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ISIS के अंत का नाम है 'ऑपरेशन ओकरा'

ज़मीन छिन गई, आतंकी बचे नहीं, जान आफ़त में है और अब ऊपर से बगदादी के खिलाफ छेड़ दिया गया है ऑपरेशन ओकरा. यानी बची-खुची जो उम्मीदें थीं अब वो भी टूटकर बिखर गईं. पर आखिर क्या है ये ऑपरेशन ओकरा? और इस ऑपरेश ओकरा का बगदादी से क्या लेना-देना? तो जानिए, जब आसमान से क़यामत बरसे, समंदर से तबाही आए और ज़मीन से मौत. तो बस उसे ही 'ऑपेरशन ओकरा' कहते हैं.

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बगदादी की सबसे बड़ी मुसीबत का नाम है 'ऑपरेशन ओकरा'
बगदादी की सबसे बड़ी मुसीबत का नाम है 'ऑपरेशन ओकरा'

ज़मीन छिन गई, आतंकी बचे नहीं, जान आफ़त में है और अब ऊपर से बगदादी के खिलाफ छेड़ दिया गया है ऑपरेशन ओकरा. यानी बची-खुची जो उम्मीदें थीं अब वो भी टूटकर बिखर गईं. पर आखिर क्या है ये ऑपरेशन ओकरा? और इस ऑपरेश ओकरा का बगदादी से क्या लेना-देना? तो जानिए, जब आसमान से क़यामत बरसे, समंदर से तबाही आए और ज़मीन से मौत. तो बस उसे ही 'ऑपेरशन ओकरा' कहते हैं. इन आसमानी आफ़तों ने जो कयामत बगदादी के सिर पर बरसाई उसके बाद तो यकीनन बगदादी सोच ही रहा होगा कि अब वो करे तो करे क्या.

फाइटर जेट्स ने बग़दादी के ठिकानों को तबाह किया
एक के बाद एक उसके आतंकी मरते जा रहे हैं. इराकी और सीरियाई फौजें उसकी ज़मीनें छीनती जा रही हैं और जिन हथियारों का सहारा था, उनको ऑस्ट्रेलिया के इन जंगी जहाज़ों ने तबाह और बर्बाद कर दिया. बगदादी की सल्तनत में एक अरसे के बाद ऐसा ज़ोरदार हमला हुआ है. ये हमला भी ऐसा था जिसने बग़दादी की कमर तोड़ दी और अब बगदादी जंग के मैदान में मुंह दिखाने लायक भी नहीं बचा है. सीरिया, इराक, रूस और अमेरिका के बाद अब ऑस्ट्रेलिया के हमलों ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा है. जंगी जहाज़ F/A-18 हॉर्नेट फाइटर से आस्ट्रेलियाई डिफेंस फोर्स ने इराक और सीरिया में ऐसे ताबड़तोड़ हमले किए कि बग़दादी की आखिरी उम्मीद भी अब जाती रही. भारी भरकम बमों से लैस F/A-18 हॉर्नेट फाइटरों को नज़दीकी एयरबेस से उड़ाया गया. पूरे जोश से लबरेज़ ऑस्ट्रेलियाई एयर टास्क ग्रुप के पायलट इस आसमानी आफत को लेकर उड़े. एक साथ दर्जनों की तादाद में फाइटर जेट्स ने बग़दादी के ठिकानों को तबाह करने के लिए उड़ान भरी.

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आस्ट्रेलियाई डिफेंस फोर्स कर रही है IS को तबाह
जो हवा से हवा में और हवा से ज़मीन पर मार करने की तमाम सलाहियतों से लैस थे. और एक बार बगदादी की सल्तनत पर पहुंचने के बाद जैसे ही इन्हें कंट्रोल रूम से इशारा मिला, वैसे ही फाइटर जेट में बैठे पायलटों ने एक साथ ट्रिगर दबा दिया. ट्रिगर दबते ही फाइटर जेट में लगे बमों ने आईएसआईएस के ठिकानों पर धावा बोल दिया. सबसे पहले हमला किया गया उत्तरी इराक के उन इलाकों पर जहां आतंकी बम बना रहे थे. बगदादी के आतंकियों ने यहां बाकायदा बम बनाने की फैक्ट्री खोल रखी थी. और जैसे ही बम ने इन जगहों पर तबाही मचाई उसका धुआं और धमाके की आवाज़ कई किलोमीटर दूर तक सुनी गई. इस दौरान एक अजीब तस्वीर भी कैमरे में रिकार्ड हुई. बम गिरने और धमाके होने के बाद भी मिसाइल जैसी किसी चीज़ के निकलने की तस्वीरें रिकॉर्ड हुईं. इराक में आईएसआईएस के आतंकी ठिकानों को तबाह करने के बाद आस्ट्रेलियाई डिफेंस फोर्स ने सीरिया का रूख किया और वहां भी बम गिराए.

हवा में पूरा किया तेल भरने का काम
बम गिराने का सिलसिला तब तक जारी रहा जब तक ऑपरेशन ओकरा पूरा नहीं हुआ. यही नाम दिया गया था बग़दादी के हथियारों की फैक्ट्री को तबाह करने वाले इस ऑपरेशन को. ऑपरेशन के दौरान एक वक्त वो भी आया जब कई ऑस्ट्रेलियाई फाइटर जेट का तेल खत्म होने लगा. मगर बिना मिशन पूरा किए वापस एयरबेस में जाकर तेल भरने के बजाए पायलटों ने हवा में ही तेल भरने का काम पूरा कर लिया. ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद से ही इराक और सीरिया में ऑस्ट्रेलियन मिलिट्री के एयर टास्क ग्रुप की हवाई गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं. ऑस्ट्रेलिया के रक्षा विभाग ने खुद कन्फर्म किया है कि उसने आस्ट्रेलियाई डिफेंस फोर्स के करीब 780 जवान उतारे हुए हैं. इनमें से करीब 300 ऑस्ट्रेलिया के एयर टास्क ग्रुप के हैं. जबकि 80 स्पेशल ऑपरेशन टास्क ग्रुप के कमांडो और 300 टास्क ग्रुप ताजी के हैं. माना जा रहा है कि ऑस्ट्रेलियाई फोर्स के इस हमले में न सिर्फ आईएसआईएस के हथियारों का ज़खीरा पूरी तरह बर्बाद हो गया है बल्कि उसके कई आतंकी भी मारे गए हैं.

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मारे गए आतंकियों का आंकड़ा नहीं किया गया जारी
हालांकि अभी तक किसी भी एजेंसी ने मारे गए आतंकियों की तादाद का आंकड़ा जारी नहीं किया है. खैर, ऑपरेशन ओकरा तो आपने समझ लिया मगर शायद उस बात पर गौर नहीं किया, जो बात बगदादी के डर का सबब बनी हुई है. और वो बात ये है कि ऑस्ट्रेलियाई डिफेंस फोर्स आतंक के सफाए के लिए अपने 80 स्पेशल कमांडो इराक और सीरिया भेज रहा है. ये वही कमांडो हैं, जो गोली पहले मारते हैं और सुनते बाद में हैं. गलती और रहम इन दोनों चीज़ों की गुंजाइश इनके पास कतई नहीं है. 80-80 आतंकियों पर भारी हैं ऑस्ट्रेलियाई डिफेंस फोर्स का एक-एक स्पेशल कमांडो. तो सोचिए जिन 80 स्पेशल कमांडो को ऑस्ट्रेलियाई सेना ने इराक और सीरिया में आतंक से जंग के लिए भेजने का फैसला किया है वो आतंकियों का क्या हश्र करेंगें. जल में, थल में और आसमान में इनका कोई सानी नहीं है. निशाना ऐसा कि गलती कि गुंजाइश न के बराबर समझिए. मुस्तैदी ऐसी कि आतंकी बचकर निकल जाए ऐसा मुमकिन नहीं.

IS आतंकियों के खात्मे का ब्लूप्रिंट तैयार
कहने की ज़रूरत नहीं कि अगर जंग के मैदान में ये उतर गए तो आतंकियों की खैर नहीं. इराक और सीरिया में आतंकियों की लुका-छिपी का खेल अब खत्म ही समझिए. क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ने फैसला कर लिया है कि उसकी डिफेंस फोर्स के एक-दो नहीं बल्कि 80-80 स्पेशल कमांडो आतंकियों के सफाए के लिए इराक और सीरियाई सरज़मीं पर उतरने वाले हैं. जो बगदादी के गुर्गों को उनके बिलों में घुसकर मारेंगे. आतंक के खात्मे के लिए अब तक के इस सबसे खतरनाक प्लान का ब्लूप्रिंट तैयार किया जा चुका है. कब, कहां और कैसे. किस तरह इंसानियत के इन नासूरों का ऑपरेशन करके इन्हें जहन्नुम भेजा जाएगा, ये सब अब दुनिया बहुत जल्द देखेगी. दरअसल, ये दुनिया के वो सबसे खतरनाक कमांडो हैं, जो दुश्मन को पाताल से भी घसीट लाते हैं. क्योंकि ये ऑस्ट्रेलिया के वो कमांडो हैं, जिनका ऑपरेशन कभी नाकामयाब नहीं होता. और अब यही फोर्स बगदादी के आतंकियों पर काल बनकर टूटने वाली है.

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जल्द जीत के उतारे जाते हैं ये कमांडो
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन्हें तब ही मैदान में उतारा जाता है, जब जीत जल्द से जल्द चाहिए होती है. और अब ये तय हो चुका है कि ऑस्ट्रेलिया के ये स्पेशल कमांडो आईएसआईएस के खात्मे की कसम खाकर बहुत जल्द मैदान-ए-जंग में उतरने वाले हैं. और एक बार ये पहुंच गए तो फिर आतंकियों की किलेबंदी को तोड़ने में इन्हें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. ये आतंक की हर गोली का मुंहतोड़ जवाब देंगे. जिहाद तो तब होगा जब आतंकी ज़िंदा बचेंगे और मौजूदा हालात देखते हुए ऐसा लगता है कि आईएसआईएस के आतंकियों की कहानी अब बस खत्म है. कहानी तो खैर बगदादी की भी अब ज़्यादा बची नहीं है. इसीलिए जब जान के लाले पड़ने लगे तो आतंक के इस आका ने खुद अपने आतंकियों से कह दिया है, जान बचाकर भागो और अगर पकड़े जाने का डर हो तो खुद को धमाके से उड़ा लेना. सीरिया और इराक में आतंक के इस आका पर इतने हमले हो रहे हैं कि अब उसकी हिम्मत जवाब देने लगी है.

उखड़ने लगी हैं आतंकियों की जमीन
बगदादी के आतंकियों के पैर उखड़ने लगे हैं. जिन इलाकों में अबु-बकर-अल-बग़दादी और उसके आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने तबाही मचा रखी थी, अब वहां भी उन्हें सिर छुपाने की जगह नहीं मिल रही है. और अब तो जान के लाले पड़े हुए हैं. अमेरिका, रूस, सीरिया और इराक समेत मित्र देशों की सेनाओं ने उसे चारों तरफ से घेर रखा है. अमेरिका में हुकूमत बदलने के बाद से तो मित्र देशों की सेनाओं के हमले भी और तेज़ हो गए हैं. इन हमलों की वजह से आतंक के साम्राज्य का पूरी तरह से सफाए का वक़्त अब बेहद नज़दीक है. क्योंकि अपने जिन गुर्गों पर उसे सबसे ज़्यादा यकीन था उनका धीरे धीरे खात्मा होता जा रहा है. अब तो आलम ये है कि आतंकियों को छोड़िए खुद बग़दादी को अपनी जान की फिक्र सताने लगी है. जान बचाने के लिए वो मारा-मारा फिर रहा है. शायद उसे भी अब ये एहसास हो चुका है कि मौत उसे कभी भी अपने पंजे में घेर सकती है. और उसका खात्मा तय है.

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आतंकियों से कहा- लौट जाओ अपने देश
इसीलिए उसने फैसला किया है कि अपनी सल्तनत में पल रहे आतंकियों को वो अपनी पनाह से आज़ाद कर देगा. बगदादी के बेहद करीबियों ने ये खुलासा किया है कि उसने अपने आतंकियों से कह दिया है कि हार तय है. लिहाज़ा जान बचा सकते हो तो बचा लो. जो अपने-अपने देश लौटना चाहते हैं वो लौट जाएं और जो न लौट पाएं और पकड़े जाने का डर हो तो खुद को धमाके से उड़ा लें. बगदादी की सल्तनत से हुआ ये खुलासा बता रहा है कि दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी अब कितना बेबस हो चुका है. इसीलिए वो अपने आतंकियों को इराक और सीरिया से निकलकर दूसरे देशों में जाकर ठिकाना बनाने और आईएसआईएस के मिशन को पूरा करने की सलाह दे रहा है. और अगर ऐसा हुआ तो यकीन मानिए इराक और सीरिया में खत्मे के बाद भी बगदादी के गुर्गे पूरी दुनिया में मौजूद रहेंगे.

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