'हिन्दुत्व भारत की आत्मा, धर्मांतरण रोकने के लिए कानून जरूरी', बोले RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले

RSS सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने हिन्दुत्व को 'भारत की आत्मा' बताया. इंदौर में उन्होंने कहा कि धर्मांतरण रोकने के लिए सार्वजनिक जागरूकता, सामाजिक समरसता और कानूनों का सख्त प्रवर्तन आवश्यक है.

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दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि धर्मांतरण सेवा कार्य और सामाजिक समरसता से रुकेगा . (File Photo: ITG) दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि धर्मांतरण सेवा कार्य और सामाजिक समरसता से रुकेगा . (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:40 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने 'हिन्दुत्व' को "भारत की आत्मा" बताया और कहा कि कहा कि हिंदुत्व के मुख्य विचारों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने की जरूरत है.

इंदौर में आरएसएस के शताब्दी संपर्क कार्यक्रम 'प्रमुख जन गोष्ठी' को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जागरूकता, सामाजिक समरसता और कानूनों के सख्त प्रवर्तन के माध्यम से धार्मिक धर्मांतरण की जांच की जा सकती है.

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होसबाले ने जोर देकर कहा, "हिन्दुत्व भारत की आत्मा है." उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदू विचार वह है जहां यह कहा जाता है कि ईश्वर को इस या उस मार्ग से प्राप्त किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसी समाज के कारण यह भूमि एक हिंदू राष्ट्र है, जहां संस्कृति की अभिव्यक्ति विविध है लेकिन मूल एक है.

धर्मांतरण के लिए सख्त कानून जरूरी

धर्मांतरण पर एक सवाल का जवाब देते हुए होसबाले ने कहा, "धर्म जागरण, सेवा कार्य, सामाजिक समरसता, संतों के दौरे और कानूनों के सख्त प्रवर्तन से धार्मिक धर्मांतरण पर रोक लगाई जा सकती है."

यह भी पढ़ें: 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सिर्फ एक संगठन नहीं बल्कि...', जैसलमेर में बोले दत्तात्रेय होसबाले

उन्होंने समझाया कि भारतीय संस्कृति में 'धर्म' की अवधारणा केवल अंग्रेजी शब्द 'Religion' तक सीमित नहीं है, इसे व्यापक अर्थों में समझा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "ट्रैफिक नियम सबके लिए समान हैं. वाहन 'Religion' है और ट्रैफिक नियमों का पालन करना 'Dharma' है. रिलीजन बदला जा सकता है, लेकिन धर्म नहीं." 

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उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि धर्म बदलने के पीछे की मंशा गलत है, तो ऐसे कृत्यों को रोकने और सतर्क रहने की आवश्यकता है. वरिष्ठ RSS पदाधिकारी ने यह भी कहा कि सेक्युलरिज्म की अवधारणा पर अडिग रहने के कारण कुछ लोग खुद को हिंदू बताने से हिचकने लगे हैं. उन्होंने जोर दिया कि हिन्दुत्व के मूल विचारों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाना आवश्यक है.

(PTI इनपुट्स के साथ)

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