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उस्मान हादी के जनाजे में सड़कों पर सैलाब, यूनुस भी पहुंचे... नारेबाजी के बीच सुपुर्द-ए-खाक- VIDEO

इनकिलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की नमाज-ए-जनाजा में शामिल होने के लिए शनिवार को ढाका के मणिक मिया एवेन्यू पर हजारों लोग जुटे. जनाजे के दौरान इंसाफ की मांग करते नारे लगे, जबकि संसद परिसर और आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए. हादी को राष्ट्रीय कवि काजी नजरुल इस्लाम के पास दफनाया जाना है.

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उस्मान हादी के जनाजे में हजारों की संख्या में लोग जुटे. (Photo- ITG)
उस्मान हादी के जनाजे में हजारों की संख्या में लोग जुटे. (Photo- ITG)

इनकिलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की नमाज-ए-जनाजा में शामिल होने के लिए शनिवार दोपहर ढाका के राष्ट्रीय संसद भवन के पास स्थित मणिक मिया एवेन्यू पर लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा. समाज के अलग-अलग तबकों से हजारों लोग इस जनाजे में शरीक होने पहुंचे. कई लोग जुलूस के रूप में आए और हादी के लिए न्याय की मांग करते हुए नारे लगाए.

जनाजे से पहले मणिक मिया एवेन्यू और संसद परिसर का नजारा अभूतपूर्व रहा. ड्रोन से ली गई तस्वीरों में भारी भीड़ नजर आई, जिसने यह साफ कर दिया कि हादी की मौत ने देशभर में गहरी प्रतिक्रिया पैदा की है. लोगों का कहना था कि हादी की "शहादत" व्यर्थ नहीं जाएगी और दोषियों को सजा दिलाने तक संघर्ष जारी रहेगा.

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सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं. मणिक मिया एवेन्यू के प्रवेश द्वारों पर कड़ी जांच की गई. सेना ने इलाके में गश्त की, जबकि पुलिस, रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) और अंसार के बड़ी संख्या में जवान तैनात रहे. किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के लिए ड्रोन उड़ाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया था.

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शरीफ उस्मान हादी की नमाज-ए-जनाजा दोपहर 2 बजे संसद भवन के साउथ प्लाजा में अदा की जानी थी. इनकिलाब मंच के अनुसार, हादी को राष्ट्रीय कवि काजी नजरुल इस्लाम की कब्र के पास दफनाया जाना है, जो उनके परिवार की इच्छा के अनुसार तय किया गया है.

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गौरतलब है कि शरीफ उस्मान हादी का गुरुवार रात सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल में निधन हो गया था. 12 दिसंबर को राजधानी ढाका के पलटन इलाके में चुनाव प्रचार के दौरान उन पर गोलीबारी की गई थी, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे. पहले उन्हें ढाका में इलाज दिया गया और बाद में बेहतर चिकित्सा के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया.

हादी की मौत को उनके समर्थक लोकतांत्रिक आंदोलन के लिए बड़ा नुकसान बता रहे हैं. जनाजे में मौजूद लोगों ने एक स्वर में कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति की विदाई नहीं, बल्कि एक आंदोलन की आवाज है, जिसे दबाया नहीं जा सकता.

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