न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने हाल ही में हुए भारत-न्यूजीलैंड फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) का कड़ा विरोध किया है. उन्होंने इसे 'न तो फ्री और न ही फेयर' बताया है और चेतावनी दी है कि यह 'न्यूजीलैंड के लिए एक खराब डील' है, जो लेती बहुत ज्यादा है और बदले में बहुत कम देती है.
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में, पीटर्स ने कहा कि, "न्यूजीलैंड फर्स्ट 'अफसोस के साथ' इस एग्रीमेंट के खिलाफ है. यह इमिग्रेशन और इन्वेस्टमेंट पर 'गंभीर रियायतें' देता है, जबकि न्यूजीलैंड के मुख्य एक्सपोर्ट सेक्टर, खासकर डेयरी के लिए सार्थक फायदे हासिल करने में नाकाम रहता है."
उन्होंने आगे कहा कि यह न्यूजीलैंड के किसानों के लिए फायदेमंद डील नहीं है और हमारे ग्रामीण समुदायों के सामने इसका बचाव करना नामुमकिन है.
न्यूजीलैंड फर्स्ट, एक राष्ट्रवादी राजनीतिक पार्टी है और देश के सत्ताधारी गठबंधन में एक अहम पार्टनर है. पार्टी नेता विंस्टन पीटर्स ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "हम भारत-न्यूजीलैंड फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को न तो फ्री मानते हैं और न ही फेयर. दुख की बात है कि यह न्यूजीलैंड के लिए एक बुरा सौदा है. इसमें बहुत ज़्यादा रियायतें दी गई हैं, खासकर इमिग्रेशन के मामले में, और न्यूजीलैंड के लोगों को बदले में कुछ नहीं मिल रहा है, जिसमें डेयरी भी शामिल है."
यह विरोध तब सामने आया है, जब न्यूजीलैंड और भारत ने ऐलान किया कि FTA पर बातचीत पूरी हो गई है. यह एक ऐसा समझौता है, जिसके बारे में दोनों सरकारों का कहना है कि यह अगले पांच सालों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने में मदद कर सकता है.
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न्यूजीलैंड सरकार के मुताबिक, यह समझौता न्यूजीलैंड से भारत को होने वाले 95% एक्सपोर्ट पर टैरिफ को खत्म या कम कर देगा, जिसमें आधे से ज़्यादा प्रोडक्ट पहले दिन से ही ड्यूटी-फ्री हो जाएंगे. इसके बदले में, सभी भारतीय सामानों को न्यूजीलैंड के बाज़ार में ड्यूटी-फ्री एक्सेस मिलेगा.
न्यूजीलैंड ने अगले 15 सालों में भारत में करीब 20 अरब डॉलर का निवेश करने का भी वादा किया है.
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न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने इस डील को बड़े फायदे देने वाला बताया. लक्सन ने एक बयान में कहा, "फायदे बहुत बड़े और अहम हैं. भारत का आकार और तेज़ आर्थिक विकास 'न्यूजीलैंड के लोगों के लिए नौकरियों, निर्यात और विकास' के मौके पैदा करता है. यह समझौता लक्सन की नेशनल पार्टी के 2022 के चुनाव वादे को भी पूरा करता है, जिसमें पहले कार्यकाल में भारत के साथ FTA को अंतिम रूप देने की बात कही गई थी."
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PM मोदी ने भी कर चुके हैं तारीफ...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसी उम्मीद को दोहराते हुए इस समझौते को सिर्फ नौ महीनों में पूरा किया गया एक 'ऐतिहासिक मील का पत्थर' बताया. सोशल मीडिया पोस्ट में पीएम मोदी ने कहा, "FTA आने वाले पांच सालों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का रास्ता तैयार करता है. भारत न्यूजीलैंड से अलग-अलग सेक्टरों में 20 बिलियन डॉलर से ज़्यादा के इन्वेस्टमेंट का स्वागत करता है."
उन्होंने इनोवेटर्स, उद्यमियों, किसानों, MSMEs, छात्रों और युवाओं के लिए अवसरों पर भी ज़ोर दिया और कहा कि दोनों देशों के बीच खेल, शिक्षा और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में सहयोग लगातार मज़बूत हो रहा है.
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न्यूज़ीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने इस समझौते की स्पीड और बातों, दोनों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि न्यूज़ीलैंड फर्स्ट ने अपने गठबंधन पार्टनर से गुजारिश की थी कि वे 'भारत के साथ कम क्वालिटी वाले समझौते को जल्दबाजी में फाइनल न करें' और इसके बजाय बेहतर नतीजे के लिए बातचीत करने के लिए पूरे संसदीय कार्यकाल का इस्तेमाल करें.
पीटर्स ने कहा, "दुर्भाग्य से, इन अपीलों पर ध्यान नहीं दिया गया." उन्होंने नेशनल पार्टी पर आरोप लगाया कि वह 'न्यूज़ीलैंड और भारतीयों दोनों के लिए एक निष्पक्ष सौदा करने के लिए ज़रूरी कड़ी मेहनत करने के बजाय एक जल्दी और कम क्वालिटी वाला सौदा करना पसंद करती है.'
न्यूज़ीलैंड फर्स्ट के लिए एक बड़ी समस्या डेयरी है. पीटर्स ने कहा कि न्यूज़ीलैंड इस डील के तहत भारतीय प्रोडक्ट्स के लिए अपना बाज़ार पूरी तरह से खोल रहा है. भारत न्यूज़ीलैंड के मुख्य डेयरी एक्सपोर्ट्स पर लगने वाले 'महत्वपूर्ण टैरिफ बैरियर' को कम नहीं कर रहा है.
उन्होंने बताया कि FTA न्यूज़ीलैंड का पहला ट्रेड डील होगा, जिसमें दूध, पनीर और मक्खन जैसे मुख्य डेयरी प्रोडक्ट्स को शामिल नहीं किया जाएगा. नवंबर 2025 तक के साल में, इन प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट करीब $24 बिलियन का था, जो न्यूज़ीलैंड के कुल सामानों के एक्सपोर्ट का करीब 30% था.
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भारत सरकार ने कहा है कि यह समझौता अपने किसानों और घरेलू इंडस्ट्री की सुरक्षा के लिए डेयरी और कई दूसरे सेंसिटिव प्रोडक्ट्स (जिनमें कॉफी, दूध, क्रीम, पनीर, दही, व्हे, चीनी, मसाले, खाने के तेल और रबर शामिल हैं) के लिए मार्केट एक्सेस को बाहर रखता है. साल 2024 में दोनों देशों के बीच दो-तरफ़ा व्यापार करीब $1.81 बिलियन था, जिसमें भारत से फार्मास्यूटिकल्स और न्यूज़ीलैंड से वानिकी और कृषि उत्पादों का दबदबा था. यह आंकड़ा 2024-25 वित्तीय वर्ष में भारत के कुल माल व्यापार $1 ट्रिलियन से ज़्यादा की तुलना में बहुत छोटा है.