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लखनऊ: KGMU के डॉक्टर ने बताया, कोरोना संक्रमण से कैसे खुद को बचाएं

कोरोना की दूसरी लहर शहरों के साथ ही अब गांव की ओर बढ़ने लगी है. ग्रामीण अंचल के लोग भी इस वायरस की चपेट में आ रहे हैं. इसे लेकर केजीएमयू के डॉक्टर ने उन्हें सावधान रहने की सलाह दी है, साथ ही बताया कि वे किस प्रकार सस्ते और सटीक इलाज से जान बचा सकते हैं.

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KGMU के डॉक्टर वेद प्रकाश
KGMU के डॉक्टर वेद प्रकाश
स्टोरी हाइलाइट्स
  • N-95 नहीं तो दो लेयर वाला मास्क लगाएं
  • दो गज नहीं, अब दूरी को बढ़ाना जरूरी 
  • रेमडेसिविर नहीं, डेक्सामेथासोन करें इस्तेमाल  

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पलमोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने गांव में रह रहे लोगों के लिए सस्ते और बेहतरीन इलाज के लिए टिप्स दिए हैं. डॉ. वेद प्रकाश का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर बहुत तेजी से गांव की तरफ पहुंच रही है और ऐसे में हमें बहुत सावधानी के साथकुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना होगा, जिसमें कोविड-19 के प्रोटोकॉल का हमें सख्ती से पालन करना होगा. 

डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि 2 गज की दूरी है, उसे अब 2 गज से ज्यादा बढ़ा कर रखना होगा. मास्क अगर N-95 नहीं है, तो दो कपड़ों वाला मास्क पहनना होगा. खांसी और छींक के वक्त कपड़े का इस्तेमाल करें. बार-बार हाथों को साबुन और सैनिटाइजर से साफ करें. डॉ. वेद प्रकाश बताते हैं कि कोरोना वायरस बीमारी के ट्रीटमेंट को दो सप्ताहों में बांट सकते हैं, जिसमें पहले सप्ताह वायरस के रिप्लिकेशन का होगा, जिसमें वायरस बॉडी में मल्टीप्लाई करता है एक्टिवेट हो जाता है, फिर वायरस और इम्यूनिटी के बीच संघर्ष चलता है. यह सब पहले सप्ताह में चलता है. 

दूसरे सप्ताह करें ये इलाज 
डॉ. वेद ने बताया कि दूसरे सप्ताह में पलमोनरी कॉम्प्लिकेशन होता है, जिसमें साइटोकॉइन स्टॉर्म, इन्फ्लेमेशन, इन्फ्लेमेटरी मार्कर, इस सब की वजह से जो इन्फ्लेमेटरी रिस्पांस है, वह पूरी तरह से ब्लड वेसल्स में आ जाता है और इसका सबसे ज्यादा असर लंग्स में कोविड निमोनिया के तौर पर होता है. ऐसे में अगर ट्रीटमेंट की बात करें, तो उसमें जो पहला सप्ताह है, उसमें आईवर मेक्टिन दवा है, जो 12 mg की गोली है, इसे 3 दिन तक लिया जाता है, इसके साथ-साथ डॉक्सीसाइक्लिन एंटीबायोटिक 100 mg जिसे सुबह शाम 5 से 7 दिन के लिए प्रयोग करना है. वहीं जो  एग्जॉथ्रोमाईसिन 500 mg दवा है, उसे एक बार 3 दिन के लिए लेने की जरूरत है. 

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सपोर्टिव मेडिसिन में ये लें 
इसके अलावा सपोर्टिव मेडिसिन में विटामिन बी थ्री 60 हजार यूनिट को हफ्ते में एक बार लेने के लिए कहा गया है. इसके अलांवा विटामिन सी 500mg को दिन में तीन बार रोजाना 10 से 15 दिन के लिए लेना है. 50mg की जिंक की टैबलेट भी लेनी है हर रोज एक दिन. डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि ट्रीटमेंट के दौरान हमें देखना होगा कि जो दवा का ट्रीटमेंट चल रहा है. क्या 5-6 दिन में थकान, बुखार-खांसी, जुखाम कम हो रहा है कि नहीं? अगर लक्षण इन दवाओं के ट्रीटमेंट के बावजूद भी नहीं कम हो रहे हैं और सूखी खांसी, आना शुरू हो गई है तो इसके लिए हमें जल्दी से जल्दी डॉक्टर से सलाह लेनी होगी और जो स्टेरॉइड्स हैं, उनमें डेक्सामेथासोन या मेथापेरीलेसान की अच्छी डोज डॉक्टर को शुरू करनी होगी. 

रेमडेसिविर नहीं रामबाण
केजीएमयू के डॉक्टर ने डॉक्टरों से भी अपील करते हुए कहा है कि पल्स थेरेपी प्रारंभ करने से घबराए नहीं और उसे अच्छी डोज में दें. जो दवाइयां एंटीवायरल के लिए कही जा रही हैं, जिसमें रेमडेसिविर इंजेक्शन है या जो अन्य हैं, तो यह कहूंगा कि यह ऐसी दवाई नहीं है,जो बहुत आवश्यक है या बहुत रामबाण हों, जो कोई जादू कर सकें. अगर इस दवाई से ज्यादा प्रभाव वाली दवाई की बात करें तो वह डेक्सामेथासोन होगा, जोकि बहुत ही सस्ते में और गांव-गांव में उपलब्ध है. अगर सभी लोग अपने डॉक्टर के दिशा निर्देश में यह दवाइयां लेना शुरू करेंगे, तो निश्चित रूप से बड़ी संख्या में जो जानें जा रही है, हम उसे बचाने में कामयाब हो सकेंगे.

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