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नेतन्याहू और ईरानी अफसरों के साथ खुद फोन पर ट्रंप, कतर के PMO से जुड़े थे वेंस... ईरान से सीजफायर की मिडनाइट स्टोरी

ट्रंप और नेतन्याहू के बीच बातचीत के दौरान इजरायल को राजी करना तो मुश्किल नहीं था. लेकिन ईरान के साथ बातचीत करना एक कठिन काम साबित हुआ क्योंकि अमेरिका द्वारा उसके तीन महत्वपूर्ण परमाणु स्थलों - फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान पर बमबारी के बाद तेहरान बदला लेने के लिए बेताब था. यहीं पर वो मौका आया जब कतर ने कदम बढ़ाया. 

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ट्रंप ने बातचीत के लिए खुद इजरायली प्रधानमंत्री को फोन लगाया.
ट्रंप ने बातचीत के लिए खुद इजरायली प्रधानमंत्री को फोन लगाया.

'हम शांति स्थापित करने जा रहे हैं...', रविवार को ट्रंप ने जब ये बात अपने अधिकारियों से कहा तो उनका चौंकना लाजिमी था. ये तब की बात है जब अमेरिकी बी-2 बॉम्बर ईरान के तीन परमाणु केंद्रों फोर्डो, इस्फहान और नतांज पर विनाशक बंकर बस्टर बम गिरा चुके थे. 

हालांकि ट्रंप का सार्वजनिक बयान तल्ख था और वह ईरान में सत्ता परिवर्तन की संभावना की ओर संकेत दे रहे थे. लेकिन लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने ईरानी अफसरों के साथ गहन वार्ता शुरू कर दी, जबकि ट्रम्प ने स्वयं इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को खुद फोन लगाया और सीजफायर पर चर्चा शुरू की.

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में सीजफायर के घटनाक्रम पर प्रकाश डालते हुए कहा गया है. एक अधिकारी ने ट्रंप के बयान का हवाला देते हुए कहा कहा कि राष्ट्रपति ने कहा कि "चलो ईरानियों को फोन पर लो बात करते हैं."

इस बीच, सनकी अमेरिकी राष्ट्रपति ने नेतन्याहू को युद्ध विराम के लिए राजी करने का बीड़ा खुद उठा लिया था, क्योंकि संघर्ष ने पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र को अपनी चपेट में लेने के संकेत दिए थे.

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बीबी को फोन पर लो, हम...

'बीबी को फोन पर लो, हम शांति स्थापित करने जा रहे हैं', इस अधिकारी ने वो बातें बताई जो ट्रंप ने सीजफायर स्थापित होने से पहले अपने अधिकारियों को कही थी. बेंजामिन नेतन्याहू को इजरायल में प्यार से 'बीबी' कहा जाता है.

इसके बाद ट्रंप और 'बीबी' के बीच लंबी बातचीत हुई. आखिरकार नेतन्याहू इस बात के लिए राजी हो गए कि अब युद्धविराम का समय आ गया है. हालांकि ईरान अब इजरायल पर और हमले न करे.

यह बात तब सामने आई जब इजरायल ने यह संकेत दिया कि वह ईरान पर अपने हमलों को जल्द ही समाप्त करना चाहता है और उसने यह संदेश अमेरिका को भी दे दिया है. 

वार्ता में कतर की एंट्री और वार्ता ने पकड़ी रफ्तार 

बातचीत के दौरान इजरायल को राजी करना तो मुश्किल नहीं था. लेकिन ईरान के साथ बातचीत करना एक कठिन काम साबित हुआ क्योंकि अमेरिका द्वारा उसके तीन महत्वपूर्ण परमाणु स्थलों - फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान पर बमबारी के बाद तेहरान बदला लेने के लिए बेताब था. यहीं पर वो मौका आया जब कतर ने कदम बढ़ाया. 

सीएनएन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, नेतन्याहू से बात करने के बाद ट्रंप ने कतर के अमीर से बात की और उनसे कहा कि वो ईरान को इस बात के लिए राजी करें कि तेहरान युद्धविराम पर सहमत हो जाए. 

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इसके बाद उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कतर के प्रधानमंत्री कार्यालय से पूरी बातचीत को कॉर्डिनेट किया.

वेंस के अलावा ईरान के साथ बातचीत में विदेश मंत्री मार्को रुबियो और अमेरिकी राजनयिक स्टीव विटकॉफ भी ईरान के साथ बीतचीत में शामिल रहे.

सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार कतर के प्रधानमंत्री से बातचीत के बाद ईरान ने युद्ध विराम प्रस्ताव पर सहमति जताई. इसके बाद ट्रम्प ने मंगलवार की सुबह ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया, "इजराइल और ईरान के बीच इस बात पर पूरी तरह सहमति बन गई है कि पूर्ण युद्ध विराम होगा."

हालांकि ईरान ने शुरू में इस सीजफायर से ही इनकार कर दिया. उन्होंने यह माना ही नहीं कि ऐसा कोई समझौता हुआ है. लेकिन बाद में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने यू-टर्न लेते हुए कहा कि सीजफायर "दुश्मन पर थोपा जा रहा है."

विदेश मंत्री अब्बास अराघची ये संकेत देना चाहते थे कि युद्धविराम की जरूरत ईरान को नहीं बल्कि इजरायल को है.

ट्रंप की घोषणा सुन चौक गए अधिकारी

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को जब इजरायल और ईरान एक दूसरे पर मिसाइलों से हमला कर रहे थे तो ट्रंप की ओर से की गई अचानक युद्ध विराम की घोषणा ने अमेरिकी प्रशासन के कुछ शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों को भी चौंका दिया.

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ये हैरानी तब और भी बढ़ गई जब ईरान ने बमबारी के जवाब में कतर और इराक में अमेरिकी एयरबेस पर मिसाइलें दागीं, जिससे क्षेत्र में व्यापक और लंबे समय तक चलने वाले संघर्ष की आशंकाएं पैदा हो गईं. कतर स्थित अल-उदीद बेस जिसे निशाना बनाया गया पश्चिम एशिया में अमेरिकी सेना की सबसे बड़ी रणनीतिक संपत्ति है.

हालांकि ट्रंप ने यह संकेत दिया कि ईरान ने इन हमलों के बारे में पहले ही चेतावनी दे दी थी जिससे यह संकेत मिलता है कि तेहरान जो इस युद्ध में तेजी से अलग-थलग पड़ रहा था, इस जंग को रोकना चाहता था.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "मैं ईरान को हमें पहले से सूचना देने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं, जिससे किसी की जान नहीं गई और कोई घायल नहीं हुआ." 

ये संघर्ष 13 जून को शुरू हुआ जब इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करने के उद्देश्य से 'ऑपरेशन राइजिंग लॉयन' शुरू किया, जिसे वह लंबे समय से अपने वजूद के लिए खतरा मानता रहा है. हमलों में वरिष्ठ ईरानी सैन्य अधिकारी और 10 परमाणु वैज्ञानिक भी मारे गए.

12 दिनों की जंग और इसका असर

इजरायल के अभूतपूर्व हमले का कारण अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की हाल ही में आई रिपोर्ट थी कि ईरान परमाणु हथियार हासिल करने के खतरनाक रूप से करीब था.

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इस हमले के जवाब में ईरान ने इजरायल की ओर मिसाइलों और ड्रोन की कई लहरें छोड़ीं, जिनमें से अधिकांश को तेल अवीव के 'आयरन डोम' सिस्टम ने बेअसर कर दिया.

रविवार को अमेरिका ने जब 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' किया तो ये इस जंग का निर्णायक मोड़ था. इस हमले में ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर "बंकर-बस्टर" गिराया गया.

इस अभूतपूर्व हमले के 48 घंटों के भीतर ही युद्धविराम हो गया.ये दर्शाता है कि संघर्ष में एंट्री करने का ट्रंप का हाई रिस्क वाला जुआ फिलहाल शायद सफल दिखता है. 

हालाकि युद्ध का नुकसान बहुत ज़्यादा हुआ है. ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इजरायली हमलों में लगभग 600 लोग मारे गए हैं. लेकिन एक मानवाधिकार समूह ने हमले में मरने वालों की संख्या 950 बताई है.  इजरायली शहरों पर ईरानी मिसाइल हमलों में 24 से 30 लोग मारे गए हैं. 

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