दुनियाभर से हज पर जाने वाले जायरीनों के लिए अच्छी खबर है. सऊदी अरब ने तीन साल से जायरीनों की संख्या पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है. इस निर्णय के बाद जितनी तादाद में कोरोना माहमारी से पहले जायरीन हज करते थे, अब वो उतनी ही संख्या में हज के लिए जा सकेंगे. इसके अलावा सरकार ने आयु सीमा के प्रतिबंध को भी हटा दिया है.
दरअसल, कोरोना से पहले 2019 में लगभग 25 लाख लोग हज पर गए थे. लेकिन महामारी के कारण उसके बाद के दो सालों में जायरीनों की संख्या में भारी कमी दर्ज की गई थी.
सऊदी अरब के हज और उमराह मंत्री तौफीक अल राबियाह ने रियाद में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि सऊदी अरब इस साल हज यात्रियों की संख्या को सीमित नहीं करेगा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि महामारी के पहले की तरह ही जायरीनों को बिना किसी उम्र सीमा के साथ हज करने की अनुमति होगी. इससे पहले जायरीनों की अधिकतम उम्र सीमा 65 वर्ष निर्धारित थी.
कोरोना महामारी के कारण लगे थे कई प्रतिबंध
रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में लगभग 25 लाख लोगों ने हज किया था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण सरकार ने कई प्रतिबंध लगा दिए थे जिसके कारण अगले दो साल जायरीनों की संख्या में भारी कमी दर्ज की गई. इस बीच वहां जाने वाले जायरीनों की उम्र भी 65 वर्ष से कम होनी जरूरी थी. इसके अलावा कोविड निगेटिव रिपोर्ट और टीकाकरण भी अनिवार्य था.
भारतीयों को भी होगा फायदा
भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत से हर साल लाखों मुसलमान हज के लिए सऊदी अरब जाते हैं. 2019 में सबसे ज्यादा दो लाख भारतीय मुसलमान हज के लिए मक्का गए थे.
हज 2023 के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ
गुरुवार को ही सऊदी अरब सरकार ने घोषणा की थी कि साल 2023 में हज के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गई है. फिलहाल यह सेवा सिर्फ सऊदी अरब के नागरिक या वहां पर रहने वाले प्रवासी के लिए ही शुरू की गई है. अभी दूसरे देशों के लोगों के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया नहीं शुरू हुई है.
हज का महत्व
ऐसा माना जाता है कि इस्लाम के पांच फर्ज में से एक फर्ज हज है. इस्लामी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम मुसलमान को कम से कम एक बार हज जरूर करना चाहिए. इसके अलावा अन्य चार फर्ज कलमा, रोजा, नमाज और जकात हैं. इस साल यह धार्मिक आयोजन जून में होगा.