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कोरोना का नया सब-वैरिएंट, कम या ज्यादा घातक, वैक्सीन का कितना असर? जानिए सबकुछ

कोरोना वायरस का एक और सब-वैरिएंट सामने आ गया है. ये ओमिक्रॉन का ही एक हिस्सा है जो तेजी से फैल भी सकता है और वैक्सीन के असर को भी कम कर सकता है. अमेरिका और ब्रिटेन में इस सब-वैरिएंट के मामले सामने आए हैं. इसे BA.4.6 के रूप में पहचान दी गई है.

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कोरोना का नया वैरिएंट आया
कोरोना का नया वैरिएंट आया

कोरोना का खतरा पहले की तुलना में अब कुछ कम हो गया है. पूरी दुनिया में इस समय कोरोना मामलों में गिरावट दर्ज की जा रही है. भारत में भी स्थिति काफी बेहतर हो रही है. लेकिन इन सुधरते हालात के बीच ओमिक्रॉन का एक सब-वैरिएंट सामने आया है. इस सब-वैरिएंट को BA.4.6 बताया जा रहा है जिसके अभी तक अमेरिका और ब्रिटेन में मामले सामने आए हैं.

Recombinant Variant क्या है?

BA.4.6 ओमिक्रॉन का ही एक दूसरा सब-वैरिएंट है. इससे पहले BA.4 सामने आया था जिसने साउथ अफ्रीका के मामलों में तेजी लाई थी और फिर पूरी दुनिया में फैल गया था. भारत में जब कोरोना की तीसरी लहर आई थी, तब भी ये सब-वैरिएंट हावी नजर आया था. लेकिन अब एक और सब-वैरिएंट सामने आया है जिसे जानकार 'Recombinant Variant' मानकर चल रहे हैं. असल में Recombination तब देखने को मिलता है जब एक शख्स दो अलग-अलग कोरोना के सब-वैरिएंट से संक्रमित हो जाता है. 

जानकारी तो ये भी दी गई है कि BA.4.6 कई मायनों में BA.4 जैसा ही है, लेकिन इसके स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन देखने को मिला है. अब तक जिन भी कोरोना के वैरिएंट में ये वाला म्यूटेशन देखने को मिला है, वो इम्यून सिस्टम को चकमा देने में ज्यादा सफल रहते हैं. ऐसे में BA.4.6 के साथ भी ये खतरा बना हुआ है. ये इम्यून सिस्टम को चकमा दे सकता  है. यानी कि अगर वैक्सीन लग भी चुकी है, तब भी संक्रमित होना का खतरा बना हुआ है.

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वैक्सीन असरदार या नहीं?

ऑक्सवर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में ये भी सामने आया है कि अगर किसी शख्स को फाइजर वैक्सीन की तीन डोज भी लग चुकी हैं, फिर भी वो BA.4.6 के खिलाफ कम एंटीबॉडी जनरेट करता है. ऐसी स्थिति में वैक्सीन इस सब-वैरिएंट के खिलाफ कम असरदार मानी जा सकती है. BA.4.6 को लेकर ये भी पता चला है कि ओमिक्रॉन के दूसरे वैरिएंट की तरह ये भी तेजी से फैल सकता है, संक्रमण दर भी ज्यादा रह सकता है. लेकिन संक्रमित व्यक्तियों में लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं होंगे. ओमिक्रॉन के अब तक जितने भी सब-वैरिएंट आए हैं, उन सभी में ये समान रूप से देखने को मिला है.

अमेरिका-यूके में मामले ज्यादा

ऐसे में नए वैरिएंट के साथ चिंता वाला पहलू सिर्फ इस बात को लेकर है कि ये तेजी से फैल सकता है और वैक्सीन का भी इस पर असर कम रहेगा. आंकड़े तो ये भी बताते हैं कि यूके में अगस्त में इस वेरिएंट 3.3 प्रतिशत मामले थे, जो अब बढ़कर 9 प्रतिशत दर्ज किए गए हैं. अभी तक भारत में इस वैरिएंट के कोई मामले देखने को नहीं मिले हैं, ऐसे में चिंता का विषय नहीं है, लेकिन जानकार कह रहे हैं कि कोरोना से सतर्क रहने की जरूरत अभी भी है.

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