क्या पश्चिमी यूपी में गैर जाट ओबीसी की गोलबंदी कर रही BJP? लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दांव, सैनी समाज के दो बड़े नेताओं को जॉइन कराई पार्टी

बीजेपी ने पश्चिमी यूपी से सैनी बिरादरी के दो बड़े चेहरों राजपाल सैनी और  साहिब सिंह सैनी को पार्टी में शामिल कर लिया है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या ये सीएम योगी आदित्यनाथ की उस जिद की भरपाई है, जिसमें धर्मसिंह सैनी के लिए दरवाजा बंद कर दिया गया है या फिर जयंत के साथ जाटों की गोलबंदी की काट के तौर पर पिछड़ों की गोलबंदी का दांव चला है. 

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राजपाल सैनी और साहिब सिंह सैनी बीजेपी में शामिल राजपाल सैनी और साहिब सिंह सैनी बीजेपी में शामिल

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 26 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 8:50 AM IST

लखनऊ में पश्चिम के दो जिलों मुजफ्फरनगर और सहारनपुर से आने वाले सैनी समाज के दो नेताओं की बीजेपी में जॉइनिंग ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया. बड़ी संख्या में दोनों नेताओं के समर्थकों ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया है. बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय पर प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने इन सभी को प्रदेश कार्यालय में पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई.

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जानकारी के मुताबिक मुजफ्फरनगर के पूर्व सांसद राजपाल सैनी और सहारनपुर के रहने वाले अखिलेश सरकार में मंत्री रहे साहिब सिंह सैनी बीजेपी में शामिल हुए हैं. साहब सिंह सैनी ने जॉइनिंग से पहले शक्ति प्रदर्शन किया. हजारों की तादाद में समर्थकों और गाड़ियों का हूजूम खड़ा कर दिया. इसकी वजह साफ थी सहारनपुर के धर्मसिंह सैनी. पश्चिम में धर्मसिंह को सैनी बिरादरी का सबसे बड़ा नेता माना जाता है लेकिन बीजेपी में उनकी एंट्री को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रोक दिया था.

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इसकी वजह भी साफ थी कि धर्मसिंह सैनी पर योगी मंत्रिमंडल में आयुष मंत्री रहते हुए घोटाले का आरोप लगा है. उनके खिलाफ जांच चल रही है. ऐसे में साहब सिंह सैनी ने खुद को सहारनपुर का सबसे बड़ा नेता पेश करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. वहीं राजपाल सैनी आरएलडी से बीजेपी में आए हैं. उनका बीजेपी में आना जयंत चौधरी के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है. दरअसल राजपाल जयंत के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं. 

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इसलिए धर्मसिंह सैनी की नहीं हो पाई वापसी

2022 में चुनाव के ऐन पहले 3 बड़े पिछड़े नेताओं ने बीजेपी छोड़ी थी. ये तीनों नाम थे स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्मसिंह सैनी और दारा सिंह चौहान. दारा सिंह की तो बीजेपी में एंट्री हो गई लेकिन धर्म सिंह सैनी की बीजेपी में एंट्री होते-होते रह गई. धर्म सिंह काफी वक्त से बीजेपी में वापसी चाह रहे हैं. इसके लिए संगठन से लेकर बड़े नेताओं तक से उनकी बातचीत भी हो गई थी. यहां तक की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंच पर पार्टी जॉइन करने के लिए वह सहारनपुर से मुजफ्फरनगर के लिए निकल भी गए थे लेकिन उन्हें वापस लौटना पड़ा क्योंकि योगी आदित्यनाथ ने उनको अपने मंच से जॉइन कराने से मना कर दिया था.

चुनाव में हार के डर से बीजेपी ने चला यह दांव 

तभी से धर्मसिंह सैनी की एंट्री बीजेपी में रुक गई. ऐसा लगता है मानो अब धर्मसिंह सैनी की बीजेपी में वापसी नहीं हो सकती लेकिन धर्मसिंह सैनी को बीजेपी में नहीं लेने का नुकसान पार्टी को ना हो जाए इसलिए पार्टी ने पश्चिम के दूसरे सैनी चेहरों को जोड़ने की कवायद शुरू कर दी. खतौली के चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभा में जब धर्मसिंह सैनी को आने से रोक दिया गया और बीजेपी सैनी बाहुल्य क्षेत्र में चुनाव हार गई, तभी से पार्टी को लगने लगा था कि कहीं सैनी बिरादरी के गुस्से का पार्टी शिकार ना हो जाए. ऐसे में धर्म सिंह सैनी की काट के तौर पर साहब सिंह सैनी और राजपाल सैनी को बीजेपी ने पार्टी में शामिल किया है.

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गैरजाट ओबीसी गोलबंदी कर रही बीजेपी

एक और थ्योरी अभी चल रही है कि चुकि जयंत चौधरी ने बीजेपी के साथ आने से मना कर दिया है. ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गैर जाट ओबीसी गोलबंदी बीजेपी के लिए जरूरी है, इसलिए बीजेपी ने वहां दूसरे सभी ओबीसी बिरादरी को अपने तरफ जोड़ने की मुहिम शुरू कर दी है. इसमें सैनी बिरादरी इसलिए हम है क्योंकि उनकी तादाद पश्चिमी यूपी में सबसे ज्यादा है. इसी वजह से बीजेपी ने आरएलडी और सपा के दोनों सैनी चेहरे को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है.

बहरहाल इन दोनों के बीजेपी में आने का पश्चिम में पार्टी को कितना फायदा होगा यह कहना तो, मुश्किल है लेकिन सैनी बिरादरी के वोट पार्टी से छिटके नहीं. इसकी तैयारी बीजेपी ने जरूर कर ली है.

 

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