सेसरीज में सुधार की जरूरत है. सेना का लक्ष्य – हर जवान के हाथ में 'शेर'. यह वीडियो सिर्फ एक प्रचार नहीं, बल्कि भारत की सैन्य ताकत का नया अध्याय है. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement