पहलगाम हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने पाकिस्तान की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था को और मुश्किल में डाल दिया है. भारत ने अभी युद्ध की शुरूआत नहीं की है, केवल कुछ सख्त कदमों के चलते पाकिस्तान की कमर टूटने की नौबत आ गई है. सिंधु जल समझौता निलंबन, व्यापारिक प्रतिबंध, और अटारी-वाघा सीमा बंद करने से पाकिस्तान का आर्थिक संकट और गहरा गया है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही कर्ज, मुद्रास्फीति, और आंतरिक अस्थिरता से जूझ रही है. पहलगाम हमले के बाद भारत के कदमों, विशेष रूप से सिंधु जल समझौता निलंबन और व्यापारिक प्रतिबंध, से आर्थिक संकट 2025 में 10-15% तक गहरा सकता है. पानी और व्यापार की कमी से कृषि, उद्योग, और जनजीवन पर गंभीर असर पड़ेगा, जबकि अंतरराष्ट्रीय अलगाव और सैन्य तनाव स्थिति को और बदतर करेंगे. यदि युद्ध जैसी स्थिति बनती है, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा सकती है.
1. सिंधु जल समझौता स्थगित करने से अन्न संकट गहराया
पाकिस्तान की 80% कृषि सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों पर निर्भर है, जो 40% रोजगार और 18% जीडीपी में योगदान देती है. भारत द्वारा पानी रोकने से सिंध प्रांत और पंजाब में फसल उत्पादन में 20-30% तक की कमी हो सकती है, जिससे खाद्य संकट और महंगाई बढ़ेगी. कराची और लाहौर जैसे शहरों में पेयजल की कमी भी गहरा सकती है. हालांकि बहुत से विशेषज्ञों द्वारा कहा जा रहा है कि सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का कोई असर तब तक नहीं पड़ेगा जब तक भारत पानी के स्टोरेज की व्यवस्था न कर ले. कहा जा रहा है कि इसमें वर्षों लग जाएंगे. पर शायद लोग यह भूल रहे हैं कि सूखा के दिनों में और बाढ़ के दिनों में चाभी भारत के हाथ ही रहेगी.
पाकिस्तान की 30% बिजली जलविद्युत से आती है. गर्मियों में जब नदियों में पानी कमी होती है भारत ने जरा भी पानी का प्रवाह कम किया, बिजली उत्पादन में कमी आ सकती है. जिससे औद्योगिक उत्पादन और रोजगार प्रभावित होंगे. कहा जा रहा है कि इससे जीडीपी वृद् दर 2.6% से भी कम हो सकती है. पानी की कमी से ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी और पलायन बढ़ सकता है, जिससे सामाजिक अशांति और सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज हो सकते हैं.
विश्व बैंक ने पहले अनुमान लगाया था कि 2025 के अंत तक 74% पाकिस्तानी भुखमरी के कगार पर हो सकते हैं. जाहिर है कि पानी की कमी से यह स्थिति और बिगड़ सकती है, जिससे जीडीपी में 5-7% की अतिरिक्त कमी हो सकती है.
2. व्यापार और निवेश पर असर
भारत ने अटारी-वाघा सीमा बंद कर दी और द्विपक्षीय व्यापार रोक दिया. भारत से दवाओं, कपास, और अन्य आवश्यक वस्तुओं का आयात रुकने से पाकिस्तान में इनकी कीमतें 30-50% तक बढ़ सकती हैं. पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज (PSX) का KSE-100 इंडेक्स 3500 अंक से अधिक गिर चुका है, और ट्रेड वैल्यू 9.05% घटकर 27.76 अरब रुपये पर आ गई है. निवेशकों का भरोसा कमजोर होने से पूंजी का बहिर्गमन बढ़ सकता है.
आईएमएफ ने 2025 के लिए पाकिस्तान की जीडीपी वृद्धि अनुमान को 3% से घटाकर 2.6% किया है. फिच रेटिंग्स ने रुपये के और कमजोर होने की चेतावनी दी, जिससे निवेशकों का भरोसा और कम हुआ. भारत के कदमों और अंतरराष्ट्रीय दबाव से पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज में देरी हो सकती है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार (8 अरब डॉलर) और तेजी से कम हो सकता है. व्यापारिक नुकसान और निवेश में कमी से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में 2-3% की अतिरिक्त मंदी आ सकती है. मुद्रास्फीति, जो पहले से 23% से अधिक है, 30% तक पहुंच सकती है.
3-परिवहन और हवाई मार्ग बंद होने से व्यापार में कमी
पाकिस्तान ने भारतीय एयरलाइंस के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया और भारत ने भी पाकिस्तानी विमानों के रास्ता बंद कर दिया है.अटारी बॉर्डर भी भारत ने बंद कर दिया है. भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार बंद है पर अटारी बॉर्डर के रास्ते कुछ व्यापार होता रहा है. जाहिर है कि अब वो भी बंद है. अटारी मार्ग से होने वाला आयात पाकिस्तान के लिए बहुत महत्वपूर्ण था जो कई मुश्किलें पैदा करेगा. वैकल्पिक मार्गों से आयात-निर्यात की लागत बढ़ने से पाकिस्तान के निर्यात (जैसे कपड़ा) में 10-15% की कमी आ सकती है, जो उसकी जीडीपी का 10% हिस्सा है. परिवहन लागत में वृद्धि से औद्योगिक उत्पादन में 5-10% की कमी और निर्यात में 1-2 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है.
4-आंतरिक और क्षेत्रीय अस्थिरता का सीधा प्रभाव सेना पर पड़ेगा
बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, और सिंध में पहले से चल रहे उग्र आंदोलनों के चलते लगातार पाकिस्तानी सेना संकट में है. आर्थिक संकट बढने और पानी की कमी के चलते यहां आंदोलन और उग्र हो सकता है. पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन बढ़ सकते हैं.अगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान न केवल आंतरिक सुरक्षा पर खर्च बढ़ेगा बल्कि पाक ऑर्मी को कई मोर्चों पर घेराबंदी करनी होगी .ऐसे समय में जब सीम पर तनाव के कारण सेना की जरूत बार्डर पर ज्यादा होगी, यहां आंदोलनकारी बेअंदाज हो सकते हैं. जिसके चलते पाकिस्तानी सेना को अपना रक्षा बजट (7.6 अरब डॉलर) और बढ़ाना पड़ेगा. आंतरिक अस्थिरता और सैन्य खर्च से राजकोषीय घाटा, जो पहले से 7.4% है, 8-9% तक बढ़ सकता है.
5. अंतरराष्ट्रीय दबाव से अलगाव, अस्थिरता और बढ़ेगी
भारत ने पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए संयुक्त राष्ट्र और 13 विश्व नेताओं को सबूत दिए हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ की आतंकवाद समर्थन की गलती स्वीकार करने वाली टिप्पणी और लंदन में एक अधिकारी के प्रदर्शनकारियों को धमकाने के वीडियो ने उसकी कूटनीतिक विश्वसनीयता को और कम किया है. इस बीच बिलावल भुट्टो ने भी मान लिया है कि पाकिस्तान आतंकियों को पालता रहा है. पाकिस्तान सिंधु जल समझौता निलंबन को विश्व बैंक में चुनौती दे सकता है, लेकिन आतंकवाद के समर्थन के आरोपों के कारण उसे समर्थन मिलना मुश्किल है.जाहिर है कि इससे पाकिस्तान को मिलने वाली विदेशी सहायता और निवेश में और कमी आ सकती है. अनुमान है कि अंतरराष्ट्रीय अलगाव से विदेशी निवेश में 20-30% की कमी और बेलआउट पैकेज में देरी हो सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था और अस्थिर होगी.
भारत FATF का महत्वपूर्ण सदस्य है और 2023-24 में हुए मूल्यांकन में इसे रेगुलर फॉलो-अप कैटेगरी में रखा गया, जो केवल चार अन्य G20 देशों को मिला है. भारत ने पहले भी FATF में पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद वित्तपोषण का मुद्दा उठाया है और अब पहलगाम हमले के बाद इस मुद्दे को और जोर-शोर से उठाने की संभावना है. एक अनुमान के अनुसार, 2008 से ग्रे लिस्ट में रहने के कारण पाकिस्तान को 38 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ.
संयम श्रीवास्तव