Russia Ukraine War: महीनों से चले आ रहे तनाव के बाद आज गुरुवार सुबह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई की घोषणा कर दी. यूक्रेन पर रूसी हमले और उससे सहमे हुए लोगों की कई तस्वीरें सामने आ रही हैं. इस हमले के बीच यूक्रेन के साढ़े चार लाख मुसलमानों को लेकर भी चिंता बढ़ गई है. यूक्रेन की मुसलमान आबादी में अधिकतर क्रीमियाई तातर मुसलमान हैं जो क्रीमिया के रूस में शामिल होने के बाद दमन से बचकर यूक्रेन भाग आए थे. यूक्रेन पर रूसी हमले के बीच इस्लामिक देशों की प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है.
इस्लामिक देश यूक्रेन-रूस युद्ध में किसकी तरफ?
पाकिस्तान- इस्लामिक देश पाकिस्तान यूक्रेन-रूस युद्ध पर चुप रहते हुए भी एक तरह से ये संदेश दे रहा है कि वो रूस के साथ है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ऐसे समय में रूस दौरे पर हैं जब रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया है. इमरान आज पुतिन से मिल रहे हैं.
इधर, अमेरिका ने इमरान खान की रूस यात्रा पर कहा है कि यूक्रेन में रूस की कार्रवाई पर आपत्ति जताना प्रत्येक जिम्मेदार देश की जिम्मेदारी है. पिछले कुछ सालों में अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में कड़वाहट आई है और पाकिस्तान चीन के करीब होता जा रहा है. रूस और चीन के रिश्ते भी मजबूत हैं.
पाकिस्तान अमेरिका को छोड़ अब रूस-चीन से अपनी दोस्ती को प्राथमिकता दे रहा है. ऐसे में कुछ लोगों का कहना है कि पाकिस्तान रूस के पाले में है. हालांकि, इमरान खान ने अपनी यात्रा से ठीक पहले स्पष्ट किया था कि उन्हें यूक्रेन-रूस विवाद से कोई सरोकार नहीं है.
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने इमरान खान के रूस दौरे की टाइमिंग पर उठते सवालों को लेकर कहा है कि इमरान खान का रूस दौरा वैसा ही है जैसे उनका चीन दौरा था. उन्होंने कहा, 'हां, एक वैश्विक तनाव है लेकिन हमारी यात्रा द्विपक्षीय प्रकृति की है. ये दौरा चीन दौरे की तरह ही है जहां अर्थव्यवस्था, इकोनॉमिक इंडिकेटर और कनेक्टिविटी पर बात की गई थी.'
रूस-यूक्रेन संकट को लेकर जब पाकिस्तान के रुख के बारे में पूछा गया तो यूसुफ ने कहा कि पाकिस्तान का रूस और दुनिया को यही संदेश है कि वह किसी एक खेमे में नहीं है और रूस ने भी हमसे ऐसी कोई मांग नहीं की है.
तुर्की- रूस द्वारा यूक्रेन में हमले को लेकर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने हाल ही में एक ट्वीट किया है और रूसी कदम की कड़ी निंदा की है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'आज रूस ने यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई शुरू की जो कि अस्वीकार्य है. इस कदम को हम अंतर्राष्ट्रीय कानून के विपरीत मानते हैं. ये क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए एक बड़ा झटका है.'
एर्दोगन ने पुतिन द्वारा यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्रों को स्वतंत्र क्षेत्र की मान्यता दिए जाने को भी अस्वीकार्य बताया था. साथ ही उन्होंने पश्चिमी देशों की आलोचना भी की कि वो यूक्रेन के मुद्दे को ठीक से संभाल नहीं पाए हैं.
तुर्की अमेरिका के नेतृत्व वाले नेटो सैन्य गठबंधन का हिस्सा है लेकिन हाल के दिनों में तुर्की के संबंध अमेरिका से खराब हुए हैं.
तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि वो रूस और यूक्रेन के साथ अपने मधुर संबंधों को बरकरार रखते हुए तनाव कम करने की अपील करते हैं. एर्दोगन का कहना है कि कूटनीतिक तरीके से मसले का हल निकाला जाना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि नेटो को लेकर वो अपनी प्रतिबद्धता पर कायम हैं.
सऊदी अरब- सऊदी अरब रूस के बाद दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. रूस और सऊदी अरब के रिश्ते सऊदी क्राउन प्रिंस सलमान के आने के बाद से मजबूत हुए हैं. दोनों देश मिलकर तेल की कीमतों पर नियंत्रण रखते हैं.
यूक्रेन-रूस तनाव के बीच जब यूरोप में ऊर्जा संकट गहरा गया और महंगाई बढ़ने लगी तब अमेरिका ने सऊदी अरब से तेल उत्पादन बढ़ाने का कई बार आग्रह किया था. लेकिन सऊदी ने अमेरिका की बात नहीं मानी और तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होती रही जिसका रूस और सऊदी अरब को फायदा हुआ.
तेल की ऊंची कीमतों से रूस का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ता गया और अब जबकि यूक्रेन पर हमले की सूरत में अमेरिका और पश्चिमी देश रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा रहे हैं, उनका जरा भी असर रूस पर नहीं देखा जा रहा.
संयुक्त अरब अमीरात- अल अरबिया न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस द्वारा यूक्रेन के दो क्षेत्रों को स्वतंत्र प्रदेश की मान्यता दिए जाने के बाद यूएई के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से फोन पर बातचीत की और दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत बनाने पर चर्चा की. यूएई के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने यूएई-रूस द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने और अपने लोगों की भलाई के लिए हर क्षेत्र में मिलकर काम करने पर जोर दिया.
वहीं, दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूएई ने यूक्रेन के दो क्षेत्रों को रूस के कदम की आलोचना भी की है. यूएई का कहना है कि ये यूक्रेन की संप्रभुता का उल्लंघन है. यूएई यूक्रेन-रूस तनाव को कूटनीतिक बातचीत से हल करने पर जोर दे रहा है.
ईरान- ईरान और अमेरिका के संबंध दशकों से खराब रहे हैं. ईरान ने कहा है कि यूक्रेन की हालत के जिम्मेदार पश्चिमी देश हैं. रूस के साथ अच्छी दोस्ती रखने वाले ईरान के विदेश मंत्रालय की तरफ से एक बयान में अमेरिकी नेतृत्व वाले नेटो को यूक्रेन की स्थिति का जिम्मेदार बताया जिसे लेकर कहा जाने
लगा कि ईरान रूस के साथ खड़ा है.
विदेश मंत्री ने हालांकि ये भी कहा कि ईरान सभी पक्षों से शांति बनाए रखने और तनाव कम करने की अपील करता है.
कतर- इस्लामिक देश कतर अमेरिका और रूस दोनों का सहयोगी रहा है. मंगलवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कतर के शेख तमीम बिन हमद अल-थानी को एक पत्र भेजा जिसमें द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाने की बात कही गई थी. सोमवार को ही व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के क्षेत्रों को मान्यता दी और मंगलवार को कतर के शेख को पत्र लिखा.
पत्र की टाइमिंग को लेकर कहा जा रहा है कि कतर-रूस संबंध फिलहाल अमेरिका-रूस संबंध से अच्छी स्थिति में हैं. कतर के सरकारी समाचार एजेंसी ने बताया कि पत्र में आपसी हित के मुद्दों पर भी साथ काम करने की बात लिखी गई है.
इंडोनेशिया- इंडोनेशिया में विश्व की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है. रूस और अमेरिका दोनों ही देशों से इंडोनेशिया के संबंध काफी पुराने हैं. इंडोनेशिया ने रूस-यूक्रेन मुद्दे को शांतिपूर्वक और सावधानी से हल करने की अपील की है. जकार्ता पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को राष्ट्रपति जोको विडोडो ने सभी पक्षों से अपील की कि यूक्रेन रूस के मुद्दे पर संयम बरतें.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता तेउकू फैजास्याहो ने गुरुवार को यूक्रेन में रूसी सेना के घुसने की कड़ी निंदा की है. उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि रूस का कदम यूक्रेन की संप्रभुता का खुला उल्लंघन है. हालांकि उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि इंडोनेशिया रूस पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाएगा.