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राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' खत्म, विदेशी मीडिया में क्या-क्या छपा?

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर पाकिस्तान, यूएई सहित कई देशों के बड़े अखबारों ने रिपोर्टें छापी हैं. पाकिस्तान की मीडिया का कहना है कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पार्टी और देश की खराब हालत को सुधारने की एक कोशिश है. वहीं यूएई के अखबार खलीज टाइम्स ने लिखा है कि यात्रा के जरिए राहुल गांधी अपनी छवि बदलने की कोशिश कर रहे हैं.

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राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा बुधवार को पंजाब पहुंची (Photo-PTI)
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा बुधवार को पंजाब पहुंची (Photo-PTI)

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो' यात्रा कन्याकुमारी से शुरू हुई जो आज श्रीनगर में खत्म हो गई. राहुल गांधी अपनी इस भारत जोड़ो यात्रा के दौरान 12 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों से होते हुए गुजरे. राहुल गांधी ने अपनी 'भारत जोड़ो यात्रा' को लेकर कहा कि उनकी ये यात्रा बेरोजगारी, महंगाई, नफरत, हिंसा आदि समाज को तोड़ने वाले कारकों के खिलाफ है. 

अपनी इस पूरी यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने 3,570 किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय की. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी पूरे समय खबरों में बने रहे. कांग्रेस की इस यात्रा को भारत के साथ-साथ विदेशी मीडिया का भी खासा कवरेज मिला है. इस्लामिक देशों, खासकर पाकिस्तान, यूएई, तुर्की आदि देश के अखबारों ने राहुल गांधी की यात्रा पर कई आर्टिकल्स छापे. तो आइए जानते हैं विदेशी देशों की मीडिया में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर क्या-क्या छपा.

पाकिस्तान की मीडिया ने राहुल गांधी की यात्रा को लेकर क्या कहा?

पाकिस्तान का प्रमुख अखबार 'डॉन' लिखता है कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी का हिजाब पहने स्कूली लड़की का हाथ थामना ये दिखाता है कि वो भी उसी विचारधारा से आते हैं जो गांधी और नेहरू की थी. 

Photo-Congress/Twitter

अपने एक लेख में अखबार ने लिखा, 'राहुल गांधी पांच महीने की भारत जोड़ो यात्रा के जरिए अपनी 'बीमार' पार्टी और देश की खराब हालत को सुधारने की कोशिश करना चाहते हैं. 12 राज्यों में घूमना और 150 दिनों में 3,570 किलोमीटर की दूरी तय करना, कोई बहुत चमत्कारिक उपलब्धि नहीं है. और न ही ये कोई बड़ा चमत्कार है कि राहुल गांधी बिना कैमरे की मौजूदी के समुद्र में गोते लगा रहे हैं. लेकिन सांप्रदायिक रूप से बंटे हुए कर्नाटक में राहुल गांधी का हिजाब पहने स्कूली छात्रा का हाथ थामना नेहरू और गांधी के भारत का विचार था.'

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पाकिस्तान के एक और प्रमुख अखबार, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपने एक लेख में लिखा है कि राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस पार्टी में एक नई जान फूंकने की कोशिश की है. अखबार लिखता है कि यात्रा ने राहुल गांधी की लोकप्रियता में इजाफा किया है.

अखबार लिखता है, 'मार्च का उद्देश्य केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की फासीवादी हिंदुत्व की राजनीति द्वारा समाज में पैदा की गई दरारों और विभाजन को खत्म करना है. भारत जोड़ो यात्रा में धर्मनिरपेक्षता, भारत के संविधान के प्रति सम्मान, नागरिकों के बीच एकता और नफरत विरोधी नारे दिए गए. यात्रा में बेरोजगारी और महंगाई से संबंधित नारे भी लगे. भाजपा ने पिछले कुछ समय में राहुल गांधी की छवि को जो नुकसान किया है, ये मार्च उसका मुकाबला करने में भी मदद कर रही है. राहुल गांधी जिन इलाकों से गुजरे हैं, वहां उनकी लोकप्रियता आसमान छू रही है.'

Photo- Rahul Gandhi/Twitter

इसके साथ ही अखबार ने लिखा है कि राहुल गांधी अपनी बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद भी 2024 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी को टक्कर नहीं दे पाएंगे. लेकिन वो अगर इसी गति से आगे बढ़ते हैं तो भाजपा की जीत के अंतर में भारी सेंधमारी कर सकते हैं. कांग्रेस की वापसी भारत के लिए ही नहीं बल्कि विश्व के अन्य लोकतंत्रों के लिए भी महत्वपूर्ण है. 

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कतर के अलजजीरा ने क्या कहा?

मुस्लिम देश कतर स्थित अंतरराष्ट्रीय ब्रॉडकास्टर अलजजीरा ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में लिखा है कि देश का सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ा है और राहुल गांधी नफरत के बीच प्यार से देश को जोड़ने का काम कर रहे हैं. 

अलजजीरा ने लिखा, 'नफरत के बाजार में राहुल गांधी देश को जोड़ने के लिए मार्च कर रहे हैं. 2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद से सांप्रदायिक सद्भाव चिंता का विषय रहा है. आलोचकों का कहना है कि मोदी सरकार ने मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए विवादास्पद नागरिकता कानून समेत कई कानून बनाए हैं. उनके सत्ता में आने के बाद से धुर-दक्षिणपंथी हिंदू समूहों ने अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों पर हमले बढ़ा दिए हैं.'

रिपोर्ट में लिखा गया है कि पूरी यात्रा के दौरान राहुल गांधी का मुख्य फोकस महंगाई और बेरोजगारी पर रहा है.

यूएई के खलीज टाइम्स ने क्या कहा?

इस्लामिक देश संयुक्त अरब अमीरात के अखबार खलीज टाइम्स ने लिखा है कि कुछ लोगों को भले ही यह लग रहा हो कि राहुल गांधी की लोकप्रियता में इजाफा हो रहा है लेकिन सच बात तो ये है कि राहुल गांधी को अब भी अधिकतर लोग गंभीरता से नहीं लेते. राहुल यात्रा के जरिए अपनी इस छवि को सुधारने की कोशिश जरूर कर रहे हैं.

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रिपोर्ट में लिखा गया, 'लोग कह रहे हैं कि राहुल गांधी और उनकी भारत जोड़ो यात्रा भारत के गांवों में मोदी को चुनौती दे सकती है. लेकिन ये भी एक बड़ा सच है कि अपनी 'पप्पू' की छवि को बदलने के लिए अभी भी वो संघर्ष कर रहे हैं ताकि लोग उन्हें गंभीरता से लें. ये मार्च शायद उनकी छवि बदलने का एक मौका हो सकता है.'

तुर्की के सरकारी ब्रॉडकास्टर में मार्च को लेकर छपी ये खबर

मुस्लिम बहुल देश तुर्की के सरकारी ब्रॉडकास्टर टीआरटी वर्ल्ड में छपी एक रिपोर्ट में लिखा गया है कि कांग्रेस ने मोदी सरकार पर देश में नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए इस यात्रा को शुरू किया. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से रिपोर्ट में लिखा गया है, 'भारत के कई लोग अभी भी कांग्रेस से उम्मीद लगाए बैठे हैं. कांग्रेस वो पार्टी रही है जिसने 1947 में भारत को आजादी दिलाई और दशकों तक सत्ता में बनी रही.

रिपोर्ट में राहुल गांधी के बयानों का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि उन्होंने मोदी पर गरीब किसानों और श्रमिकों की अनदेखी कर बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया. उन्होंने ये भी कहा कि हिंदू-मुस्लिम तनाव को बढ़ाकर सरकार डर और नफरत का माहौल तैयार कर रही है.

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इस्लामिक देशों के अलावा और देशों की मीडिया ने भी भारत जोड़ो यात्रा पर रिपोर्ट और लेख प्रकाशित किए हैं.

ब्रिटेन

लंदन स्थित रॉयटर्स ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कई रिपोर्ट्स छापी हैं. अपनी एक रिपोर्ट में रॉयटर्स लिखता है कि राहुल गांधी अपनी इस यात्रा से कांग्रेस की छवि को बदलने की कोशिश कर रहे हैं.

रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा कि राहुल गांधी के मार्च में काफी भीड़ उमड़ती नजर आई. लोग मार्च में नफरत और सांप्रदायिकता के खिलाफ राहुल गांधी का साथ दे रहे हैं. इस यात्रा से राहुल गांधी की इमेज बदल रही है और उनकी लोकप्रियता में उछाल आ रहा है लेकिन कांग्रेस पार्टी उनकी इस लोकप्रियता को अगले लोकसभा चुनावों में भारी वोटों में तब्दील नहीं कर पाएगी.

ब्रिटेन के अखबार 'द गार्डियन' में प्रोफेसर मुकुलिका बनर्जी का एक लेख छपा है जिसमें वो लिखती हैं कि सभी धर्मों और भाषा के लोगों का इस यात्रा में शामिल होना काफी दिलचस्प था. मुकुलिका बनर्जी भारत जोड़ो यात्रा में काफिले के साथ दो दिनों तक चलीं.

Photo- Rahul Gandhi/Twitter

अपने लेख में वो लिखती हैं, 'राहुल गांधी अपनी इस यात्रा के पीछे कारण बताते हुए कहते हैं कि भारत में विरोध के लिए एकमात्र जगह, सड़कें ही बची हैं. यानी, एक ऐसे भारत में जहां मोदी सरकार ने पुलिस, अदालतों, इनकम टैक्स और दूसरे संस्थानों को आलोचकों को चुप कराने का हथियार बना लिया है, सामूहिक रूप से मार्च करना ये दिखाने का एकमात्र तरीका बचा है कि भारत के कई लोग यहां की सरकार की खराब नीतियों से असहमत हैं.'

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उन्होंने लिखा कि ये मार्च किसी अहिंसक सेना के विशाल सैन्य अभियान जैसा लग रहा था.

Photo-Rahul Gandhi/Twitter

उन्होंने आगे लिखा, 'राहुल के लिए यह लड़ाई मात्र छवि बदलने की नहीं है बल्कि कांग्रेस को फिर से जीवंत करने का जिम्मा भी उन पर है. कांग्रेस और आम लोगों के बीच जो गहरी खाई बनी है, ये यात्रा उसे पाटने का भी एक रास्ता है. भारत जोड़ो यात्रा ने लोगों को राहुल गांधी का एक गंभीर और मानवीय चेहरा दिखाने में मदद की है.

जर्मनी

जर्मनी के सरकारी ब्रॉडकास्टर डॉयचे वेले (DW) ने लिखा कि कांग्रेस इस यात्रा के जरिए राहुल गांधी को लोगों के नेता के रूप में स्थापित करना चाहती है. अखबार लिखता है कि भारत की राजनीति में कभी सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस आज बस तीन राज्यों, छत्तीसगढ़, राजस्थान और हिमाचल की सत्ता तक ही सिमटकर रह गई है. भारतीय इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि कांग्रेस के पास 10 प्रतिशत भी सांसद नहीं हैं. इस कारण संसद में नेता प्रतिपक्ष का स्थान खाली पड़ा है.

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के पतन के पतन के पीछे बहुसंख्यकवाद का उदय है. इसके साथ ही पार्टी की अंदरूनी कमजोरी का भी इसमें बड़ा योगदान है.

राजनीतिक विश्लेषक जोया हसन ने डी डब्लयू से कहा कि कांग्रेस की ये स्थिति व्यक्तिगत या संगठनात्मक विफलताओं के कारण हो सकती है लेकिन उसकी स्थिति के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार धार्मिक और जातिगत ध्रुवीकरण से मुकाबला करने में विफलता है.

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