सरकार ने खजाने को भरने के लिए पिछले साल 6 लाख करोड़ रुपये की नेशनल मनीटाइजेशन पाइपलाइन (National Monetization Pipeline) का ऐलान किया था. इसके तहत साल 2025 तक सरकार बिजली से लेकर सड़क और रेलवे तक की बुनियादी संरचनाओं से पैसे जुटाने वाली है. ताजा अपडेट में सरकार ने सोमवार को संसद में बताया कि इस स्कीम (NMP) के तहत मौजूदा फाइनेंशियल ईयर (FY 22-23) में विभिन्न बुनियादी संरचनाओं (Infrastructure) से 1.62 लाख करोड़ रुपये से अधिक रकम जुटाने का लक्ष्य रखा गया है.
पिछले फाइनेंशियल ईयर में मिले इतने करोड़
चालू फाइनेंशियल ईयर यानी FY23 के चार महीने पहले ही बीत चुके हैं. अगस्त 2022 से लेकर मार्च 2023 तक अब सरकार के पास आठ महीने बचे हैं. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोसकभा को एक लिखित जवाब में बताया कि पिछले फाइनेंशियल ईयर यानी FY22 में सरकार ने बुनियादी संरचनाओं से करीब 97 हजार करोड़ रुपये जुटाए थे. इस फाइनेंशियल ईयर में जो प्रमुख डील होने वाले हैं, उनमें पीपीपी कंसेशन पर आधारित हाइवे के टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (TOT), नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया का इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (NHAI InvIT), पारवग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (Powergrid InvIT), पिछले फाइनेंशियल ईयर में नीलाम किए गए कोयला व खनिज खदानों से होने वाली सालाना कमाई, रेलवे कॉलोनीज के रिडेवलपमेंट में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट, पीपीपी मॉडल पर लीज पर दिए 6 एयरपोर्ट से मिलने वाली रकम और पीपीपी मॉडल पर लीज पर दिए गए पोर्ट टर्मिनल में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट शामिल हैं.
इतनी रकम जुटाना चाह रही है सरकार
मंत्री ने कहा, 'नेशनल मनीटाइजेशन पाइपलाइन के तहत FY22-23 के दौरान जिन संपत्तियों से पैसे जुटाए जाने वाले हैं, उनकी इंडिकेटिव वैल्यू 1,62,422 करोड़ रुपये है.' किसी भी संपत्ति की इंडिकेटिव वैल्यू का मतलब उस कीमत से होता है, जो संपत्ति के मालिक को लीज की रकम या प्राइवेट इन्वेस्टमेंट के मार्फत प्राप्त होने की उम्मीद रहती है. एक्चुअल वैल्यू यानी मनीटाइजेशन के बाद प्राप्त कुल रकम कई बार इंडिकेटिव वैल्यू से काफी कम रह जाती है.
इन सेक्टर्स की संपत्तियों का होगा मनीटाइजेशन
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस फाइनेंशियल ईयर के दौरान हाइवे टीओटी बंडल्स, InvIT के फ्यूचर राउंड, खेल से जुड़ी संरचनाओं के पुनर्विकास, बिजली उत्पादन व ट्रांसमिशन से जुड़ी संपत्तियां, पीपीपी के जरिए एयरपोर्ट लीज, पीपीपी आधारित पोर्ट प्रोजेक्ट, सिलोज और वेयरहाउसेज का विकास, टावर से जुड़ी संपत्तियों का मनीटाइजेशन, खनन से जुड़ी संपत्तियों का मनीटाइजेशन आदि प्रस्तावित हैं. उन्होंने कहा कि नेशनल मनीटाइजेशन पाइपलाइन के तहत जिन सेक्टर्स की पहचान की गई है, उनमें सड़कें, हवाई अड्डे, बंदरगाह, रेलवे, वेयरहाउसेज, गैस पाइपलाइन, बिजली उत्पादन व वितरण की संरचना, खनन, दूरसंचार, स्टेडियम और शहरी रियल एस्टेट जैसे सेक्टर शामिल हैं.