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Bihar: मुजफ्फरपुर पुलिस की बड़ी लापरवाही, रेप के प्रयास के केस में 6 साल में दो बार दर्ज की FIR 

बिहार के मुजफ्फरपुर में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां एक ही कोर्ट परिवाद पर दो बार एफआईआर दर्ज की गई है. पहली एफआईआर 12 सितंबर 2016 को फिर उसी मामले में 23 दिसंबर 2022 को पुलिस ने केस दर्ज किया है. मामला जिले के अहियापुर थाना का है. मामले में वरीय अधिवक्ता ने कहा कि गलत करने वाले के खिलाफ न्यायालय से करवाई की मांग करेंगे. 

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केस की जानकारी देते अधिवक्ता सुमित कुमार. वहीं, मामले की जांच की बात कहते एसपी सिटी अवधेश दीक्षित.
केस की जानकारी देते अधिवक्ता सुमित कुमार. वहीं, मामले की जांच की बात कहते एसपी सिटी अवधेश दीक्षित.

बिहार के मुजफ्फरपुर में पुलिस ने एक ही मामले में 6 साल बाद दोबारा एफआईआर दर्ज की है. इस लापरवाही के मामले में सिटी एसपी अवधेश दीक्षित ने जांच की बात कही है. अहियापुर थाना पुलिस ने पॉक्सो के एक मामले में 12 सितंबर 2016 को एफआईआर दर्ज की थी. फिर उसी केस में 23 दिसंबर 2022 को दोबारा एफआईआर दर्ज कर दी. 

जिले के भीखनपुरा गांव की रहने वाली एक महिला ने 12 सितंबर 2016 को अपनी बेटी के साथ बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाते हुए पड़ोसी राकेश साहनी के ऊपर मुजफ्फरपुर के पॉक्सो कोर्ट में एक परिवाद दायर किया था. पक्सो कोर्ट के आदेश पर अहियापुर थाना के द्वारा 595/16 प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू की. 

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बेल लेने के बाद आरोपी पर फिर दर्ज हुई FIR 

मामले में आरोपित बनाए गए राकेश साहनी ने जमानत ले ली. इसके बाद राकेश को जानकारी हुई कि उसी मामले में दोबारा अहियापुर थाना में छह साल बाद उसी आवेदन पर एक बार फिर से 23 दिसंबर 2022 को फिर से एफआईआर दर्ज की गई है. इस बार एफआईआर की संख्या 1194 /22 है.

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पूरे मामले को लेकर आरोपी राकेश के अधिवक्ता सुमित कुमार सुमन का कहना है कि दोनों कांड में एक ही सूचक द्वारा उनके मुवक्किल राकेश साहनी को आरोपी बनाया गया है. यह बिल्कुल गलत है. मेरे मुवक्किल के खिलाफ एक ही घटना में पहली प्राथमिकी 12 सितंबर 2016 में और दूसरी प्राथमिकी छह साल के बाद 23 दिसंबर 2022 को दर्ज की गई है. 

एसपी सिटी ने कहा मामले की हो रही जांच 

रिकॉर्ड देखने से पता चलता है कि थाने ने न्यायालय को सही रिपोर्ट नहीं दी. इस वजह से मजिस्ट्रेट ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दे दिया. अगर पुलिस सही जानकारी देती, तो विवादित प्राथमिकी अस्तित्व में आती ही नहीं. अहियापुर थाने द्वारा दी गई गलत और भ्रामक सूचना के आधार पर दूसरी बार की प्राथमिकी दर्ज की गई है.

अब पूरे मामले को लेकर अधिवक्ता सुमित कुमार सुमन अग्रिम अदालत में जाने की बात कह रहे हैं. वहीं, पूरे मामले को लेकर एक ही अभियुक्त पर एक ही आवेदन के आधार पर 6 साल के बाद फिर से एफआईआर कैसे हो गई? जब यह सवाल मुजफ्फरपुर के सिटी एसपी अवधेश दीक्षित किया गया, तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. इसकी जांच की जा रही है. 

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