राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) एक भारतीय हिंदू राष्ट्रवादी संगठन है (Indian Hindu Nationalist Organisation). आरएसएस संघ परिवार के तमाम संगठनों का एक बड़ा निकाय होने के साथ उनकी अगुवाई करता है. इसकी भारतीय समाज के तमाम हिस्सों और पहलुओं में उपस्थिति है. आरएसएस की स्थापना 27 सितंबर 1925 को हुई थी (RSS Founded). 2014 तक, इसके लगभग 50-60 लाख सदस्य थे (RSS Total Member).
इसका शुरुआती उद्देश्य हिंदू अनुशासन के माध्यम से चरित्र प्रशिक्षण प्रदान करना और हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए हिंदू समुदाय को एकजुट करना था. यह संगठन भारतीय संस्कृति और एक नागरिक समाज के मूल्यों को बनाए रखने के आदर्शों को बढ़ावा देता है और हिंदू समुदाय को "मजबूत" करने के लिए हिंदुत्व की विचारधारा का प्रसार करता है. आरएसएस पिछले आठ दशकों में एक प्रमुख हिंदू राष्ट्रवादी संगठन के रूप में विकसित हुआ, जिसने खुद से जुड़े कई अन्य संगठनों को जन्म दिया. आरएसएस और इससे जुड़े तमाम संगठनों ने अपने वैचारिक विश्वासों को फैलाने के लिए कई स्कूलों, धर्मार्थ संस्थाओं और क्लबों की स्थापना की है (RSS Ideology).
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख को सरसंघचालक कहा जाता है. मोहन भागवत इसके मौजूदा सरसंघचालक हैं. इसके बाद सरकार्यवाह का स्थान आता है, जो महासचिव, कार्यकारी प्रमुख के समकक्ष होता है. इसे अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा निर्वाचित किया जाता है. सह-सरकार्यवाह का पद संयुक्त महासचिव के रूप में है. आरएसएस के कई नेता संगठन के लिए विचारक के रूप में काम करते हैं. सक्रिय, पूर्णकालिक मिशनरी जो आरएसएस के सिद्धांत का प्रसार करते हैं, उन्हें प्रचारक कहते हैं. RSS में लगभग 2500 प्रचारक हैं. कार्यकर्ता बनने के लिए स्वयंसेवक सदस्यों को संघ शिक्षा वर्ग के शिविरों में चार स्तरों के वैचारिक और शारीरिक प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है. आरएसएस की शाखाओं में नियमित तौर पर भाग लेने वालों को स्वयंसेवक कहा जाता है (RSS Leader and Member Positions).
आरएसएस को ब्रिटिश शासन के दौरान एक बार प्रतिबंधित किया गया था. भारत की आजादी के बाद, इसे सरकार ने तीन बार प्रतिबंधित किया (RSS Ban).
कहानी ऐसी है कि एक बार गुरु गोलवलकर कहीं तांगे से जा रहे थे, और आगे पैदल कुछ स्वयंसेवकों के साथ बालासाहब देवरस जा रहे थे, अपने साथ बैठे स्वयंसेवक से तब गुरु गोलवलकर ने कहा था कि “असली सरसंघचालक पैदल जा रहे हैं और नकली तांगे पर जा रहे हैं”. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उसी घटना का वर्णन.
एक दिन क्लास में रज्जू भैया की एक बलिष्ठ एंग्लो इंडियन लड़के से तकरार हो गई थी. मुद्दा थे- महात्मा गांधी. उस लड़के ने कहा था, ‘गांधीजी पूरी तरह से गलत हैं’, जब तक और कोई कुछ सोचता, फौरन रज्जू भैया ने कहा “नहीं, गांधीजी एकदम सही हैं”. बस यह बात उस लड़के को चुभ गई. उसने अचानक गुस्से में आकर रज्जू भैया के चेहरे पर दो पंच जड़ दिए. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उसी घटना का वर्णन.
शंकराचार्य जैसा प्रतिष्ठित पद संभालने के लिए गुरु गोलवलकर के पास प्रस्ताव आया था. पीएम मोदी अपनी किताब ‘ज्योतिपुंज’ में लिखते हैं, "द्वारका पीठ के शंकराचार्य श्री अभिनव सच्चिदानंदजी ने परम पूज्य गुरुजी को संदेश भेजा: 'गुरुजी, शंकराचार्य का पद रिक्त है और इसके लिए आपसे अधिक उपयुक्त कोई नहीं है." लेकिन गोलवलकर का संकल्प तो कुछ और था. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उसी घटना का वर्णन.
माधव राव ने कुछ स्वयंसेवकों को मुस्लिम पहचान देकर विभाजित पंजाब के शहरों में मुस्लिम लीग के प्रभाव वाले क्षेत्रों में तैनात कर दिया. ये लोग बताते थे कि कैसे पूरी तैयारी के साथ मुस्लिम लीग के लोग हिंदू बाहुल्य इलाकों की रिपोर्ट तैयार करते हैं, और फिर हमला करते थे. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उसी घटना का वर्णन.
1955 में जब गोवा मुक्ति संग्राम शुरू हुआ तो कई स्वयंसेवक इस आंदोलन में कूद पड़े. 15 अगस्त 1955 को तिरंगा लेकर रामभाऊ गोवा में दूसरे स्वयंसेवकों के साथ गोवा में प्रवेश कर रहे थे. पुर्तगालियों ने गोली चलाने की धमकी दी, लेकिन रुकने का सवाल ही नहीं था. पहली गोली बसंतराव ओक के पैर में लगी. दूसरी गोली पंजाब के हरनाम सिंह के सीने में लगी. फिर संगीनों के सामने रामभाऊ थे. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उसी घटना का वर्णन.
बिहार में मिली अपार सफलता के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यूपी को अगला प्रयोगशाला बनाने जा रहा है. बिहार के मुस्लिम आबादी के प्रभाव वाले इलाकों में भी संघ ने कोशिश की कि सुशासन और विकास के नाम पर लोग वोट डालें, और कामयाब रहा. संघ अब वैसे ही उपाय यूपी में आजमाने जा रहा है.
उत्तर प्रदेश के लिए RSS ने एक मेगा हिंदू योजना तैयार की है जो दिसंबर के अंत से शुरू होकर फरवरी के अंत तक चलेगी. इस योजना के तहत RSS के कैडर गांवों से लेकर शहरों तक जाकर जनसंपर्क करेंगे. 20 दिसंबर से गृह संपर्क अभियान शुरू होगा जिसमें राम मंदिर के कैलेंडर और तस्वीर के साथ कार्यकर्ता घर-घर संपर्क स्थापित करेंगे.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भले ही अभी सवा साल का वक्त बाकी हो, लेकिन बीजेपी और आरएसएस ने अभी से अपनी सियासी एक्सरसाइज शुरू कर दी है. आरएसएस सीएम योगी आदित्यनाथ को फोकस में रखते हुए हिंदुत्व की बिसात बिछा रहा है ताकि 2027 की जंग को फतह कर सके.
कश्मीर विलय के बाद जापानियों को चकमा देकर सिंगापुर से कोलकाता आने वाले वायुसेना अधिकारी प्रीतम सिंह के रण कौशल की जरूरत कश्मीर में थी. यहां उन्होंने संघ कार्यकर्ताओं से मिलकर पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उसी घटना का वर्णन.
नागपुर में राष्ट्रीय पुस्तक महोत्सव के दौरान RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि महात्मा गांधी ने 'हिंद स्वराज' में लिखा था कि ब्रिटिशों ने भारत की एकता को लेकर झूठा नैरेटिव गढ़ा था. उन्होंने कहा कि भारत का 'राष्ट्र' अवधारणा प्राचीन, सांस्कृतिक और पश्चिमी नेशन मॉडल से बिल्कुल अलग है, और विविधता में एकता ही इसकी असली ताकत है.
संघ, बीजेपी संगठन और योगी सरकार के बीच सवा साल बाद समन्वय बैठक हुई. अगस्त 2024 के बाद संघ के बड़े नेताओं की सरकार के साथ बैठक हुई है. बीएल संतोष अपने साथ बीजेपी के संगठन में बदलावो की फीडबैक को लेकर लखनऊ आए. संघ के उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के साथ बीएल संतोष की पहली बैठक लखनऊ के एक होटल में हुई. अरुण कुमार ने भारती भवन में अलग-अलग नेताओं से मुलाकात कर राजनीतिक और संगठनात्मक फीडबैक लिया. उन्होंने पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारकों के साथ बंद कमरे में बैठक की. बीएल संतोष की दूसरी बैठक सोमवार को सीएम योगी आदित्यनाथ के आवास पांच कालीदास मार्ग पर हुई.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष का फैसला एक साल से टल रहा है, लेकिन अब इसी सप्ताह नए अध्यक्ष के नाम का ऐलान हो सकता है. बीजेपी और आरएसएस की सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास पर आयोजित हुई समन्वय बैठक में नए अध्यक्ष के नाम को साझा किया गया.
अगस्त 1947 से पहले जब लाहौर में हिंदुओं पर हिंसा होने लगी तो कुछ स्वयंसेवकों ने जवाबी मोर्चा संभाल लिया. ऐसे में संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक महेन्द्र ने मोर्चा संभाला और परी मोहल्ले की तरफ से नौजवानों की भीड़ लेकर दंगाइयों से भिड़ गए. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उसी घटना का वर्णन.
RSS सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने हिन्दुत्व को 'भारत की आत्मा' बताया. इंदौर में उन्होंने कहा कि धर्मांतरण रोकने के लिए सार्वजनिक जागरूकता, सामाजिक समरसता और कानूनों का सख्त प्रवर्तन आवश्यक है.
संघ और सरदार पटेल के बीच रिश्तों को लेकर काफी कुछ लिखा पढ़ा गया है. तमाम निष्कर्षों के बाद कुछ लोग यह भी मानते हैं कि सरदार पटेल संघ के उस वक्त के अधिकारियों के लिए घर के बुजुर्ग जैसे थे. जो कभी मदद करते थे तो, कभी डांट भी सुनाया करते थे. एक बार की बात जब गोलवलकर जेल में थे तो पटेल 10 मिनट तक लगातार संघ की कमियों को लेकर बोलते रहे. फिर बारी आई एकनाथ रानडे की. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उसी घटना का वर्णन.
मजदूरों के लिए काम कर रहे दत्तोपंत ठेंगडी को गुरु गोलवलकर का एक संदेश आया- आप फौरन लखनऊ से राज्यसभा के लिए नामांकन कर दीजिए. ठेंगड़ी इस संदेश का मैसेज उस समय नहीं समझ पाए, लेकिन जब इंदिरा ने इमरजेंसी लगाई तो इसका अर्थ समझ आ गया. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उसी घटना का वर्णन.
पंजाब ने RSS कार्यकर्ता नवीन अरोड़ा हत्या केस के मुख्य शूटर बादल को फ़ाज़िल्का में एनकाउंटर के दौरान पकड़ लिया. फायरिंग में एक हेड कॉन्स्टेबल और आरोपी बादल घायल हुआ है.
स्वयंसेवक सदाशिव गोविंद कात्रे बिलासपुर में धर्मांतरण का विरोध कर रहे थे. एक मुलाकात में गुरु गोलवलकर ने उनसे कहा कि विरोध से कुछ नहीं मिलेगा. जो व्यक्ति इन मिशनरियों के पास अपनी समस्या को लेकर आते हैं उनका समाधान खोजना पड़ेगा. सदाशिव गोविंद कात्रे तब तक स्वयं ही कुष्ठ की चपेट में आ चुके थे. गोलवलकर के इन वचनों से कात्रे को मानो दिशा ही मिल गई. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उसी घटना का वर्णन.
कन्याकुमारी में विवेकानंद शिला पर स्मारक बनाने का फैसला हुआ. लेकिन इसकी राजनीतिक बाधाएं थी, आर्थिक तो थी ही. इस असंभव से दिखने वाले काम को पूरा करने का जिम्मा दिया गया एकनाथ रानडे को. ध्यान रहे कि तब केंद्र और राज्य दोनों ही जगह संघ विरोधी सरकार थी. ऐसे में एकनाथ रानडे ने अपना कौशल दिखाया.RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उसी घटना का वर्णन.
1942 में गुरु गोलवलकर ने सभी स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि सभी को परिवार छोड़कर संघ कार्य़ में जुटना होगा. लक्ष्य पूरा करने के लिए प्रचारक बनन होगा. इस पुकार पर भैयाजी दाणी की चेतना ने मंथन किया. उन्हें लगा कि इससे निकलना चाहिए. इस तरह वे पहले गृहस्थ प्रचारक बनें. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उसी घटना का वर्णन.
डॉ हेडगेवार का स्मृति मंदिर बनाने की बात आई तो गुरु गोलवलकर ने कहा कि यह एक राष्ट्रीय स्मारक है, हर स्वयंसेवक की भावना इससे जुड़ी हुई है. ऐसे में देश के हर स्वयंसेवक का इसमें योगदान होगा. तय हुआ कि ‘एक स्वयंसेवक- एक रुपया’ का फॉर्मूला चलेगा. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उसी घटना का वर्णन.