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प्रशांत किशोर तो पलट गए! जनसुराज के मुखिया के पास क्या है आगे का रास्ता?

बिहार चुनाव में करारी हार के बाद प्रशांत किशोर अपने पुराने दावों पर घिर गए हैं. 150 सीटों और राजनीति छोड़ने जैसे बयानों पर पूछे गए सवालों पर उन्होंने सफाई दी और पलटी मारी. जनसुराज एक भी सीट नहीं जीत सकी, ज्यादातर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. पीके ने धनबल के प्रयोग का आरोप लगाया और गलतियों पर माफी मांगी. अब वे कहते हैं कि राजनीति नहीं छोड़ेंगे और जनहित का काम जारी रखेंगे.

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प्रशांत किशोर ने चुनाव से पहले बड़े-बड़े दावे किए थे. (File Photo: ITG)
प्रशांत किशोर ने चुनाव से पहले बड़े-बड़े दावे किए थे. (File Photo: ITG)

बिहार विधानसभा चुनावों में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद जहां महागठबंधन और आरजेडी की हार चर्चा में रही, वहीं जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर पर भी सवालों की बौछार शुरू हो गई है. चुनाव से पहले 150 सीटों का दावा, बिहार की राजनीति बदलने की भविष्यवाणी और जनसुराज को राज्य की तीसरी सबसे बड़ी ताकत बताने वाले प्रशांत किशोर अब अपने ही बयानों से घिर गए हैं. हार के बाद जब वह पहली बार मीडिया के सामने आए, तो उनके तेवर और जवाबों ने सभी को हैरान कर दिया.

चुनावी दावों पर सवाल, राजनीतिक अंदाज में जवाब 
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों ने उन्हें उनके पुराने दावे याद दिलाए. खासकर वह बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि जेडीयू 25 से ज्यादा सीटें जीत गई, तो वह राजनीति छोड़ देंगे. इस पर किशोर ने बड़ी सहजता से पलटते हुए कहा, 'मैं किस पद पर हूं जिससे इस्तीफा दूं? मैंने यह नहीं कहा था कि बिहार छोड़ दूंगा या जनता की बात कहना बंद कर दूंगा.' उनके इस जवाब पर प्रेस रूम में ठहाके लग गए. कई पत्रकारों ने टिप्पणी की कि ऐसा जवाब तो अनुभवी नेता भी शरमा जाएं.

150 सीटों का दावा हवा में क्यों उड़ गया?
प्रश्न पूछे जाने पर कि 150 सीटें जीतने का दवा कहा गया था, लेकिन जनसुराज एक भी सीट नहीं जीत पाई, पीके ने कहा कि व्यवस्था बदलने के लिए 'तीन-चार ईमानदार लोग ही काफी हैं.' उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव में बड़े पैमाने पर धनबल का इस्तेमाल हुआ और हजारों रुपये बांटकर वोट खरीदे गए. उन्होंने कहा, 'वोट नहीं मिलना गुनाह नहीं है. हमने जातीय राजनीति नहीं की. अगर मुझसे गलती हुई है, तो मैं माफी मांगता हूं.'

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चुनाव से पहले बड़े-बड़े दावे
किशोर ने अपने अभियान के दौरान दावा किया था कि अगर मगर कुछ नहीं, जीतेगा जनसुराज ही, और यह भी कहा था कि बिहार में त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है जिसका ऐतिहासिक असर दिखेगा. उनका कहना था कि जनसुराज के मैदान में उतरने से एनडीए और महागठबंधन दोनों में बेचैनी थी. लेकिन चुनावों में उनके अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, और जनसुराज को न्यूनतम वोट शेयर भी नहीं मिल सका.

विरोधियों पर हमले, खुद पर सवाल
चुनाव अभियान के दौरान पीके ने कई नेताओं पर तीखे प्रहार किए थे, जैसे सम्राट चौधरी की शिक्षा पर सवाल उठाना. अब मीडिया का कहना है कि जिस तरह वह नेताओं पर आरोप लगाते रहे, वही राजनीतिक शैली अब खुद उनके जवाबों में दिख रही है.

'राजनीति नहीं छोड़ेंगे'
पुराने दावों पर घिरने के बाद प्रशांत किशोर ने नया सवाल खड़ा किया, 'अगर सरकार युवाओं को दो-दो लाख रुपये दे दे रोजगार देने के लिए, तो मैं राजनीति क्या बिहार ही छोड़ दूंगा.' उनका यह बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है.

प्रशांत किशोर के पास क्या है आगे का रास्ता?
चुनावों में करारी हार और बयानों से घिरने के बावजूद प्रशांत किशोर का कहना है कि उनका संघर्ष जारी रहेगा. वे दावा करते हैं कि वह राजनीति नहीं बल्कि 'जनहित का काम' कर रहे हैं. लेकिन सवाल यह है कि जब एक नेता अपने ही बयानों पर खड़े न रह सके, तो जनता का भरोसा कैसे जीता जाएगा. बिहार की राजनीति में फिलहाल यह सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है.

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