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पाकिस्तान ने की ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को सपोर्ट की घोषणा! अब अमेरिका को क्या जवाब देंगे आसिम मुनीर!

इजरायल और अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर ऐतिहासिक रूप से सख्त और विरोधी रहे हैं. दोनों देश ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को, भले ही वह शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए हो, संदेह की दृष्टि से देखते हैं. दोनों देशों का मानना है कि ईरान का दावा "शांतिपूर्ण" होने का एक आवरण हो सकता है, जिसके पीछे सैन्य परमाणु हथियार विकसित करने की मंशा छिपी हो सकती है. 

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ईरानी राष्ट्रपति पेजेशकियान पाकिस्तान के दौरे पर हैं. (Photo:X/@CMShehbaz)
ईरानी राष्ट्रपति पेजेशकियान पाकिस्तान के दौरे पर हैं. (Photo:X/@CMShehbaz)

जिस मकसद को हासिल करने के लिए अमेरिका ने ईरान के नतांज, फोर्डो और इस्फहान न्यूक्लियर साइट पर बी-2 बॉम्बर से विनाशक बम गिराए, जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इजरायल ने ईरान पर हमला किया. पाकिस्तान ने इस मकसद के खिलाफ खुल्लम खुल्ला बयान दिया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि उनका देश ईरान के न्यूक्लियर ड्रीम को सपोर्ट करता है. बता दें कि ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन पाकिस्तान के दौरे पर हैं. 

पाकिस्तान पहुंचे राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन का गर्मजोशी से स्वागत किया गया. उनके स्वागत के लिए पीएम शहबाज शरीफ और डिप्टी पीएम इशाक डार एयरपोर्ट पहुंचे. इस दौरे में दोनों देशों ने आर्थिक,सांस्कृतिक रिश्तों को मजबूत करने का वादा किया. 

पाकिस्तान और ईरान ने द्विपक्षीय व्यापार को 3 गुना से ज्यादा करने पर सहमति जताई है. पाकिस्तान और ईरान के बीच मौजूदा द्विपक्षीय व्यापार 3 अरब डॉलर का है. अब इसे दोनों देशों ने 10 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. इसके अलावा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के बीच वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने 12 समझौतों और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए. 

ईरान के न्यूक्लियर ड्रीम को पाकिस्तान का समर्थन

लेकिन पाकिस्तान द्वारा ईरान के परमाणु शक्ति बनने के सपने को समर्थन देना इस दौरे की अहम बात रही. यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब ईरान और इजरायल/अमेरिका के बीच तनाव चरम पर है, खासकर जून 2025 में इजरायल और अमेरिका द्वारा ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हवाई हमलों के बाद. 

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पाकिस्तान की यह घोषणा न केवल क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित करती है, बल्कि यह अमेरिका के साथ उसके रिश्तों पर भी सवाल उठाती है. गौरतलब है कि ट्रंप की नीतियों में अभी पाकिस्तान फोकस में है. ट्रंप ने टैरिफ में पाकिस्तान को अच्छी खासी रियायत दी है और पाकिस्तान पर 19 फीसदी टैरिफ ही लगाया है. 

ट्रंप ने पाकिस्तान में तेल निकालने का जुमला भी फेंका है. ट्रंप की इन घोषणाओं से पाकिस्तानी नेतृत्व ऊपरी तौर पर गदगद है. लेकिन ईरान के परमाणु सपने का समर्थन कर पाकिस्तान ने डबल गेम का पासा फेंका है. 

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि ईरान को परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग का अधिकार है. ईरान का यही मुद्दा हाल में इजरायल के साथ टकराव की वजह रही थी. 

शरीफ ने कहा, "पाकिस्तान शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा प्राप्ति के ईरान के उद्देश्यों के साथ खड़ा है." उन्होंने ईरान के खिलाफ हाल के इजरायली हमलों की निंदा की और अपने मुल्क की रक्षा के लिए तेहरान की सराहना की. 

ईरान के परमाणु कार्यक्रम के ऐतिहासिक विरोधी रहे हैं अमेरिका-इजरायल

गौरतलब है कि इजरायल और अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर ऐतिहासिक रूप से सख्त और विरोधी रहे हैं. दोनों देश ईरान के परमाणु हथियार विकसित करने की संभावना को राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानते हैं। अमेरिका ने 2015 के JCPOA (ईरान परमाणु समझौता) के तहत ईरान की परमाणु गतिविधियों पर निगरानी और प्रतिबंध लगाए, लेकिन 2018 में ट्रम्प प्रशासन ने इसे रद्द कर कड़े प्रतिबंध लागू किए. 

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इजरायल तो ईरान को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है. दोनों देश IAEA की सख्त निगरानी और ईरान पर दबाव बनाए रखने के पक्षधर हैं. 

अमेरिका और इजरायल ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को, भले ही वह शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए हो, संदेह की दृष्टि से देखते हैं. दोनों देशों का मानना है कि ईरान का दावा "शांतिपूर्ण" होने का एक आवरण हो सकता है, जिसके पीछे सैन्य परमाणु हथियार विकसित करने की मंशा छिपी हो सकती है. 

ट्रंप को क्या सफाई देंगे आसिम मुनीर?

अब सवाल यह है कि ट्रंप के साथ खाना खाने वाले पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर शहबाज शरीफ के इस कदम पर क्या कहेंगे? मुनीर यह जोर दे सकते हैं कि पाकिस्तान केवल ईरान के शांतिपूर्ण न्यूक्लियर प्रोग्राम का समर्थन करता है, जैसा कि शहबाज शरीफ ने कहा है.

यह रुख अमेरिका को यह संदेश देगा कि पाकिस्तान का समर्थन सैन्य न्यूक्लियर महत्वाकांक्षाओं के लिए नहीं है, बल्कि केवल नागरिक उपयोग के लिए है. 

गौरतलब है कि ईरान-इजरायल जंग के दौरान एक पूर्व ईरानी जनरल ने यह कहकर सनसनी मचा दी थी कि पाकिस्तान ने हमें आश्वासन दिया है कि यदि इजरायल ईरान पर परमाणु बम का इस्तेमाल करता है, तो वे भी इजरायल पर परमाणु बम से हमला करेंगे. हालांकि पाकिस्तान ने इसकी पुष्टि नहीं की थी. 

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इस स्थिति में पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व यह कह सकता है कि पाकिस्तान ने ईरान के साथ कोई नया सैन्य सहयोग शुरू नहीं किया है और उसका ये बयान भू-राजनीतिक जरूरतों के अनुरूप है. 

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