Sharad Purnima 2025: 06 या 07 अक्टूबर कब है शरद पूर्णिमा? जानें सही तिथि, पूजन विधि और मुहूर्त

Sharad Purnima 2025: हिंदू धर्म में आश्विन माह में पड़ने वाली शरद पूर्णिमा का खास महत्व है. इस साल शरद पूर्णिमा 06 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन चंद्र देव अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते हैं.

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कब है शरद पूर्णिमा 2025. (Photo: Pixabay) कब है शरद पूर्णिमा 2025. (Photo: Pixabay)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:50 PM IST

Sharad Purnima 2025: आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है. इसे आश्विन पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण तिथियों में से एक मानी जाती है. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होकर आकाश में उदित होते हैं. ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा की चांदनी अमृतमयी होती है और इसमें दिव्य औषधीय गुण समाहित रहते हैं.

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शरद पूर्णिमा 2025 (Sharad Purnima 2025)

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि 06 अक्टूबर 2025, दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगा. इसका समापन अगले दिन 07 अक्टूबर 2025, सुबह 09 बजकर 16 मिनट पर होगा. द्रिक पंचांग के अनुसार इस बार शरद पूर्णिमा का पर्व 06 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा. इस दिन चन्द्रोदय का समय शाम 05 बजकर 27 मिनट पर होगा.

शरद पूर्णिमा का महत्व (Significance)

इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होते हैं. मान्यता है कि रात के समय चांदनी में रखे गए दूध या खीर पर अमृत के समान गुण आ जाते हैं. इसे ग्रहण करने से शरीर निरोगी रहता है और रोगों से मुक्ति मिलती है. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष पूजा का विधान है. पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि, धन-धान्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

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शरद पूर्णिमा की पूजन विधि (Pooja Vidhi)

इस दिन प्रातःकाल स्नान करके घर की साफ-सफाई करें. घर के मंदिर या पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और पूजा सामग्री तैयार करें. एक चौकी पर लाल या पीले रंग का स्वच्छ वस्त्र बिछाएं और उस पर मां लक्ष्मी व भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें. धूप-दीप जलाकर पूजा आरंभ करें. मां लक्ष्मी को कमल का फूल, श्वेत वस्त्र और मिठाई अर्पित करें. शरद पूर्णिमा की रात आंगन या छत पर खीर बनाकर रखें, ताकि वह चंद्रमा की चांदनी में रखकर अमृतमयी हो जाए.

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