अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने यूरोपीय देशों से रूस से तेल और प्राकृतिक गैस की खरीद तत्काल बंद करने और कड़े प्रतिबंध लगाने की अपील की है. उन्होंने भारत के रूस से तेल आयात को पर कहा कि इस मुद्दे पर वाशिंगटन ने कड़े कदम उठाए हैं, जिन्हें ठीक करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और सख्त कार्रवाई का अधिकार है. रुबियो के इस बयान से ऐसे संकेत मिलते हैं कि ट्रंप प्रशासन भारत को एडिशनल टैरिफ से राहत देने पर विचार कर सकता है.
मार्को रुबियो का यह बयान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ उनकी बैठक के बाद आया है, जहां दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर सहमति जताई. रुबियो ने एक इंटरव्यू में कहा, 'मुझे लगता है कि यूरोप के लिए रूस पर प्रतिबंध लगाना महत्वपूर्ण है. अभी यूरोप के कुछ देश रूस से बड़े पैमाने पर तेल और प्राकृतिक गैस खरीद रहे हैं, जो हास्यास्पद है. वे अमेरिका से रूस पर और अधिक प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन खुद पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे. इसलिए उन्हें और अधिक करने की जरूरत है.'
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भारत के साथ अमेरिका के संबंध महत्वपूर्ण हैं
रुबियो ने कहा, 'हमने भारत के मामले में जो कदम उठाए हैं, उन्हें ठीक करने की उम्मीद है. लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप और अधिक करने की क्षमता रखते हैं, और वह मौजूदा स्थिति को देखते हुए और कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं.' यह बयान ऐसे समय में आया है जब रुबियो ने 22 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) के इतर एस. जयशंकर के साथ बैठक की. अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, रुबियो ने बैठक के बाद कहा कि 'अमेरिका के लिए भारत के साथ संबंध महत्वपूर्ण हैं.'
उन्होंने व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, महत्वपूर्ण खनिजों जैसे मुद्दों पर भारत सरकार के निरंतर सहयोग की सराहना की. दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए क्वाड के माध्यम से सहयोग जारी रखने पर सहमति जताई. यह बैठक रूस से तेल खरीद के कारण अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ (कुल 50 प्रतिशत) और एच-1बी वीजा शुल्क में 1,00,000 डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) की वृद्धि के बाद हुई, जो 21 सितंबर से प्रभावी हो गई.
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जयशंकर और रुबियो की बैठक में क्या हुआ?
एच-1बी वीजा शुल्क में बढ़ोतरी और टैरिफ की उच्च दरें भारतीय प्रोफेशनल्स और निर्यातकों को प्रभावित कर रहे हैं. जयशंकर ने बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा की, और दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 500 अरब डॉलर तक करने के लक्ष्य पर प्रगति करने पर जोर दिया. कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल के नेतृत्व में चल रही व्यापार वार्ताओं को तेज करने पर भी सहमति बनी.
अमेरिका ने रूस से तेल आयात कम करने के लिए भारत पर कूटनीतिक और आर्थिक दबाव बढ़ाए हैं. लेकिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहले ही स्पष्ट किया है कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक तेल बाजार को स्थिर बनाए रखने के लिए रूसी तेल खरीदता है. जयशंकर 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का पक्ष रखेंगे.