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'राष्ट्रपति ट्रंप की अब तक की सबसे बड़ी गलती...',भारत-अमेरिका रिश्तों को लेकर क्या बोले एक्सपर्ट फरीद जकारिया?

अमेरिका और भारत के रिश्तों में तनाव आ गया है जिसे लेकर एक्सपर्ट फरीद जकारिया का कहना है कि ट्रंप प्रशासन ने द्विपक्षीय रिश्तों को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है. उनका कहना है कि ट्रंप के पहले जिन पांच राष्ट्रपतियों ने भारत-अमेरिका रिश्तों को मजबूती दी थी, ट्रंप ने उन सभी की मेहनत पर पानी फेर दिया.

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राष्ट्रपति ट्रंप के प्रशासन ने भारत-अमेरिका रिश्तों को भारी नुकसान पहुंचाया है (Photo: Reuters)
राष्ट्रपति ट्रंप के प्रशासन ने भारत-अमेरिका रिश्तों को भारी नुकसान पहुंचाया है (Photo: Reuters)

ट्रंप प्रशासन के दूसरे कार्यकाल में भारत और अमेरिका के रिश्ते बेहद खराब स्थिति में आ गए हैं जहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% का टैरिफ लगा दिया है. ट्रंप रूसी तेल की खरीद को लेकर भारत से नाराज हैं और भारत ने भी कड़े शब्दों में कह दिया है कि वो किसी दबाव में आकर अपने व्यापारिक फैसले नहीं लेगा. दोनों देशों के तनावपूर्ण रिश्तों का विश्लेषण करते हुए भारतीय मूल के जाने-माने अमेरिकी पत्रकार और जियो पॉलिटिकल एक्सपर्ट फरीद जकारिया ने कहा है कि भारत-अमेरिका रिश्तों को आगे ले जाने में ट्रंप के पहले के जिन पांच राष्ट्रपतियों ने अथक प्रयास किया था, ट्रंप ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है.

सीएनएन पर अपने विश्लेषण में जकारिया ने कहा कि भारत के प्रति ट्रंप की अचानक पनपी शत्रुता ने पुरानी दोस्ती को अपूरणनीय क्षति पहुंचाई है.

जकारिया ने कहा, 'अगर दुश्मनी ऐसे ही कायम रहती है तो भारत को लेकर अमेरिकी नीति में उलटफेर ट्रंप के राष्ट्रपति काल की अब तक की सबसे बड़ी रणनीतिक गलती हो सकती है.'

'ट्रंप ने अपना असली रंग दिखा दिया है'

जकारिया ने कहा कि भारत को लेकर ट्रंप की नीति में बदलाव से अमेरिका को लेकर भारत के लोगों का नजरिया बदलेगा. उन्होंने कहा कि इससे भारत रूस के और करीब जाएगा और चीन से भी उसकी नजदीकी बढ़ेगी.

उन्होंने कहा, 'भारतीयों का मानना है कि अमेरिका ने अपना असली रंग दिखा दिया है...उसने बता दिया है कि उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है और वो उन लोगों के साथ भी बर्बर किस्म का बर्ताव कर सकता है जिन्हें वो अपना दोस्त कहता है.'

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उन्होंने कहा, 'भारत को महसूस हो रहा है कि उसे हर हाल में अपनी बाजी बचाकर रखनी होगी, रूस के करीब रहना होगा और यहां तक कि चीन के साथ भी अपनी नीति में बदलाव करना होगा.' जकारिया ने कहा कि ट्रंप प्रशासन भारत को लेकर ऐसी गलती कर चुका है जिसे पूरी तरह सुधार पाना मुश्किल है.

'अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत'

जकारिया ने कहा कि भारत का गुटनिरपेक्ष रहने का लंबा इतिहास रहा है. उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने बहुगुट (Multi-Alignment) को अपनाया है, जिसके तहत भारत स्वतंत्र रूप से काम करने और सभी पक्षों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखता है. अमेरिका की स्ट्रैटजी और चीन का उदय इस रुख को कमजोर कर रहा था, और भारत धीरे-धीरे ही सही लेकिन अमेरिका के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा था.'

जकारिया कहते हैं कि लेकिन अब सारा गेम पलट चुका है. वो कहते हैं, 'भारत को लेकर अगर अब ट्रंप प्रशासन फिर से अपना रुख बदल भी ले तो भी कुछ नहीं होने वाला. भारत-अमेरिका रिश्तों को जो नुकसान होना था, हो गया.'

ट्रंप ने भारत-अमेरिका रिश्तों को मजबूत बनाने की कोशिशों पर पानी फेर दिया

जकारिया ने दूसरे ट्रंप प्रशासन से पहले के पांच अमेरिकी प्रशासनों की बात करते हुए कहा कि लगातार कोशिशों से भारत-अमेरिका संबंध मजबूत हुए थे और ट्रंप ने एक ही बार में सब तहस-नहस कर दिया.

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उन्होंने कहा, 'राष्ट्रपति क्लिंटन की 2000 में भारत यात्रा अत्यंत सफल रही और इससे दोनों देशों के बीच नए घरेलू संबंधों की संभावना खुली. इसके बाद जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में भारत-अमेरिका रिश्तों में अहम बदलाव हुआ. उनके प्रशासन ने महसूस कर लिया था कि उभरता हुआ चीन अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बदल रहा है, और चीन का सबसे बड़ी काट भारत ही हो सकता है.'

जकारिया ने आगे कहा कि बुश प्रशासन ने भारत के साथ फ्रांस, ब्रिटेन और चीन जैसी महाशक्तियों की तरह बर्ताव करना शुरू किया और इस दौरान दोनों देशों के रिश्ते काफी मजबूत हुए. ओबामा प्रशासन ने भारत को एशिया के लिए अपनी धुरी के रूप में देखा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के लिए भारत के प्रयास का समर्थन किया. इससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार में काफी बढ़ोतरी हुई.

फरीद जकारिया ने कहा कि 2017 में शुरू हुए पहले ट्रंप प्रशासन ने भारत के साथ राजनीतिक रूप से बड़ी छलांग लगाते हुए क्वाड को आगे बढ़ाया और इसे अधिक सार्थक बनाया. क्वाड चार देशों- भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान का संगठन है जिसे चीन की काट के रूप में तैयार किया गया था.

ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी के साथ अपने पर्सनल रिलेशन्स को भी मजबूत किया था. इसके बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन आए और उन्होंने भारत के साथ डिफेंस और इकोनॉमी में सहयोग को मजबूत किया.

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लेकिन ट्रंप 2.0 ने आते ही भारत को बिना किसी पूर्व चेतावनी के अमेरिकी डिप्लोमैट्स के दशकों की कोशिश पर पानी फेर दिया. उन्होंने भारत को सीरिया और म्यांमार के साथ सबसे उच्च टैरिफ वाले देशों की श्रेणी में रखा, जबकि पाकिस्तान पर केवल 19% टैरिफ लगाया और वहां तेल की खोज के लिए भी साथ मिलकर काम करने जा रहे हैं. उन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख से भी पर्सनली मुलाकात की है जो किसी भी तरह से भारत के हित में नहीं है. 

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