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किबुत्जः जहां पूरा गांव शेयर करता है हर चीज; इजरायल के इन गांवों में है कम्यून सिस्टम!

What is a kibbutz: हमास और इजरायल में जारी जंग के बीच किबुत्ज समुदाय एक बार फिर चर्चा में है. 7 अक्टबूर को हमास द्वारा किए गए हमले में किबुत्ज शहर बेइरी के 120 से अधिक लोगों (किबुत्जनिक) की मौत हो गई. किबुत्ज गांव में सभी एक साथ मिलकर काम करते हैं. बड़ी बात यह है कि चाहे महिला हो या पुरुष, हर कोई बराबर है. हर कोई काम करता है. सभी चीजों पर सबका बराबर हक होता है.

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किबुत्ज नहलाल का दृश्य (फोटो-touristisrael)
किबुत्ज नहलाल का दृश्य (फोटो-touristisrael)

Israeli–Palestinian conflict: हमास और इजरायल में जारी जंग के बीच किबुत्ज समुदाय एक बार फिर चर्चा में है. 7 अक्टूबर को हमास द्वारा किए गए हमले में किबुत्ज शहर बेइरी के 120 से अधिक लोगों (किबुत्जनिक) की मौत हो गई. इसके अलावा हमास ने कइयों का अपहरण भी कर लिया. 

किबुत्ज समाजवादी कम्यून जैसी एक कम्यूनिटी व्यवस्था है. इसे किबुत्ज सेटेलमेंट भी कहा जाता है. इस समय इजरायल में लगभग 270 किबुत्ज सेटेलमेंट हैं. यहां पूरा गांव एक साथ मिलकर काम करता है. घर से लेकर साबुन, टूथब्रश और तौलिये तक हर चीज आपस में शेयर की जाती है. आइए जानते हैं इजरायल के इस अनूठे किबुत्ज समुदाय और कम्यून सिस्टम के बारे में. 

यूरोप से विस्थापित होकर पहुंचे थे इजरायल

यूरोपीय देशों में बढ़ती यहूदी विरोधी लहर को देखते हुए सुरक्षित पनाह पाने के लिए दर्जनों यहूदी अपना एक नया समुदाय बनाने के मकसद से शरणार्थी के रूप में इजरायल के गलील सागर (Sea of Galilee) के ठीक दक्षिण पहुंचते हैं.

ऑटोमन सम्राज्य के दौरान यहूदियों का यह एक महत्वाकांक्षी एक्सपेरिमेंट था. इस एक्सपेरिमेंट में 10 पुरुष और दो महिलाएं एक कृषि प्रधान यहूदी यूटोपिया बनाने निकले थे. लेकिन किसी को भी कृषि का कोई अनुभव नहीं था. क्योंकि उनका पालन-पोषण खेत और कृषि के कामों से दूर पूर्वी यूरोप के यहूदी बस्तियों में हुआ था.  

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इन लोगों ने औपचारिक रूप से 1909 और 1910 के आस-पास इजरायल में एक बस्ती की स्थापना की जिसे डेगन्या कहा गया. यह जमीन यहूदी राष्ट्रीय कोष की मदद से खरीदी गई थी. इस समय पूरे इजरायल में 270 किबुत्ज गांव हैं. बीयरी (Be'eri), जेड्रॉट (Sderot),आनीर ओज (Nir Oz), गेविम (Gevim)और जिकिम (Zikim) कुछ बड़े किबुत्ज गांव हैं.

खेती-किसानी में अनुभव नहीं होने के बावजूद किबुत्ज समुदाय ने उपजाऊ भूमि जो बंजर हो गई थी, उसे जल्द ही एक कृषि योग्य जमीन में बदल दिया. जिस डेगन्या बस्ती की स्थापना झोपड़ियों के एक समूह से हुई थी, 30 साल बाद वह बस्ती 60 घरों और एक दर्जन से अधिक सार्वजनिक भवनों के साथ एक समुदाय में बदल गया.

किबुत्जिम और किबुत्ज संस्कृति पर मूल रूप से अशकेनाजी यहूदियों या पूर्वी यूरोपीय के रहने वाले यहूदियों का प्रभुत्व था. ये लोग जब मध्य पूर्व में आए तो इन्हें इनके साथ कम समावेशी के रूप में देखा जाता था. उस समय एक समुदाय में 50 से लेकर 2000 तक लोग थे. ये लोग लेबनान की सीमा, जॉर्डन नदी और गाजा पट्टी के आसपास जैसे स्थानों पर बसाए गए. 

डेगन्या गांव के किबुत्जनिक (किबुत्ज के लोगों) के लिए आमदनी का मुख्य जरिया दूध निर्यात था. लेकिन किबुत्ज प्रति वर्ष 20 हजार केले के गुच्छे, 12 हजार संतरे के डिब्बे और 15 हजार से ज्यादा अंगूर और टमाटर के बॉक्स भी निर्यात करते थे.

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जुलाई 1938 में संतरे के बाग में किबुत्ज (फोटो-गेटी)
                       जुलाई 1938 में संतरे के बाग में किबुत्ज (फोटो-गेटी)

इजरायल के ताकतवर समुदायों में से एक

किबुत्ज गांव में सभी एक साथ मिलकर काम करते हैं. बड़ी बात यह है कि चाहे महिला हो या पुरुष, हर कोई बराबर है. हर कोई काम करता है. सभी चीजों पर सबका बराबर हक होता है. किसी की कोई निजी संपत्ति तक नहीं होती है. 

इस समय किबुत्ज इजरायल का एक ताकतवर समुदाय है. किबुत्ज समुदाय की आबादी इजरायल की कुल आबादी की तीन प्रतिशत से भी कम है. इसके बावजूद किबुत्जिम खेती-किसानी से लेकर इंडस्ट्री, सरकार और सेना तक में इस समुदाय के लोगों की पैठ है. इसी तरह औद्योगिक उत्पादन में भी इस समुदाय की बड़ी हिस्सेदारी है.

डेगन्या आज भी अस्तित्व में है और इसे इजरायल का पहला किबुत्ज माना जाता है. किबुत्ज की उन्नति ने अन्य यहूदियों को भी इस समुदाय की ओर आकर्षित किया. यहूदी वर्चुअल लाइब्रेरी के अनुसार, इजरायल के अस्तित्व में आने के दो साल बाद यानी 1950 में पूरे इजरायल में लगभग 214 किबुत्जिम गांव थे, जिसमें 67 हजार से ज्यादा लोग निवास करते थे.

वहीं, आज इजरायल की कुल आबादी लगभग 90 लाख है. इसमें से लगभग 1.25 लाख किबुत्जिम हैं, जो देश भर में फैले लगभग 270 किबुत्ज गांव में रहते हैं. इनमें से कुछ आबादी ऐसी भी है जो आधुनिक किबुत्जिम हैं यानी वे धर्मनिरपेक्ष हैं और उन्होंने पूंजीवाद को अपना लिया है. इनमें से कुछ विदेशों में भी काम करते हैं. इजरायली न्यूज वेबसाइट के मुताबिक, आज केवल 30 किबुत्जिम के पास ही वॉलेंटियर हैं. 

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डेगान्या में काम करती हुई महिलाएं (फाइल फोटो-गेटी)
                डेगान्या में काम करती हुई किबुत्जिम महिलाएं (फाइल फोटो-गेटी)

काफी उन्नत समुदाय जिसने मजबूत इजरायल की नींव रखी

किबुत्जिम के बीच का समझौता भले ही अलग-अलग था लेकिन सभी समाजवाद के आर्थिक, पारस्परिक आदर्शों और जियोनिज्म की भावना पर आधारित थे. किबुत्जिम को लोकतांत्रिक तरीके से चलाया जाता था. इसके तहत सभी के मुनाफे को एक जगह जमा किया जाता था और सभी सदस्यों के बीच बांटा जाता था. 

इजरायल की स्थापना के शुरुआती दिनों में किबुत्जिम देश की इकॉनमी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे. उनकी एक अलग पहचान थी. इजरायल की कुल आबादी में किबुत्ज समुदाय की भागीदारी भले ही महज ढाई फीसदी थी लेकिन कुल कृषि उत्पादन में लगभग 33 फीसदी का योगदान था.

दुनिया भर के लोग फल लेने और वहां के सामुदायिक जीवन शैली का अनुभव लेने के लिए किबुत्जिम जाते थे. अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स भी किबुत्जिम जाया करते थे. लेकिन जैसे-जैसे इजरायल एक गरीब और रेगिस्तान देश से एक जीवंत और आधुनिक अर्थव्यवस्था में बदलने लगा, किबुत्जिम का प्रभाव और प्रमुखता भी खत्म होती चली गई. 

किबुत्ज की तुलना एक सुंदर गांव से

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और द मिस्ट्री ऑफ द किबुत्जः एगैलिटेरियन प्रिंसिपल्स इन ए कैपिटलिस्ट वर्ल्ड के लेखक रैन अब्रामित्जकी ने किबुत्ज समुदाय की तुलना उस सुंदर गांव से की है. जिस गांव में छोटे-छोटे अपार्टमेंट, हरे-भरे पैदल रास्ते और दूसरी सुविधाएं हैं. एक ऐसी जगह जहां बच्चे आजाद होकर घूमते हैं. ऐसे गांव जो कम्यूनल और कोऑपरेटिव जीवन, बराबर की हिस्सेदारी और एक-दूसरे के सहयोग के सिद्धांतों पर बने हैं. 

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किबुत्ज एक-दूसरे की सहायता, सामाजिक न्याय के प्रति समर्पित समाज है जो संपत्ति के संयुक्त स्वामित्व, उत्पादन, उपभोग और शिक्षा के सहयोग के सिद्धांत पर आधारित एक सामाजिक आर्थिक प्रणाली के तहत काम करती है.

1912 में डेगन्या किबुत्ज की तस्वीर (फोटो- गेटी)
                                                   1912 में डेगन्या किबुत्ज की तस्वीर (फोटो- गेटी)

क्या है कम्यूनियम सिस्टम?

किबुत्जिम की स्थापना कम्यून यानी समाजवादी दृष्टिकोण पर की गई थी. किबुत्जनिक एक दूसरे से जमीन साझा करते थे. उनके पास संपत्ति नहीं होती थी, लेकिन उनका वेतन समान होता था. शुरुआत में कुछ किबुत्ज समुदायों में बच्चों का पालन-पोषण भी एक समूह द्वारा ही किया जाता था. ये बच्चे ऐसे घर में रहते थे, जहां उनके माता-पिता उनसे मिलने आया करते थे. 

कनाडा के विक्टोरिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और 'चेजिंग यूटोपियाः द फ्यूचर ऑफ ऑफ द किबुत्ज इन अ डिवाइडेड' इजरायल के लेखक डेविड लीच का कहना है किबुत्ज को अक्सर पश्चिमी दुनिया में साम्यवाद के सबसे बेहतरीन उदाहरण के रूप में वर्णित किया जाता है. यह सिर्फ समाजवाद नहीं था. बल्कि यह एक मजबूत लोकतंत्र था जिसमें महिलाओं समेत सभी को वोट देने का अधिकार था. 

कम्यून कुछ लोगों द्वारा बनाया गया एक समुदाय है जिसमें सब एक साथ रहते हैं और सभी चीजों को एक-दूसरे से साझा करते हैं. कम्यून सिस्टम में सभी लोग संसाधन यानी आय और संपत्ति को भी बराबर साझा करते हैं. इसकी शुरुआत सामूहिक खेती करने के लिए हुई थी. लेकिन धीरे-धीरे यह सरकार की दिशा और दशा तय करने लगे. 

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कम्यून की संरचना ऐसी थी जैसे पहले सभी घरों को एक टीम के रूप में संगठित किया गया. फिर सभी टीमों को ब्रिगेड के रूप में गठन किया गया. इसी ब्रिगेड को फिर कम्यून के रूप में गठन किया गया. कृषि से जुड़े कामों के लिए टीम काम करती थी, छोटी कार्यशालाओं और प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना जैसे कामों के लिए ब्रिगेड और बडे़ पैमाने पर भूमि सुधार योजनाओं के लिए कम्यून. 
 

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