मध्य-पूर्व में बसा छोटा सा देश कतर जिसकी आबादी महज 30 लाख है और उसकी सबसे बड़ी ताकत अकूत धन-दौलत है. इसके अलावा भी कतर की एक ताकत है और वो है अंतरराष्ट्रीय संघर्षों के समाधान में डिप्लोमैटिक पावरहाउस की तरह काम करना. हाल के सालों में दुनिया में जितने भी बड़े संघर्ष हुए हैं, कतर ने अपने सॉफ्ट पावर का इस्तेमाल कर उन्हें सुलझाने में अहम भूमिका निभाई है. ईरान और इजरायल के बीच मंगलवार को हुए सीजफायर में भी कतर की भूमिका रही है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने पहले इजरायल को सीजफायर के लिए राजी किया और फिर कतर के शासक से कहा कि वो ईरान को सीजफायर के लिए राजी करें.
इसके बाद कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने ईरानी अधिकारियों को फोन किया और उन्हें सीजफायर के लिए मनाया.
यह कोई पहला मौका नहीं है जब किसी संघर्ष में कतर ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई हो बल्कि पहले भी कतर इस तरह की सफल मध्यस्थता करता रहा है.
अमेरिका-अफगानिस्तान संघर्ष
अमेरिका ने 11 सिंतबर 2001 के हमले के बाद अफगानिस्तान पर हमला कर तालिबान के साथ लड़ाई शुरू की थी. अमेरिकी सैनिकों और तालिबान के बीच दो दशक तक संघर्ष चला और आखिरकार अमेरिका को अफगानिस्तान से वापस लौटना पड़ा. सत्ता दोबारा तालिबान के नियंत्रण में चली गई. अफगानिस्तान से अमेरिकी और नेटो सैनिकों की वापसी और अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा में कतर ने ही मध्यस्थ की भूमिका निभाई.
2013 में कतर ने तालिबान को दोहा में एक ऑफिस खोलने को अनुमति दी थी जो तालिबान का विदेश में पहला ऑफिस था. दोहा में ही तालिबान और अमेरिकी अधिकारियों के बीच लंबे समय तक वार्ता चली जिसके बाद 29 फरवरी 2020 को दोनों पक्षों में एक समझौता हुआ और अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान से वापस लौट आए.
रूस-यूक्रेन युद्ध
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी कतर ने कई बार अहम मध्यस्थ की भूमिका निभाई है. 2023 में कतर की मध्यस्थता वाले एक समझौते के तहत दोनों पक्षों ने बंदी बनाए गए 15 से अधिक बच्चों को कैद से छोड़ा था. कतर ने समझौते के तहत मुक्त कराए गए बच्चों को अपने यहां शरण भी दी थी.
इजरायल-हमास युद्ध
7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमले में फिलिस्तीनी संगठन हमास के लड़ाकों ने कम से कम 250 लोगों को बंदी बना लिया था. हमास की कैद से बंदियों को छुड़ाने में कतर ने अहम भूमिका निभाई थी.
इससे पहले भी कतर ने एक इजरायली सैनिक की रिहाई में योगदान दिया था. हमास ने 2006 में गिलाद शालित नाम के एक इजरायली सैनिक को इजरायल गाजा बॉर्डर के पास कैद कर लिया था. सालों की बातचीत के बाद 2011 में शालित की रिहाई पर सहमति बनी और बदले में इजरायल ने 1,000 फिलिस्तीनियों को रिहा किया.
कतर के इजरायल और हमास दोनों ही पक्षों से अच्छे रिश्ते हैं और क्षेत्र के सभी संघर्षों में कतर सबसे बेहतर मध्यस्थ माना जाता है.
2008 का लेबनान संकट
2008 में कतर ने लेबनान के गृहयुद्ध को खत्म करने में अहम रोल अदा किया था. उस दौरान हिज्बुल्लाह और लेबनान की सरकार के बीच संघर्ष चल रहा था. सरकार हिज्बुल्लाह के संचार नेटवर्क को ध्वस्त करना चाहती थी जिससे संघर्ष की शुरुआत हुई. इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए कतर ने दोहा समझौता कराया था जिससे लेबनान के गृहयुद्ध का खात्मा हुआ था.
कतर पर मध्यस्थ के रूप में भरोसा क्यों करते हैं देश?
हमेशा से अस्थिर रहे मध्य-पूर्व में कतर ने खुद को एक तटस्थ देश के रूप में स्थापित किया था. इस छोटे से देश ने क्षेत्र के सभी मुसलमानों, चाहें वो शिया हो या सुन्नी और पश्चिमी देशों से अच्छे संबंध स्थापित किए हैं. कतर ने उन पक्षों के साथ भी अच्छे संबंध रखे हैं जिनके साथ पश्चिमी देश बात नहीं करना चाहते. उदाहरण के लिए, कतर ने तालिबान को अपनी राजधानी दोहा में ऑफिस स्थापित करने की अनुमति दी थी जिसके बाद अमेरिका और तालिबान में दोहा समझौता हुआ था.
इसके साथ ही कतर के पास भारी मात्रा में तेल और गैस रिजर्व है जो उसे दुनिया के सबसे अमीर देशों में शुमार करता है. उसका पैसा भी मध्यस्थता में अहम भूमिका निभाता है क्योंकि उसने दुनिया के देशों में भारी निवेश कर रखा है. निवेश के बदले में कतर को उस देश पर प्रभाव हासिल होता है. हाल ही में कतर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 40 करोड़ डॉलर की लग्जरी जेट गिफ्ट किया था.
मिडिल ईस्ट में अमेरिका ने कई मिलिट्री बेस बनाए हैं लेकिन उसका सबसे बड़ा सैन्य अड्डा कतर में है. बावजूद इसके, कतर की विदेश नीति स्वतंत्र मानी जाती है. इसके अलावा क्षेत्र के अन्य देश जहां मध्यस्थता में भी अपने भू-राजनैतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं, कतर को लेकर माना जाता है कि वो बातचीत में रुचि रखता है और एक सच्चे मध्यस्थ की भूमिका निभाता है.